ETV Bharat / state

285 साल पहले अंग्रेज अफसर ने की थी प्राचीन तपोवन मंदिर की स्थापना, जानिए रामनवमी से जुड़ी क्या है मान्यता

author img

By

Published : Apr 9, 2022, 4:09 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 7:03 PM IST

रांची का तपोवन मंदिर 285 साल पुराना है. इसकी स्थापना एक अंग्रेज अफसर ने की थी. लेकिन एक अंग्रेज ने हिंदू शिव मंदिर की स्थापना क्यों की, इसको लेकर राजधानी में प्रचलित किंवदंती है. साथ ही तपोवन मंदिर में रामनवमी से जुड़ी भी एक मान्यता है. जानने के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट

special-importance-of-tapovan-temple-in-ram-navami-in-ranchi
प्राचीन तपोवन मंदिर

रांचीः राजधानी के निवारणपुर का प्राचीन तपोवन मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है. लगभग 285 वर्ष पुराने इस मंदिर में रामनवमी के अवसर पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. हर वर्ष अपर बाजार के महावीर मंदिर से विभिन्न अखाड़ों द्वारा निकाला जाने वाला रामनवमी का जुलूस बगैर तपोवन मंदिर की यात्रा किए पूर्ण नहीं माना जाता.

इसे भी पढ़ें- ऐतिहासिक है रांची का श्रीराम-जानकी तपोवन मंदिर, रामनवमी पर14 सौ से अधिक महावीरी पताका का यहां होता है मिलन


इस दिन तपोवन मंदिर में रामनवमी को लेकर अखाड़ों में सुबह पूजा अर्चना के बाद विशाल महावीरी पताकाओं के साथ जुलूस निकाले जाते हैं. ढोल नगाड़ों की गूंज के बीच विभिन्न अखाड़ों के जुलूस एक दूसरे से मिलते हुए विशाल शोभा यात्रा के रूप में तपोवन मंदिर पहुंचते हैं. तपोवन मंदिर के महंत ओमप्रकाश शरण कहते हैं कि यहां पहली बार 1929 में महावीरी झंडे की पूजा हुई थी, जो महावीर चौक के प्राचीन हनुमान मंदिर से वहां ले जाया गया था.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

तत्कालीन महंत बंकटेश्वर दास ने जुलूस का स्वागत और झंडे का पूजन किया था, उसी दिन से यह परंपरा शुरू हुई थी. इस वर्ष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होने की संभावना को देखते हुए मंदिर में व्यापक प्रबंध किए गए हैं जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो. मंदिर में दर्शन और पूजन सुबह से ही भक्तों द्वारा कतारबद्ध होकर की जाएगी और स्वयंसेवक श्रद्धालुओं की मदद करेंगे. रामनवमी को लेकर तपोवन मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है.

आकर्षक ढंग से सजा तपोवन मंदिरः रांची समेत झारखंड में रामनवमी खास तरीके से मनाया जाता है. इसको लेकर महावीरी पताका से राजधानी रांची पटी हुई है. इस अवसर पर अपर बाजार स्थित महावीर मंदिर से अलबर्ट एक्का चौक श्रीराम मंदिर होते हुए निवारणपुर के तपोवन मंदिर तक निकलने वाले इस जुलूस में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. रामनवमी के मौके पर जय श्रीराम के जयघोष से राजधानी का चप्पा चप्पा गूंजने की संभावना है. यह जुलूस इस बार भी उसी अंदाज में दिखेगा जो कोरोनाकाल से पहले नजर आते थे. राज्य सरकार ने भी कोरोना गाइडलाइन में बदलाव करते हुए धार्मिक जुलूस निकालने का समय रात 10 बजे तक कर दिया है, जिससे भक्तों का उत्साह है.

इसे भी पढ़ें- रांची का तपोवन मंदिर है खास, रामनवमी पर उमड़ी है श्रद्धालुओं की भीड़


अंग्रेज अधिकारी ने की थी शिव मंदिर की स्थापनाः वर्तमान समय में जिस जगह पर तपोवन मंदिर स्थित है, वह शुरुआती समय में जंगल था. इस स्थल पर सर्वप्रथम बकटेश्वर महाराज तपस्या किया करते थे. किंवदंतियों के अनुसार उस दौरान जंगली जीव जन्तु भी उनके भजन के वक्त आ जाते थे. इसी दौरान एक दिन अंग्रेज अधिकारी ने बाघ को गोली मार दी, जिससे क्रोधित होकर बाबा ने उन्हें प्रायश्चित के रूप में शिव मंदिर की स्थापना करने को कहा, जो आज भी अंग्रेज द्वारा स्थापित इस परिसर में शिव लिंग मौजूद है.

तपोवन मंदिर के महंत ओमप्रकाश शरण कहते हैं कि यह तप की भूमि है, जिसके गर्भ से सैकड़ों वर्ष पूर्व रामलला और माता सीता की मूर्ति मिली थी जो आज भी मौजूद है. इतना ही नहीं रातू महाराज के किला से हनुमानजी की मूर्ति भी पूर्वजों द्वारा लाई गई है. इसी तरह से अन्य देवी देवता भी यहां विराजते हैं जिसके कारण लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. यहां आनेवाले श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी मन्नत लोग यहां मानते हैं वह जरूर पूरी होती है.

10 अप्रैल को रामनवमीः भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव झारखंड में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. कोरोना के कारण पिछले दो वर्ष से रामनवमी श्रद्धालु परंपरागत रूप से नहीं मना सके थे. लेकिन इस बार दोगुना उत्साह के साथ भक्त राम लला का जन्मोत्सव मनाने की तैयारी में हैं. बता दें कि हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है. इस वर्ष रविवार यानी 10 अप्रैल को रामनवमी मनाया जाएगा.

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था. त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुनर्स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्रीराम के रूप में अवतार लिया था. इस अवसर पर घर से लेकर मंदिरों और शहर की गलियों तक में जुलूस निकालने की परंपरा रही है.

Last Updated : Apr 9, 2022, 7:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.