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ब्यूरोक्रेट्स का पॉलिटिक्स प्रेम: झारखंड की राजनीति में किस्मत आजमा चुके हैं दो दर्जन से अधिक नौकरशाह, कितने पास कितने फेल

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 23, 2023, 5:54 PM IST

Updated : Oct 23, 2023, 7:40 PM IST

Bureaucrats in Jharkhand politics
Bureaucrats in Jharkhand politics

झारखंड की राजनीति में दो दर्जन से अधिक आईएएस-आईपीएस और राज्य प्रशासनिक अधिकारी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. लेकिन क्या यहां आकर वो सफल हुए, या फिर कहीं गुम हो गए? Bureaucrats in Jharkhand politics.

रांची: कहते हैं राजनीति एक ऐसा सितारा है जो बाहर से बेहद ही आकर्षित करता है मगर इसके अंदर जैसे जैसे आप प्रवेश करेंगे इसकी सच्चाई सामने आती जायेंगी. जिसमें ना तो कोई नैतिक और ना ही अनैतिक सिर्फ अवसर की तलाश होती रहती है, जिसके बल पर पूरी राजनीति होती रहती है. अवसरवादी इस राजनीति के दौर में हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में ब्यूरोक्रेट्स अपनी किस्मत आजमाने निकले हैं. कई वर्तमान समय में केन्द्र से लेकर राज्यों में बनी सरकार में सफलता पाकर महत्वपूर्ण पदों पर बैठकर अच्छा काम भी कर रहे हैं.

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बात यदि केन्द्र सरकार की करें तो मोदी मंत्रिमंडल में ऐसे मंत्री हैं जो कभी ब्यूरोक्रेसी में महत्वपूर्ण स्थान पर रहने के बाद राजनीति की ओर कदम बढाकर शीर्ष स्थान पर हैं. रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव, हरदीप सिंह पूरी, आरके सिंह, एस जयशंकर, सोमप्रकाश और अर्जुन मेघवाल का नाम शामिल है. बात यदि झारखंड की करें तो यहां हाल के वर्षों में नौकरशाह बड़ी संख्या में राजनीति के क्षेत्र में उतरे हैं. वर्तमान समय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी राज्य कैबिनेट में वित्त मंत्री जैसे महत्वपूर्ण विभाग को पूर्व आईपीएस डॉ रामेश्वर संभाल रहे हैं. इसी तरह सरकारी नौकरी को त्यागकर झारखंड विधानसभा में आजसू के टिकट पर चुनाव जीतकर आए लंबोदर महतो पार्टी के अंदर महत्वपूर्ण भूमिका में हैं.

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अधिकांश को मिलती रही है असफलता: झारखंड की राजनीति में ब्यूरोक्रेट्स किस्मत आजमाने के लिए उतरते रहे हैं. करीब दो दर्जन से अधिक ऐसे नाम हैं जिन्होंने आईएएस और आईपीएस बनकर कभी सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर रहे. इन्हें छोड़कर राजनीति में किस्मत आजमाना इन्होंने उचित समझा. इनमें से कुछ सफल हुए मगर अधिकांश को अब तक सफलता नहीं मिली. राजनीति में आने के बाद इन अधिकारियों की इच्छा विधायक, सांसद बनने की रहती है मगर इनमें से कई ऐसे हैं जिनको पार्टी द्वारा टिकट ही नहीं मिला. कुछ को मौका मिला तो जनता ने ठुकरा दिया. पूर्व गृह सचिव जेबी तुबिद, आईपीएस रहे लक्ष्मण प्र. सिंह जैसे कई नाम हैं जिन्हें दो दो बार मौका मिला मगर सफल नहीं हो सके. पूर्व डीजीपी डीके पांडे, अरुण उरांव सरीखे अधिकारियों को तो मौका ही नहीं मिला.
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आईपीएस की नौकरी छोड़ भाजपा में शामिल होनेवाले स्व. अमिताभ चौधरी को टिकट नहीं मिलने पर झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर 2014 में चुनाव लड़े मगर रांची लोकसभा क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद नहीं मिला. राजनीति के क्षेत्र में सफल होने वाले झारखंड के प्रमुख अधिकारियों में यशवंत सिन्हा, डॉ अजय कुमार, डॉ रामेश्वर उरांव आदि का नाम आज भी लिया जाता है.

वरिष्ठ पत्रकार वैद्यनाथ मिश्रा कहते हैं कि राजनीति में अवसरवादिता हावी है और ये ब्यूरोक्रेट्स अवसर को भांपने में माहिर होते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि राजनीति की कोई दशा और दिशा नहीं होती जो समय और परिस्थिति के अनुसार तेजी से बदल जाती है. इस बदलाव को समझने में जो माहिर होते हैं वो सफल हो जाते हैं जो नहीं होते वे किनारे हो जाते. बहरहाल चुनाव के वक्त राजनेताओं का दल बदलना कोई बड़ी बात नहीं होती, मगर सरकारी बाबूओं का राजनीति में आना जरूर बड़ी बात हो जाती है.

Last Updated :Oct 23, 2023, 7:40 PM IST
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