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कैसे टूरिस्ट हब बनेगा झारखंड? एक नियमावली बनाने में लग गये वर्षों, पारसनाथ विवाद ने खोली विभाग की पोल

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Published : Jan 10, 2023, 6:40 PM IST

Updated : Jan 10, 2023, 8:47 PM IST

झारखंड की सरकारें राज्य को पर्यटन हब बनाने की बातें करती हैं. झारखंड में पर्यटन स्थलों की संख्या 284 है (Number of tourist places in Jharkhand), लेकिन इन जगहों पर सुविधा के नाम पर कोई खास व्यवस्था नहीं है. पारसनाथ विवाद ने पूरी व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है.

tourist places in Jharkhand
सम्मेद शिखर जी

रांची: झारखंड की प्राकृतिक खूबसूरती का कोई मुकाबला नहीं है. झील, झरने, पहाड़, पठार, जंगल, नदियां और वादियां इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सब कुछ होते हुए भी पर्यटन के राष्ट्रीय मानचित्र पर झारखंड नजर नहीं आता. जैनियों के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर विवाद (Sammed peak controversy) अब नया रंग लेने लगा है. आदिवासी समाज को लग रहा है कि केंद्र सरकार के फैसले से उनकी धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. इस बीच 10 जनवरी को पारसनाथ में आदिवासी संगठनों ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू का पुतला फूंककर अपनी आगे की मंशा जाहिर कर दी है. हालांकि जिला प्रशासन की तरफ से कंफ्यूजन को दूर करने की कोशिशें लगातार चल रही हैं.

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कैसे हुआ विवाद का बीजारोपण: जैनियों की आस्था का ख्याल रखते हुए केंद्र सरकार ने पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य की प्रबंधन योजना के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू कराने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है. साथ ही पवित्र पारसनाथ क्षेत्र से परे बफर जोन की रक्षा के लिए 2 अगस्त 2019 को अधिसूचित इको सेंसिटिव जोन के खंड 3 के प्रावधानों पर तत्काल रोक लगा दी है. केंद्र के इन दो फैसलों के मुताबिक इस क्षेत्र में शराब और मांस की खरीद-बिक्री और उपयोग पर रोक के साथ-साथ पर्यटक के रूप में जाने और इको सेंसिटिव जोन की गतिविधियों नहीं संचालित होंगी. अब इसी को लेकर आदिवासी समाज यह कहते हुए नाराजगी दिखा रहा है कि इस व्यवस्था से पारसनाथ क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों की आस्था प्रभावित होगी.

पर्यटन का महत्व समझने में लग गये वर्षों: इसकी शुरूआत 27 अप्रैल 2016 को हुई थी. हालांकि इरादा नेक था. इसी दिन तत्कालीन रघुवर सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित करने की नियमावली बनायी थी. पर्यटन स्थल के लिए जिला और राज्य स्तर पर पर्यटन संवर्धन समिति की अनुशंसा को अनिवार्य बनाया गया था. विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद पर्यटन स्थल अधिसूचित करने की व्यवस्था शुरू हुई थी. इसी आधार पर पर्यटन महत्व के स्थलों को चार वर्गों में बांट दिया गया. इससे जुड़ी पहली अधिसूचना 26 फरवरी 2019 को तत्कालीन रघुवर सरकार के पर्यटन विभाग ने जारी की. इसके तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व के 31 पर्यटन स्थत चिन्हित किए गये. इसी लिस्ट में पारसनाथ को भी शामिल किया गया था. इसके अलावा राष्ट्रीय महत्व के 26, राज्य स्तरीय महत्व के 38 और स्थानीय महत्व के 36 स्थल घोषित किये थे.

पर्यटन के लिए हेमंत सरकार की पहल: सही मायने में पर्यटन को बढ़ाना देने के लिए पहला पहल तत्कालीन रघुवर सरकार ने किया. उस सरकार ने चार अलग कैटगरी में कुल 131 स्थल घोषित किए. बाद में हेमंत सरकार ने 12 मार्च 2021, 27 अक्टूबर 2021 और 14 फरवरी 2022 को अधिसूचना जारी कर झारखंड में पर्यटन स्थलों की संख्या 284 कर दी (Number of tourist places in Jharkhand). इसकी वजह से वर्तमान में झारखंड में अंतर्राष्ट्रीय महत्व के 34, राष्ट्रीय महत्व के 41, राज्य स्तरीय महत्व के 72 और स्थानीय महत्व के 137 पर्यटन स्थल हैं.

हेमंत सरकार ने पर्यटन को बढ़ाना देने के लिए झारखंड पर्यटन नीति, 2021 को स्वीकृति दी थी. इसके लिए 28 दिसंबर 2021 को संकल्प पारित किया गया था. इसका गजट नोटिफिकेशन 17 फरवरी 2022 को हुआ था. अपने संकल्प में हेमंत सरकार ने बाबा वैद्यनाथ धाम, पारसनाथ मंदिर, मां भद्रकाली मंदिर, मां छिन्नमस्तिका मंदिर, कौलेश्वरी मंदिर और बासुकीनाथधाम मंदिर के महत्व को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में दर्शाया था. इसी को लेकर कंफ्यूजन वाली राजनीति हुई थी. इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि झारखंड की तमाम सरकारें इस राज्य को पर्यटन हब बनाने का दावा करती रही हैं. लेकिन पर्यटक स्थलों को सुविधा और सुरक्षा के चश्मे से देखने पर पर्यटकों के दम फूलने लगते हैं. घबराहट होने लगती है. ऐसे में कैसे टूरिस्टब हब बनेगा झारखंड? (Tourist places in Jharkhand)

Last Updated : Jan 10, 2023, 8:47 PM IST
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