मसानजोर डैम पर बंगाल कर रहा मनमानी, हस्तक्षेप करे केंद्र सरकार: महेश पोद्दार

author img

By

Published : Jun 24, 2019, 5:37 PM IST

महेश पोद्दार (फाइल फोटो) ()

झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच मसानजोर डैम के विवाद पर राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने सदन में मामला उठाया. उन्होंने केंद्र सरकार पर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की.

रांची: राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने मसानजोर डैम को लेकर झारखंड और बंगाल के बीच जारी विवाद के निपटारे के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है. पोद्दार ने सोमवार को राज्यसभा में शून्यकाल के तहत यह मामला उठाया. उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार मसानजोर डैम निर्माण से पूर्व एवं बाद में तत्कालीन अविभाजित बिहार की सरकार के साथ हुए करार के किसी एक बिन्दु का भी अनुपालन नहीं कर रही है.

सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि मसानजोर डैम बनते समय बिहार और बंगाल के बीच 12 मार्च 1949 को मयूराक्षी जल बंटवारा पर पहला समझौता हुआ था. करार में मसानजोर जलाशय से तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में 81000 हेक्टेयर जमीन की खरीफ फसल और 1050 हेक्टेयर पर रबी फसल की तथा पश्चिम बंगाल में 226720 हेक्टेयर खरीफ और 20240 हेक्टेयर रबी फसलों की सिंचाई होने का प्रावधान किया गया था. समझौता के अनुसार निर्माण, मरम्मत तथा विस्थापन का पूरा व्यय बंगाल सरकार को वहन करना है| इतना ही नहीं विस्थापितों को सिंचित जमीन भी देनी थी.

1978 में हुआ था दूसरा समझौता
दूसरा समझौता 19 जुलाई 1978 को हुआ था, मसानजोर डैम को लेकर बंगाल और बिहार सरकार के बीच एक करार हुआ था. करार दस बिंदुओं पर हुआ था लेकिन, बंगाल सरकार की तरफ से करार की एक भी शर्त पूरी नहीं की गई. इस करार में मयूराक्षी के अलावा इसकी सहायक नदियों सिद्धेश्वरी और नूनबिल के जल बंटवारा को भी शामिल किया गया था.इसके अनुसार मसानजोर डैम का जलस्तर कभी भी 363 फीट से नीचे नहीं आये, इसका ध्यान बंगाल सरकार को पानी लेते समय हर हालत में रखना था. ताकि झारखंड के दुमका की सिंचाई प्रभावित नहीं हो. बंगाल सरकार को एक अतिरिक्त सिद्धेश्वरी-नूनबिल डैम बनाना था. जिसमें झारखंड के लिए डैम के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का 10000 एकड़ फीट पानी दुमका जिला के रानीश्वर क्षेत्र के लिए रिजर्व रखना था. सिंचाई आयोग ने पाया था कि मसानजोर डैम के पानी का जलस्तर हर साल 363 फीट से काफी नीचे आ जाता था. क्योंकि बंगाल डैम से ज्यादा पानी लेता था, मसानजोर डैम से दुमका जिला की सिंचाई के लिए पंप लगे थे, वे हमेशा खराब रहते थे, जबकि इनकी मरम्मत बंगाल सरकार को करनी है. इस एग्रीमेंट में यह भी स्पष्ट वर्णित है कि यदि बंगाल सरकार एग्रीमेंट का अनुपालन नहीं करती है तो डैम के ऑर्बिट्रेटर सुप्रीम कोर्ट के जज होंगे.

ये भी पढ़ें- मध्य प्रदेश के पूर्व CM शिवराज सिंह चौहान पहुंचे रांची, सदस्यता अभियान पर करेंगे चर्चा

चार दशक के बाद भी बंगाल सरकार नहीं फॉलो कर रही है एग्रीमेंट
एग्रीमेंट हुए 40 साल बीत गये, बंगाल सरकार ने करार के मुताबिक़ न तो दो नए डैम बनाए, न बिजली दे रही है और न पानी.1991 में गठित द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की उपसमिति ने तत्कालीन बिहार राज्य और पड़ोसी राज्यों तथा नेपाल के बीच हुए द्विपक्षीय/ त्रिपक्षीय समझौतों पर पुनर्विचार किया था. इनमें संशोधन-परिवर्द्धन का सुझाव दिया था, आयोग ने अपनी अनुशंसा में तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) सरकार को स्पष्ट सुझाव दिया था कि इन समझौतों में इस राज्य के हितों की उपेक्षा हुई है और जनहित में इनपर नये सिरे से विचार होना आवश्यक है. द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की अनुशंसाओं पर अमल करने मे भी रुचि नहीं दिखायी गयी.

अभी भी है बंगाल का नियंत्रण
मसानजोर बांध में झारखंड के दुमका जिला की 19000 एकड़ जमीन सन्निहित है, 12000 एकड़ खेती लायक जमीन जलमग्न है,144 मौजे समाहित हैं. इसके बावजूद इस पर झारखंड का कोई जोर नहीं चलता है. इस पर मालिकाना हक सिंचाई एवं नहर विभाग, बंगाल सरकार का है. पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार 1950 में हुए पश्चिम बंगाल सरकार और बिहार सरकार के बीच हुए समझौते के तहत यह डैम (बांध) भले ही झारखंड के दुमका में है, लेकिन इस पर नियंत्रण पश्चिम बंगाल सरकार का है.

