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गौरी गणेश की पूजा के साथ आज शुरू होगा राम मंदिर भूमि पूजन का अनुष्ठान

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Published : Aug 3, 2020, 6:58 AM IST

काशी के तीन विद्वानों की निगरानी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे. इस पूरे आयोजन की कमान संभालने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पाण्डेय से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

rituals of bhoomi poojan will start from 3rd august
5 अगस्त को राम मंदिर की आधारशिला

वाराणसी: अयोध्या में राम मंदिर के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होने वाला है. इसे लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. काशी के तीन विद्वानों की निगरानी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे. काशी से अयोध्या जा रहे विद्वानों में काशी विद्वत परिषद के मंत्री रामनारायण द्विवेदी, परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामचंद्र पाण्डेय और बीएचयू ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर विनय पाण्डेय शामिल हैं.

देखें एक्सक्लूसिव बातचीत

काशीवासी हैं खुश

काशी विद्वत परिषद के नेतृत्व में तीन विद्वान 3 अगस्त को चांदी का कछुआ, चांदी की बेल पत्र, बाबा विश्वनाथ के चंदन और सोने के शेषनाग को लेकर अयोध्या रवाना होने वाले हैं. राममंदिर निर्माण को लेकर काशीवासियों की खुशी दोगुनी है. एक तरफ जहां मंदिर का शिलन्यास बनारस के सांसद और देश के प्रधानमंत्री के हाथों होने जा रहा है. वहीं मंदिर निर्माण में भूमि पूजन के दौरान नींव के अंदर वाराणसी से भेजे जाने वाले सोने के शेषनाग, चांदी के कच्छप, चांदी के पांच बेलपत्र, सोने के वास्तुदेवता, सवा पाव चंदन और पंचरत्न रखे जाएंगे.

32 सेकंड का है शुभ मुहूर्त
प्रोफेसर विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि 5 अगस्त को दोपहर 12:29 मिनट 20 सेकंड से 1:00 बजे के बीच लगभग 32 सेकंड का शुभ मुहूर्त है. इस मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों शिलान्यास पूजन संपन्न होना है. उन्होंने बताया कि काशी से 3 विद्वानों का दल सोमवार को अयोध्या के लिए रवाना होगा और 5 अगस्त को होने वाले आयोजन से पहले 3 अगस्त की सुबह से ही अयोध्या में तीन दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत भी हो जाएगी.

गौरी गणेश पूजन से होगी शुरुआत
प्रोफेसर विनय के मुताबिक तीन दिन के अनुष्ठान में विधिवत पूजन होना है, लेकिन मुख्य पूजन और धार्मिक अनुष्ठान 5 अगस्त को होंगे. इसके लिए दोपहर 12:00 बजे के बाद 32 सेकेंड का शुभ मुहूर्त निकाला गया है, उसमें सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हाथों से शिला रखकर उसका पूजन करेंगे. इसके पहले सोमवार सुबह गौरी गणेश पूजन से इस पूरे अनुष्ठान की शुरुआत हो जाएगी. गौरी-गणेश पूजन के बाद कलश स्थापन, नवग्रह पूजन, षोडश मातृका पूजन, नांदी मुख पूजन के साथ अन्य धार्मिक अनुष्ठान चलते रहेंगे. 4 तारीख को भी हवन व अन्य धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे और 5 अगस्त की सुबह गणेश पूजन के बाद भूमि पूजन की शुरुआत होगी.

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भूमि पूजन के बाद कछप का पूजन
शिलान्यास कर्म के पूजन में भूमि पूजन के बाद उस स्थान की पूजा होती है, जहां पर नींव रखी जानी है. नींव रखे जाने वाले स्थान का पूजन करने के बाद शिला पूजन होगा. शिला पूजन के बाद उपशिला पूजन होता है, जिसमें छोटी गिट्टियों को शिला के रूप में पूजित किया जाता है. इसके पहले भूमि पूजन के बाद कछप पूजन यानी कछुए का पूजन होता है. कछुए का पूजन इसलिए किया जाता है, क्योंकि समुद्र मंथन के दौरान जिस शिला से मंथन किया गया था, उसे भगवान विष्णु के कछप अवतार ने ही अपनी पीठ पर रोका था. इसलिए किसी भी शिला या अन्य के भार को सकुशल भगवान विष्णु के अवतार कछप ग्रहण करें, इसलिए उनका पूजन सबसे पहले किया जाता है.

पीएम करेंगे भूमि पूजन
प्रोफेसर विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि इसके बाद शेष नाग पूजन होगा. शेषनाग पूजन में भी भगवान शेषनाग, जो पृथ्वी का भार संभाले हुए हैं उनके पूजन के साथ ही इस भव्य मंदिर के निर्माण से पहले इनका आह्वान कर इनको पूजित किया जाएगा. इसके बाद पंचरत्न पूजन संपन्न होगा, सारे ग्रहों के साथ सभी देवताओं का आह्वान कर शिला पूजन का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगा. प्रोफेसर विनय का कहना है इस पूरे आयोजन की जिम्मेदारी काशी के 3 विद्वानों को मिली है. जिनमें मैं, प्रोफेसर रामचंद्र पाण्डेय और प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी काशी से आज रवाना हो जाएंगे. हम तीन लोगों के नेतृत्व में पूरा अनुष्ठान संपन्न होगा. कहीं कोई कमी ना रहे इसलिए ज्योतिषीय दृष्टि से व्याकरण और वास्तु के साथ धर्म की दृष्टि से सारी चीजों की बारीक निगरानी की जाएगी.

बता दें कि लगभग 250 साल पुरानी संस्था काशी विद्वत परिषद को न्यास की तरफ से बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. काशी विद्वत परिषद ने इन तीन विद्वानों का नाम आगे कर इनको ही पूरे राम मंदिर भूमि पूजन के अनुष्ठान की जिम्मेदारी सौंप है. यह तीन विद्वान ही काशी से रवाना होकर 3 दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान को अपनी देखरेख में संपन्न कराएंगे.

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