रांची: निजी अस्पताल में इलाज के बाद पैसे की लेनदेन को लेकर आए दिन विवाद देखने को मिलता है. ऐसा ही मामला बीते शनिवार को राजधानी के बड़े निजी अस्पताल में देखने को मिला. राजधानी के बड़े अस्पताल में से एक हिलव्यू हॉस्पिटल में देर शाम अजय कुमार के पिता शंकर कुमार की मौत हो जाने के बाद घंटों तक उसके शव को इसलिए रखा गया क्योंकि करीब डेढ़ लाख रुपए बकाये थे (Hospital kept patient dead body for dues fees).
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मृतक शंकर के पुत्र अजय ने बताया कि पिछले 14 दिनों से उसके पिता का इलाज अस्पताल में हो रहा था, करीब 3 लाख 70 हजार का बिल बनाया गया. अजय ने बताया कि उनकी तरफ से लगभग डेढ़ लाख रुपए दे दिए गए हैं लेकिन, अभी भी डेढ़ लाख रुपए की मांग की जा रही है. परिजन की तरफ से स्थानीय लोग भी अस्पताल पहुंचे और मरीज के शव की मांग करने लगे.
बरियातू थाना पहुंचे परिजन: लोगों की मांग पर अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि यदि मृतक के परिजन अभी पैसे नहीं दे सकते तो वह एग्रीमेंट भर दें और एक तय समय के भीतर पूरा पेमेंट कर दे लेकिन, अस्पताल प्रबंधन की इस मांग पर परिजनों ने साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनके पास एक भी पैसे नहीं है, क्योंकि कमाने वाला ही मर गया तो फिर वे पैसे कहां से देंगे. करीब छह घंटे के रस्साकशी के बाद परिजन मदद के लिए बरियातू थाना पहुंचे लेकिन, बरियातू थाना की तरफ से भी उन्हें पैसे जमा करने का सुझाव दिया गया. जब थाना से भी बात नहीं बनी तो परिजन अस्पताल में ही बैठकर शव की मांग करने लगे.
प्रबंधन ने क्या कहा: पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन की तरफ से वसीम ने बताया कि यदि परिजन एग्रीमेंट करते हैं तो उनके शव को तुरंत छोड़ दिया जाएगा लेकिन, परिजनों की मजबूरी को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने अपना मन बदल लिया और डेढ़ लाख की जगह महज 20 हजार के भुगतान पर शव को परिजनों को सौंप दिया.
पैसे को लेकर अस्पताल में घंटों पड़ा रहा शव, परिजनों की लाचारी देख पसीजा प्रबंधन का दिल
रांची: निजी अस्पताल में इलाज के बाद पैसे की लेनदेन को लेकर आए दिन विवाद देखने को मिलता है. ऐसा ही मामला बीते शनिवार को राजधानी के बड़े निजी अस्पताल में देखने को मिला. राजधानी के बड़े अस्पताल में से एक हिलव्यू हॉस्पिटल में देर शाम अजय कुमार के पिता शंकर कुमार की मौत हो जाने के बाद घंटों तक उसके शव को इसलिए रखा गया क्योंकि करीब डेढ़ लाख रुपए बकाये थे (Hospital kept patient dead body for dues fees).
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मृतक शंकर के पुत्र अजय ने बताया कि पिछले 14 दिनों से उसके पिता का इलाज अस्पताल में हो रहा था, करीब 3 लाख 70 हजार का बिल बनाया गया. अजय ने बताया कि उनकी तरफ से लगभग डेढ़ लाख रुपए दे दिए गए हैं लेकिन, अभी भी डेढ़ लाख रुपए की मांग की जा रही है. परिजन की तरफ से स्थानीय लोग भी अस्पताल पहुंचे और मरीज के शव की मांग करने लगे.
बरियातू थाना पहुंचे परिजन: लोगों की मांग पर अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि यदि मृतक के परिजन अभी पैसे नहीं दे सकते तो वह एग्रीमेंट भर दें और एक तय समय के भीतर पूरा पेमेंट कर दे लेकिन, अस्पताल प्रबंधन की इस मांग पर परिजनों ने साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनके पास एक भी पैसे नहीं है, क्योंकि कमाने वाला ही मर गया तो फिर वे पैसे कहां से देंगे. करीब छह घंटे के रस्साकशी के बाद परिजन मदद के लिए बरियातू थाना पहुंचे लेकिन, बरियातू थाना की तरफ से भी उन्हें पैसे जमा करने का सुझाव दिया गया. जब थाना से भी बात नहीं बनी तो परिजन अस्पताल में ही बैठकर शव की मांग करने लगे.
प्रबंधन ने क्या कहा: पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन की तरफ से वसीम ने बताया कि यदि परिजन एग्रीमेंट करते हैं तो उनके शव को तुरंत छोड़ दिया जाएगा लेकिन, परिजनों की मजबूरी को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने अपना मन बदल लिया और डेढ़ लाख की जगह महज 20 हजार के भुगतान पर शव को परिजनों को सौंप दिया.