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जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चे को मिली नई जिंदगी, एक महीने तक रिम्स में चला इलाज

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Published : Jan 19, 2022, 4:03 PM IST

Updated : Jan 19, 2022, 4:39 PM IST

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जापानी इंसेफेलाइटिस

जापानी इंसेफेलाइटिस, जिसे चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है. बच्चों में होने वाली इस खतरनाक बीमारी से उनकी जान तक चली जाती है. लेकिन रिम्स के डॉक्टर्स ने जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चे का इलाज किया और उसे नई जिंदगी दी. वो भी उस वक्त में जब कई डॉक्टर्स ने बच्चे का इलाज के लिए हाथ खड़े कर दिए थे.

रांची: कहते हैं अस्पताल आदमी तभी पहुंचता है जब वह सारी उम्मीद खो देता है. ऐसे वक्त में मजबूर मरीजों के साथ अस्पताल ईमानदारी ना निभाए तो फिर कहीं ना कहीं मानवता शर्मसार होती है. लेकिन रिम्स के चिकित्सकों ने अपनी ड्यूटी और सेवा धर्म को निभाते हुए एक बच्चे को नया जीवन दिया. रिम्स के डॉक्टर्स ने जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चे का इलाज किया और उसकी जान बचाई. दुमका के जरमुंडी का रहने वाला मुकेश के बेटे पीयूष का एक महीना तक इलाज कर उसे नई जिंदगी मिली है.

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मुकेश का बेटा पीयूष पिछले महीने अचानक ही बुखार से ग्रसित हो गया, जिसके बाद वह लगातार कमजोर होता चला गया. बेटे के गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए मुकेश ने देवघर में इलाज करवाना शुरू किया. लेकिन देवघर के डॉक्टर्स ने उसे बाहर के अस्पताल में रेफर कर दिया. जिसके बाद मुकेश दुर्गापुर के बड़े अस्पताल में भी अपने बेटे का इलाज करवाया. लेकिन वहां भी चिकित्सकों ने पीयूष की हालत को गंभीर बताते हुए रांची के रिम्स अस्पताल में रेफर कर दिया.

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रिम्स अस्पताल में पहुंचने के बाद पीयूष की स्थिति काफी खराब थी. क्योंकि उसे जापानी इंसेफेलाइटिस नाम की बीमारी हो गयी थी. जिसमें कई बार जान भी चली जाती है. जापानी इंसेफेलाइटिस को चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है और इस बुखार के कारण बिहार झारखंड के कई बच्चों की जान गयी है. लेकिन रिम्स के डॉक्टर्स ने बच्चे का इलाज किया, चिकित्सकों ने अपनी दक्षता दिखाते हुए बच्चे की जान बचा ली और करीब एक महीना तक उसका इलाज कर उसे नयी जिंदगी दी. आखिरकार रांची में जापानी इंसेफेलाइटिस का इलाज हुआ. रिम्स के चिकित्सकों ने जापानी इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त 12 साल के पीयूष को नयी जिंदगी दी. जिसमें डॉ. जयप्रकाश, डॉ. एमडी सैफ, डॉ. लालचंद टुडू, डॉ. अमित, डॉ. प्रियेश, डॉ. दुमिनी सोरेन का अहम योगदान रहा.

जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चे का इलाज होने से पीयूष के पिता काफी खुश हैं. मरीज के पिता मुकेश ने बताया कि अगर वह सही समय पर रिम्स अस्पताल नहीं पहुंचते तो शायद आज उनका बच्चा उनके साथ नहीं होता. लेकिन रिम्स में डॉक्टर पीके भट्टाचार्य के टीम के द्वारा बेहतर इलाज किए जाने की वजह से उनका बच्चा फिर से स्वस्थ होकर उनके साथ उनके घर जा रहा है. उन्होंने बताया कि जब रिम्स में उसका बच्चा एडमिट हुआ था, तब वो वेंटिलेटर पर था. लेकिन आज उसे ना तो किसी ऑक्सीजन की जरूरत है और ना ही किसी प्रकार की परेशानी हो रही है धीरे धीरे वो ठीक हो रहा है. उन्होंने रिम्स अस्पताल और वहां के डॉक्टरों का धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि रिम्स अस्पताल निश्चित ही गरीबों के लिए एक वरदान है.

Last Updated :Jan 19, 2022, 4:39 PM IST
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