Intro:
रांची। झारखण्ड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने मसानजोर डैम को लेकर झारखण्ड और बंगाल के बीच जारी विवाद के निपटारे के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है| पोद्दार ने सोमवार को राज्यसभा में शून्यकाल के तहत यह मामला उठाया| उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार मसानजोर डैम निर्माण से पूर्व एवं बाद में तत्कालीन अविभाजित बिहार की सरकार के साथ हुए करार के किसी एक विन्दु का भी अनुपालन नहीं कर रही है|
उन्होंने कहा कि मसानजोर डैम बनते समय बिहार और बंगाल के बीच 12 मार्च 1949 को मयूराक्षी जल बंटवारा पर पहला समझौता हुआ था| करार में मसानजोर जलाशय से तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में 81000 हेक्टेयर जमीन की खरीफ फसल और 1050 हेक्टेयर पर रबी फसल की तथा पश्चिम बंगाल में 226720 हेक्टेयर खरीफ और 20240 हेक्टेयर रबी फसलों की सिंचाई होने का प्रावधान किया गया था| समझौता के अनुसार निर्माण, मरम्मत तथा विस्थापन का पूरा व्यय बंगाल सरकार को वहन करना है| इतना ही नहीं विस्थापितों को सिंचित जमीन भी देनी थी|

1978 में हुआ था दूसरा समझौता
दूसरा समझौता 19 जुलाई 1978 को हुआ था। मसानजोर डैम को लेकर बंगाल और बिहार सरकार के बीच एक करार हुआ था। करार दस बिंदुओं पर हुआ था| लेकिन, बंगाल सरकार की तरफ से करार की एक भी शर्त पूरी नहीं की गयी|
इस करार में मयूराक्षी के अलावा इसकी सहायक नदियों सिद्धेश्वरी और नूनबिल के जल बंटवारा को भी शामिल किया गया था| इसके अनुसार मसानजोर डैम का जलस्तर कभी भी 363 फीट से नीचे नहीं आये, इसका ध्यान बंगाल सरकार को पानी लेते समय हर हालत में रखना था, ताकि झारखंड के दुमका की सिंचाई प्रभावित नहीं हो| बंगाल सरकार को एक अतिरिक्त सिद्धेश्वरी-नूनबिल डैम बनाना था, जिसमें झारखंड के लिए डैम के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का 10000 एकड़ फीट पानी दुमका जिला के रानीश्वर क्षेत्र के लिए रिजर्व रखना था| सिंचाई आयोग ने पाया था कि मसानजोर डैम के पानी का जलस्तर हर साल 363 फीट से काफी नीचे आ जाता था, क्योंकि बंगाल डैम से ज्यादा पानी लेता था| मसानजोर डैम से दुमका जिला की सिंचाई के लिए पंप लगे थे, वे हमेशा खराब रहते थे, जबकि इनकी मरम्मत बंगाल सरकार को करनी है|
इस एग्रीमेंट में यह भी स्पष्ट वर्णित है कि यदि बंगाल सरकार एग्रीमेंट का अनुपालन नहीं करती है तो डैम के ऑर्बिट्रेटर सुप्रीम कोर्ट के जज होंगे|

Body:चार दशक के बाद भी बंगाल सरकार नहीं फॉलो कर रही है एग्रीमेंट
एग्रीमेंट हुए 40 साल बीत गये, बंगाल सरकार ने करार के मुताबिक़ न तो दो नए डैम बनाए, न बिजली दे रही है और न पानी|
1991 में गठित द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की उपसमिति ने तत्कालीन बिहार राज्य और पड़ोसी राज्यों तथा नेपाल के बीच हुए द्विपक्षीय/ त्रिपक्षीय समझौतों पर पुनर्विचार किया था और इनमें संशोधन-परिवर्द्धन का सुझाव दिया था| आयोग ने अपनी अनुशंसा में तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) सरकार को स्पष्ट सुझाव दिया था कि इन समझौतों में इस राज्य के हितों की उपेक्षा हुई है और जनहित में इनपर नये सिरे से विचार होना आवश्यक है| द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की अनुशंसाओं पर अमल करने मे भी रुचि नहीं दिखायी गयी|

Conclusion:अभी भी है बंगाल का नियंत्रण
मसानजोर बाँध में झारखंड के दुमका जिला की 19000 एकड़ जमीन सन्निहित है, 12000 एकड़ खेती लायक जमीन जलमग्न है, 144 मौजे समाहित हैं| इसके बावजूद इस पर झारखंड का कोई जोर नहीं चलता है। इस पर मालिकाना हक सिंचाई एवं नहर विभाग, बंगाल सरकार का है। पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार 1950 में हुए पश्चिम बंगाल सरकार और बिहार सरकार के बीच हुए समझौते के तहत यह डैम (बांध) भले ही झारखंड के दुमका में है, लेकिन इस पर नियंत्रण पश्चिम बंगाल सरकार का है|
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.