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रांचीः कुड़ुख भाषा के विकास को लेकर बैठक, सरकार पर लापरवाही का लगाया आरोप

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Published : Aug 4, 2019, 11:45 PM IST

राज्य में कुड़ुख भाषा का विस्तार नहीं हो रहा है. इस भाषा की स्कूलों में पढ़ाई को लेकर झारखंड आंदोलनकारियों ने कई बार सरकार से मांग की. झारखंड आंदोलनकारी बिनोद कुमार भगत ने राज्य में कुड़ुख भाषा के विस्तार नहीं होने की वजह सरकार की लापरवाही को बताया.

कुड़ुख भाषा के विकास को लेकर बैठक

रांची: कुड़ुख भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अददी कुड़ुख चाला धुमकुड़िया कुड़िया अखाड़ा ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें मुख्य रूप से प्राथमिक और हाई स्कूलों में स्थानीय क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई को लेकर पुस्तकों के प्रकाशन और पाठ्यक्रम के निर्धारण को लेकर विशेष चर्चा की गई.

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झारखंड आंदोलनकारी बिनोद कुमार भगत ने कहा कि हाई स्कूलों में कुड़ुख भाषा की पढ़ाई हो रही है, लेकिन मिडिल स्कूल में नहीं हो रही है. उन्होंने सरकार से मिडिल स्कूलों में क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई कराने और पुस्तकों की व्यवस्था कराने की मांग की. धुमकुड़िया पड़हा अखाड़ा के द्वारा राज्य के ऐसे कई निजी प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां शिक्षकों और पुस्तकों की व्यवस्था करवाकर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, ताकि बच्चे अपनी भविष्य का ज्ञान प्रप्त कर सके. बिनोद कुमार भगत ने कहा कि कुड़ुख भाषा की ओर सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है.

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कार्यकारिणी के सदस्य बिनोद कुमार भगत ने कहा कि झारखंड राज्य अलग होने के बाद क्षेत्रीय भाषा में सरकार द्वारा कई योजनाएं और कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन कुड़ुख भाषा को लेकर सरकार द्वारा प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि कुड़ुख भाषा का विकास नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का विकास दर काफी कम है.

Intro:रांची
बाइट----बिनोद कुमार भगत झारखंड आंदोलनकारी

कुँड़ुख़ भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य अददी कुँड़ुख़ चाला धुमकुड़िया कुड़िया अखाड़ा द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया बैठक में मुख्य रूप से प्राथमिक और हाई स्कूलों में स्थानीय क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई को लेकर पुस्तकों का प्रकाशन एवं पाठ्यक्रम का निर्धारण को लेकर विशेष चर्चा की गई। जिनका कहना है कि हाई स्कूलों में कुँड़ुख़ भाषा की पढ़ाई हो रही है लेकिन मिडिल स्कूल में नहीं हो रही है जिसमें स्थानीय क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई करने और पुस्तकों की व्यवस्था कराने की मांग किया गया। धुमकुडिया पड़हा अखाड़ा के द्वारा राज्य के ऐसे कई निजी प्राथमिक विद्यालय हैं जहां शिक्षकों और पुस्तकों की व्यवस्था करा कर बच्चों को शिक्षा दिया जा रहा है ताकि बच्चे अपनी भविष्य की ज्ञान की प्राप्ति कर सके। लेकिन इस विषय में सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है जब तक छात्रों की जमीनी स्तर की बकवास नहीं होगा तो हाई स्कूल में विकास नहीं हो सकती


Body: मौके पर मौजूद कार्यकारिणी के सदस्य विनोद कुमार भगत ने कहा कि झारखंड राज्य अलग होने के बाद क्षेत्रीय भाषा में सरकार द्वारा कई योजनाएं और कार्य किए जा रहे हैं लेकिन कुँड़ुख़ भाषा को लेकर सरकार द्वारा प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया है इस विषय में किसी प्रकार का कोई भी ध्यान नहीं दे रही है साथ ही उन्होंने कहा कि कुँड़ुख़ भाषा का विकास नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र शिक्षा का क्षेत्र में विकास का दर काफी कम है इसके विकास के लिए सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है


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