झारखंड में 5G नेटवर्क से बढ़ेगी साइबर अपराधियों की ताकत या पुलिस की राह होगी आसान, जानिए इस रिपोर्ट में

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Published : Jan 8, 2023, 8:09 AM IST

Police preparing to deal with cyber criminals regarding 5G network in Jharkhand
झारखंड में 5G नेटवर्क आने को लेकर साइबर अपराधियों से निपटने की तैयारी में पुलिस ()

झारखंड में साइबर अपराध तेजी से बढ़े रहे हैं. अब पुलिस के सामने नई चुनौतियां हैं, क्योंकि झारखंड में 5G नेटवर्क का आगमन हो रहा है. 5G नेटवर्क की शुरुआत होने से साइबर अपराधियों के लिए भी बड़ा मौका होगा है क्योंकि वो 5G का इस्तेमाल कर ठगी में तेजी ला सकते हैं. लेकिन इसके लिए पुलिस अभी से तैयारी में जुट गयी है. साइबर अपराध को रोकने के लिए विशेष टीम का गठन कर पुलिस अधिकारियों को साइबर ट्रेनिंग दी जा रही है. क्या है झारखंड पुलिस की तैयारी, जानिए ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट में.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

रांचीः झारखंड साइबर अपराधियों का गढ़ रहा है. उनमें जामताड़ा जिला सबसे ज्यादा सक्रिय है और हालिया वक्त में देवघर और धनबाद भी साइबर क्राइम का हॉट स्पॉट बन चुका है. जहां घर बैठे-बैठे 2G और 4G नेटवर्क के इस्तेमाल से ही लोगों के खाते से पैसे उड़ाए जा रहे हैं. ऐसे में झारखंड में 5G नेटवर्क का आगमन साइबर अपराधियों के लिए शायद एक बड़ा मौका बनेगा. जो पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने वाला है.

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हालांकि 5G साइबर अपराधियों के लिए कितना मददगार होगा यह भविष्य की बात है. लेकिन झारखंड पुलिस अभी से 5G को लेकर अपनी तैयारियों में जुट गई है. जिसमें साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के तौर-तरीकों को और धार दिया जा रहा है. क्योंकि साइबर अपराधी अगर 5G का इस्तेमाल कर ठगी करें तो उस पर नकेल भी उसी रफ्तार के साथ कसी जा सके.


फायदे के साथ नुकसान भी देगा 5G नेटवर्कः भारत में 5G नेटवर्क की शुरुआत हो चुकी है, आने वाले समय में यह झारखंड में भी शुरू किया जाने वाला है. जानकार बताते हैं कि 5G सेवा शुरू होने के बाद डाटा नेटवर्क की स्पीड 2 जीबी से बढ़कर 20 जीबी प्रति सेकेंड तक होने की उम्मीद है. एक तरफ 5G नेटवर्क के फायदों को लेकर लोग उत्साहित हैं, दूसरी तरफ साइबर अपराधियों के चलते इसके कई दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं.

यह सभी जानते हैं कि नई तकनीक नए फायदों के साथ-साथ नई जोखिमों को भी अपने साथ लेकर आती है. यही बात 5G की तकनीक पर भी लागू होगी. मसलन 5G के साथ कई तरह के खतरे भी आएंगे, जैसे डेटा चोरी और हैकिंग के मामले तेजी के साथ बढ़ सकते हैं. क्योंकि झारखंड एक ऐसा राज्य हैं, जहां से साइबर ठगी की शुरुआत की गई थी. झारखंड का जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह और धनबाद साइबर क्राइम के हॉट स्पॉट हैं. 4G तकनीक का इस्तेमाल कर भी साइबर अपराधी हर दिन किसी न किसी को अपना शिकार बनाते हैं. ऐसे में जब झारखंड में 5G नेटवर्क शुरु होगा तो यह तय माना जा रहा है कि साइबर अपराधियों की ताकत और बढ़ेगी.

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क्या है झारखंड पुलिस की तैयारीः दूसरी तरफ झारखंड पुलिस भी 5G आने के बाद जो चुनौतियां सामने आने वाली हैं उससे निपटने की तैयारी में जुट गई है. साइबर अपराध होने से पहले ही उसकी जानकारी पुलिस को मिल सके इसे लेकर झारखंड पुलिस अपने आईटी बैकग्राउंड वाले पुलिस अफसरों को ट्रेंड कर रही है. साइबर विद्यापीठ के मदद से झारखंड पुलिस 5G नेटवर्क से आने वाली चुनौतियों के साथ-साथ साइबर अपराध को रोकने के लिए विशेष टीम तैयार कर रही है. साइबर विद्यापीठ के एक्सपर्ट्स झारखंड पुलिस के चयनित पुलिस कर्मियों को साइबर अटैक कैसे रोका जाए , साइबर अटैक होने से पहले उसका पूर्व अनुमान कैसे लगाया जाए इसकी ट्रेनिंग दे रहे है. पहले बैच में 41 पुलिस अफसरों को साइबर सुरक्षा को लेकर ट्रेंड किया जा चुका है जल्द ही दूसरा बैच भी शुरू होने वाला है.

5G सेवा शुरू होने के बाद पूरी पिक्चर होगी क्लियरः झारखंड सीआईडी के एसपी एस कार्तिक के अनुसार 5G के तकनीक में कई तरह की बाते सामने आ रही है. जब तक यह झारखंड में जमीन पर उतर नहीं जाता है, इसे लेकर कुछ ज्यादा नहीं कहा जा सकता है. लेकिन झारखंड पुलिस अपनी तैयारियों में अभी से जुट चुकी है. झारखंड पुलिस इस कोशिश में है इस टेक्नोलॉजी को पहले ही समझ लिया जाए, हम इसे लेकर लगातार होमवर्क कर रहे हैं. सीआईडी एसपी के अनुसार यह भी हो सकता है कि 5G आने के बाद यह हमारे लिए आसान भी हो सकता है, कहने का मतलब है कि हो सकता है कि यह तकनीक हमारी जांच की दिशा को और बेहतर कर दे.

डिजिटल फुट प्रिंट का रिसर्च होगा अहमः साइबर विद्यापीठ के प्रमुख एस बालाजी के अनुसार आने वाले समय मे 5G बड़ी चुनौती बनकर उभरने वाली है. 5G के आने से साइबर अटैक का खतरा भी दोगुना हो जाएगा. ऐसे में जरूरी है कि अब ऐसी तकनीकों का प्रयोग किया जाए, जिससे साइबर अपराध होने से पूर्व ही उसकी जानकारी हासिल की जा सके. एस बालाजी के अनुसार साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए अमेरिका जैसे देश हर साल तीन बिलियन डॉलर यानी 21 हजार करोड़ हर साल खर्च करती है.

बालाजी के अनुसार बिना डिजिटल फुट प्रिंट के रिसर्च के आप ऐसे अटैक को रोक नहीं सकते हैं. उनके अनुसार झारखंड पुलिस के पास कई योग्य पुलिस अफसर हैं जो आईटी बैकग्राउंड के हैं, हम उन्हें ही ट्रेंड कर रहे हैं ताकि साइबर अपराध की घटनाओं को रोका जा सके. दरअसल अब वह समय नहीं रहा कि साइबर अपराध होने के बाद उसकी जांच की जाए, अब समय ठीक विपरीत है अब हमें साइबर अपराध होने से पहले ही उसे रोकने के बिंदुओं पर कार्य करना होगा.

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