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SHO Accused of Negligence in FIR: एफआईआर में लापरवाही पर दो थानेदारों पर कार्रवाई की अनुशंसा, ग्रामीण एसपी ने पाया दोषी

रांची में थानेदारों पर कार्रवाई होगी. इसको लेकर महकमे से इसी अनुशंसा की गयी है. रातू थाना के दोनों थानेदारों पर एफआईआर में लापरवाही बरतने के मामले में ग्रामीण एसपी ने उन्हें दोषी पाया. ये पूरा मामला रातू थाना क्षेत्र का है और जमीन विवाद से जुड़ा है, जिसकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में भी की गयी थी.

Recommendation of action on two SHO of Ratu Police Station in Ranchi
रांची के रातू थाने के दो एसएचओ पर कार्रवाई की संस्तुति
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Published : Feb 2, 2023, 11:40 AM IST

रांचीः जमीन विवाद से जुड़े मामले की शिकायत आने के बावजूद मामले में कोई संज्ञान नहीं लेने को लेकर रांची के दो थाना प्रभारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. मामले की जांच कर रहे रांची ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने अपनी रिपोर्ट में दोनों ही थाना प्रभारी प्रभारी ऊपर कार्रवाई की अनुशंसा की है. इस मामले में पीड़ित पक्ष ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत की थी.

इसे भी पढ़ें- BSL Quarters Illegally Occupied: कांग्रेस जिलाध्यक्ष का बीएसएल आवास पर अवैध कब्जा, क्वार्टर नं. 41 में खोला दफ्तर

रातू थाना से जुड़ा है मामलाः पूरा मामला रांची के रातू थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. ग्रामीण एसपी नौशाद अलाम ने यहां के पूर्व थानेदार आभास कुमार और वर्तमान थानेदार सपन महता दोनों पर ही कार्रवाई की अनुशंसा की है. ग्रामीण एसपी ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि रातू के रहने वाले बिरसा उरांव अपनी जमीन पर बाउंड्री वॉल का निर्माण कर रहे थे, इस दौरान कुछ लोगों ने उनके बाउंड्री को तोड़ दिया और उनके साथ मारपीट की. मारपीट करने वाले उपद्रवियों ने उस दौरान जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए उनके साथ गाली-गलौच भी किया था.

तत्कालीन थाना प्रभारी ने नहीं किया एफआईआरः 2 जुलाई 2022 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए बिरसा उरांव रातू थाना पहुंचा. लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी आभाष कुमार ने पूरे मामले में लीपापोती करते हुए एफआईआर दर्ज नहीं की और बिरसा को थाना से लौटा दिया. इस दौरान थाना प्रभारी ने पीड़ित को यह कहकर लौटा दिया कि जमीन विवाद का मामला है इसका निदान अंचल के दफ्तर में जाकर करें.

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायतः रातू थाना में कोई सुनवाई ना होता देख बिरसा अपनी शिकायत लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में पहुंच गए, जिसके बाद आयोग ने रांची एसएसपी से सवाल जबाब भी किया. इसके बाद पूरे मामले की जांच रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम को दी गई. उन्होंने अपनी जांच में वर्तमान और पूर्व दोनों थाना प्रभारियों को मामले में लापरवाही बरतने का दोषी पाया और दोनों पर कार्रवाई के लिए अनुशंसा की है.

डीएसपी पर कुछ नहीं लिखाः इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह है कि डीएसपी हेड क्वार्टर 1 ने भी इस पूरे मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. लेकिन अपनी जांच रिपोर्ट में ग्रामीण एसपी ने उन पर किसी भी तरह की कोई भी कार्रवाई की अनुशंसा नहीं की है. वरीय अधिकारियों के आदेश पर तत्कालीन थाना प्रभारी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज किया पर ग्रामीण एसपी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि एफआईआर में उचित धाराएं नहीं लगाई गयी. ऐसे में लापरवाही वर्तमान थाना प्रभारी के द्वारा भी बरती गई है.

रांचीः जमीन विवाद से जुड़े मामले की शिकायत आने के बावजूद मामले में कोई संज्ञान नहीं लेने को लेकर रांची के दो थाना प्रभारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. मामले की जांच कर रहे रांची ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने अपनी रिपोर्ट में दोनों ही थाना प्रभारी प्रभारी ऊपर कार्रवाई की अनुशंसा की है. इस मामले में पीड़ित पक्ष ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत की थी.

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रातू थाना से जुड़ा है मामलाः पूरा मामला रांची के रातू थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. ग्रामीण एसपी नौशाद अलाम ने यहां के पूर्व थानेदार आभास कुमार और वर्तमान थानेदार सपन महता दोनों पर ही कार्रवाई की अनुशंसा की है. ग्रामीण एसपी ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि रातू के रहने वाले बिरसा उरांव अपनी जमीन पर बाउंड्री वॉल का निर्माण कर रहे थे, इस दौरान कुछ लोगों ने उनके बाउंड्री को तोड़ दिया और उनके साथ मारपीट की. मारपीट करने वाले उपद्रवियों ने उस दौरान जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए उनके साथ गाली-गलौच भी किया था.

तत्कालीन थाना प्रभारी ने नहीं किया एफआईआरः 2 जुलाई 2022 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए बिरसा उरांव रातू थाना पहुंचा. लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी आभाष कुमार ने पूरे मामले में लीपापोती करते हुए एफआईआर दर्ज नहीं की और बिरसा को थाना से लौटा दिया. इस दौरान थाना प्रभारी ने पीड़ित को यह कहकर लौटा दिया कि जमीन विवाद का मामला है इसका निदान अंचल के दफ्तर में जाकर करें.

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायतः रातू थाना में कोई सुनवाई ना होता देख बिरसा अपनी शिकायत लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में पहुंच गए, जिसके बाद आयोग ने रांची एसएसपी से सवाल जबाब भी किया. इसके बाद पूरे मामले की जांच रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम को दी गई. उन्होंने अपनी जांच में वर्तमान और पूर्व दोनों थाना प्रभारियों को मामले में लापरवाही बरतने का दोषी पाया और दोनों पर कार्रवाई के लिए अनुशंसा की है.

डीएसपी पर कुछ नहीं लिखाः इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह है कि डीएसपी हेड क्वार्टर 1 ने भी इस पूरे मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. लेकिन अपनी जांच रिपोर्ट में ग्रामीण एसपी ने उन पर किसी भी तरह की कोई भी कार्रवाई की अनुशंसा नहीं की है. वरीय अधिकारियों के आदेश पर तत्कालीन थाना प्रभारी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज किया पर ग्रामीण एसपी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि एफआईआर में उचित धाराएं नहीं लगाई गयी. ऐसे में लापरवाही वर्तमान थाना प्रभारी के द्वारा भी बरती गई है.

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