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महागठबंधन की सरकार में रार! कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और कोआर्डिनेशन कमिटी को लेकर राजनीति जारी

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Published : Apr 24, 2022, 9:23 PM IST

Updated : Apr 24, 2022, 10:35 PM IST

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झारखंड में राजनीति

विभिन्न मुद्दों को लेकर झारखंड में राजनीति जारी है. महागठबंधन की सरकार में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और कोआर्डिनेशन कमिटी को लेकर राजनीति जारी है. विपक्ष का आरोप है कि इस महागठबंधन में कॉमन प्रोग्राम की जगह व्यक्तिगत एजेंडा हावी है. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ईद के बाद कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और कॉर्डिनेशन कमिटी बनाने का दावा किया है.

रांचीः झारखंड में कांग्रेस, राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा की महागठबंधन की सरकार अपने कार्यकाल के लगभग आधा समय पूरा करने वाली है. लेकिन अभी तक तीन दलों की सरकार एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और कोआर्डिनेशन कमिटी नहीं बना पाई है. इसको लेकर झारखंड में राजनीति जारी है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है.

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झारखंड कांग्रेस प्रभारी बनने के बाद अविनाश पांडे ने एक महीने के अंदर सीएमपी और कोआर्डिनेशन कमिटी बन जाने की बात कही थी. 25 जनवरी 2022 को तत्कालीन प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो जाने के बाद पार्टी अध्यक्ष ने विकट परिस्थितियों में झारखंड की कमान संगठनकर्ता अविनाश पांडे को सौंप दी गयी. उसके बाद अपने पहले झारखंड दौरे में अविनाश पांडे ने राज्य में बेहतर तरीके से सरकार चलाने के लिए कोआर्डिनेशन कमिटी और तीनों दलों के चुनावी घोषणापत्र के आधार पर सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम एक महीने में बनाने की बात कही थी.

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गठबंधन की सरकार पर भाजपा का तंजः कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी द्वारा जल्द से जल्द कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और कोआर्डिनेशन कमिटी बनाने की घोषणा के बावजूद अभी तक मुख्यमंत्री और झामुमो की ओर से कोई सार्थक कदम नहीं उठाने पर बीजेप ने तंज कसा है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि इस सरकार में कॉमन नहीं बल्कि व्यक्तिगत एजेंडा हावी है. वहीं प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि जब इंसान का व्यक्तिगत एजेंडा की हावी रहे तो कॉमन एजेंडे की बात बेमानी है. यही वजह है कि कांग्रेस के प्रभारी के कई बार कहने के बाद भी मुख्यमंत्री इस पर चर्चा को तैयार नहीं हैं.

अगले महीने तक सबकुछ तय होने की उम्मीद- आलमगीर आलमः मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा द्वारा तंज कसने पर कांग्रेस विधायक दल के नेता और संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम कहते हैं की देरी की वजह यह है कि जब उनके प्रभारी ने सीएमपी और कोऑर्डिनेशन कमिटी की बात की, उसके बाद विधानसभा का बजट सत्र आहूत हो गया. इसके साथ साथ राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की व्यस्तता थी कांग्रेस पार्टी ने भी कई कार्यक्रम तय कर दिए थे और उनके प्रभारी अविनाश पांडे भी व्यस्त थे. इसी वजह से सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय होने में कुछ वक्त लग गया है. मंत्री आलमगीर आलम ने उम्मीद जताई है कि अगले महीने में ईद के बाद इस पर फैसला होने की उम्मीद है.

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झामुमो का जवाब अभी-भी गोलमोलः महागठबंधन की सरकार के लिए तीनों सत्तारूढ़ दल झामुमो, कांग्रेस और राजद के चुनावी घोषणा पत्र पर आधारित न्यूनतम साझा कार्यक्रम और कोऑर्डिनेशन कमिटी में देरी को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा का जवाब अभी-भी गोलमोल ही है. कांग्रेस विधायक दल के नेता के आश्वासन पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का जवाब इतना भी सीधा नहीं है. पार्टी के केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडे कहते हैं कि सरकार में कोआर्डिनेशन की कोई कमी नहीं है और न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर भी कहीं कोई किंतु परंतु नहीं है. राज्य को एक बेहतर शासन व्यवस्था देना और झारखंडी जनभावनाओं के अनुरूप काम करना ही सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम है. मनोज पांडे कहते हैं कि फिर भी सहयोगी दलों को लगता है कि कोआर्डिनेशन कमिटी और सीएमपी जरूरी है तो मिलकर वो भी कर लिया जाएगा.

Last Updated :Apr 24, 2022, 10:35 PM IST
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