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उत्तराखंड में फंसे मजदूर बेदिया परिवार को अपनों के घर लौटने का इंतजार, कहा- पुत्र के घर लौटने पर मनाएंगे उत्सव

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 24, 2023, 3:57 PM IST

Three workers from Khidabeda village of Ranchi trapped. उत्तराखंड सुरंग हादसे में रांची के खिड़ाबेड़ा गांव के तीन मजदूर फंसे हैं. अनिल बेदिया, सुखराम बेदिया और राजेंद्र बेदिया के परिवार को उनके सकुशल लौटने का इंतजार है. इनके परिवार वालों से बात की ईटीवी भारत संवाददाता हितेश कुमार चौधरी ने.

Ranchi Khidabeda village three workers trapped after Uttarakhand tunnel accident
उत्तराखंड सुरंग हादसे में रांची के खिड़ाबेड़ा गांव के तीन मजदूर फंसे

रांची के खिड़ाबेड़ा गांव ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट, टनल में फंसे मजदूर के परिवार से खास बातचीत

रांची: उत्तराखंड में फंसे मजदूर का रेस्क्यू किया जा रहा है. उत्तरकाशी सिल्क्यारा सुरंग हादसा के बाद 41 मजदूर वहां फंसे हैं. इनमें झारखंड के 15 मजदूर भी टनल के अंदर मौजूद है. इनमें से तीन मजदूर ऐसे हैं जो राजधानी रांची के रहने वाले हैं. रांची के खिड़ाबेड़ा गांव के रहने वाले अनिल बेदिया, सुखराम बेदिया और राजेंद्र बेदिया मजदूर के नाम शामिल हैं. इनके परिवार वालों से बात की ईटीवी भारत संवाददाता हितेश कुमार चौधरी ने.

शुक्रवार को ईटीवी भारत की टीम खिड़ाबेड़ा गांव पहुंचकर उत्तरकाशी के टनल में फंसे मजदूर बेदिया परिवार के साथ दर्द साझा किया और उनका हाल जाना. मीडिया को देखकर परिवार का दर्द फूट पड़ा, उन्होंने कैमरे के सामने अपना दर्द साझा किया और उनके परिजनों के सुरंग से सकुशल निकलने की कामना की. तीनों बेदिया परिवार के इसी इंतजार में हैं कि कब उन्हें ये खुशखबरी मिले कि उनके अपने टनल से बाहर सुरक्षित निकल गये हैं.

राजेंद्र बेदिया के लाचार और दिव्यांग पिता सरवन बेदिया ने ईटीवी भारत के साथ अपना दर्द साझा किया. उन्होंने बताया कि 12 नवंबर के दिन जैसे ही उन्हें यह सूचना मिली कि उनका बेटा टनल के अंदर फंस गया है. इसके बाद उनके पूरे घर और गांव में मातम पसर गया, घरों में दीपावली और छठ पूजा पूरी तरह से नीरस हो गया. परिवार वालों में ना तो उत्साह नजर और ना ही खुशी, हर किसी की जुबान पर यही दुआ थी कि उनके अपने सुरक्षित हों.

टनल में फंसे मजदूर राजेंद्र बेदिया की मां फुल कुमारी देवी बताती हैं कि राजेंद्र उनका इकलौता बेटा है और उनके परिवार का सहारा है. वह इस इंतजार में है कि जिस दिन उसके बेटे के निकलने की सूचना मिलेगी उसे दिन ही वह अपने घर में दीपावली मनाएंगे.

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