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खुलासा: नशा मुक्ति केंद्र के संचालक ने पीट-पीटकर की थी युवक की हत्या, रिंग रोड में लाश को लगा दिया ठिकाने

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Published : Aug 6, 2021, 11:06 PM IST

पिछले दिनों एक युवक की लाश बरामद हुई थी, जिसकी गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है. नशा मुक्ति केंद्र के संचालक ने युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी और रिंग रोड में लाश को ठिकाने लगा दिया था.

youth murder in ranchi
रांची में युवक की हत्या

रांची: राजधानी के तुपुदाना इलाके से नग्न अवस्था में मिले युवक के शव की पहचान हो गई है. मृतक के पहचान के साथ ही मामला भी सनसनीखेज हो गया है. पुलिस को जानकारी मिली है कि युवक की खेलगांव स्थित रिवाइव फाउंडेशन द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र में पीट-पीटकर हत्या की गई. इसके बाद रिंग रोड में ले जाकर लाश को ठिकाने लगा दिया गया. इसके बाद से नशा मुक्ति केंद्र का संचालक और अन्य व्यक्ति फरार हो गया है, पुलिस उनकी तलाश कर रही है.

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बिहार का है मृतक

जिस युवक की हत्या की गई उसका नाम सन्नी कुमार है. वह बिहार के गया का रहने वाला था. वह खेलगांव थाना क्षेत्र के खटंगा स्थित नशा मुक्ति केंद्र में रहता था. केंद के संचालकों ने ही उसे पीट-पीटकर मार डाला था. सन्नी नशे आदी था जिसकी वजह से उसे नशामुक्ति केंद्र में इलाज के लिए परिजनों द्वारा भर्ती कराया गया था. सन्नी की हत्या करने के बाद केंद्र के संचालकों ने उसके शव को रिंग रोड में एक स्थान पर फेंक दिया और भाग गए थे. पुलिस ने शव को गुरुवार को बरामद किया था.

मां ने की पहचान

इसी बीच सन्नी की मां कैली देवी गुरुवार से ही अपने पुत्र की खोजबीन कर रही थी. उसे यह जानकारी मिली कि उसका पुत्र तुपुदाना इलाके में है. इसके बाद कैली देवी सीधे तुपुदाना ओपी पहुंची. जब पुलिस ने उसे उसके पुत्र की तस्वीर दिखाई तो उसने शिनाख्त की. मामले की पूरी जानकारी लेने के बाद पुलिस संचालकों को दबोचने के लिए शुक्रवार को खटंगा स्थित केंद्र पहुंची, पर संचालक वहां से फरार हो चुके थे. पुलिस केंद्र से भर्ती दो मरीजों को अपने साथ थाना लाई, उससे पूछताछ की. मामले में तुपुदाना ओपी में संचालक कमलेश यादव और प्रियांशु शील के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज की है, पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

परिजनों को सनी की तबीयत खराब होने की दी गई थी जानकारी

कैली देवी ने पुलिस को बताया कि सन्नी नशे का आदी था. उसे छुड़ाने के लिए 9 जुलाई को उसे रिवाइव फाउंडेशन द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था. सन्नी की ज्यादा तबीयत खराब होने की जानकारी दी थी. इसके बाद गुरुवार की सुबह वह गया से रांची पहुंची. वह सीधे खटंगा स्थित नशा मुक्ति केंद्र पहुंची. मौजूद संचालक कमलेश ने उन्हें बताया कि सन्नी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी. इलाज के लिए उसे अस्पताल ले जाया जा रहा था, इसी दौरान वह फरार हो गया. उसकी खोजबीन की गई, पर उसका पता नहीं चल पाया है. सभी कर्मचारी उसे खोजने में लगे हैं. इसके बाद कैली केंद्र से निकलकर अपने पुत्र को खोजने में जुट गई.

कार से ठिकाने लगाने ले गया था संचालक

तुपुदाना पुलिस शुक्रवार को जांच करने रिवाइव फाउंडेशन द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र पहुंची. पुलिस केंद्र में सिर्फ ही दो मरीज मिले. दो अगस्त से सनी की तबीयत खराब चल रही थी क्योंकि उसके साथ काफी मारपीट की गई थी. चार अगस्त की रात सन्नी कुमार को कमलेश यादव, प्रियांशु शील और एक अन्य युवक चालक के साथ अपनी कार में लेकर कहीं निकल गए. बाकी मरीजों को केंद्र के एक कमरे में बंद कर दिया गया था. देर रात कमलेश केंद्र पहुंचा लेकिन उसके साथ सन्नी नहीं था. कमलेश रात में ही सभी सामानों को अपनी गाड़ी में रखा. इसके बाद वह भाग निकला. सुबह में सभी मरीज कमरे से बाहर निकले. केंद्र में कोई नहीं था. उन्हें खाने-पीने भी नहीं दिया गया था. यह देखकर उन्हें छोड़कर सभी मरीज भाग निकले.

मरीजों को लगाया जाता था करंट

मरीजों ने पूछताछ में नशा मुक्ति केंद्र की पोल खोल दी. मरीजों ने पुलिस को बताया कि केंद्र में 17 युवक इलाज कराने के लिए भर्ती थे. हर माह मरीजों के परिजनों से वे लोग पैसे लेते थे. लेकिन सुविधा उन्हें नहीं दी जाती थी. कमलेश यादव, प्रियांशु शील और उनके साथ रह रहे एक अन्य युवक और चालक के द्वारा वहां इलाज के लिए आए हुए 17 युवकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था. हर दिन उन लोगों के साथ मारपीट की जाती थी. उन्हें पेटभर खाना तक नहीं दिया जाता था. कुछ बोलने पर जान से मारने की धमकी दी जाती थी. विरोध करने वालों को कमरे में बंद कर दिया जाता था, उन्हें भूखा रखा जाता था. मरीजों ने संचालकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका आरोप है कि उनके नाजुक अंगों में करंट लगाया जाता था, लाठियों से हर दिन पीटा जाता था.

किराए पर लेकर चला रहा था केंद्र

सिल्लीगुड़ी निवासी आरोपी कमलेश यादव खटंगा में इसी साल पांच मार्च को खटंगा स्थित जीवेश कच्छप के मकान को किराए पर लिया था. हर महीने 12 हजार रुपये रेंट पर मकान लिया था. उसी मकान में वह नक्शा मुक्ति केंद्र चला रहा था.

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