ETV Bharat / state

मसानजोर पर पश्चिम बंगाल की मनमानी रोकने की होगी कोशिश, सांसद ने लिखा पत्र

author img

By

Published : Jul 10, 2019, 6:14 PM IST

मसानजोर डैम पर पश्चिम बंगाल सरकार की मनमानी रोकने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. बता दें कि इस डैम को बनाते समय दोनों राज्यों के बीच कई समझौते हुए थे. जिस के कई अनुबंधों का बंगाल सरकार पालन नहीं कर रही है.

महेश पोद्दार, राज्यसभा सांसद

रांचीः झारखंड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार मसानजोर बांध के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की मनमानी रोकने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. पोद्दार ने भारत सरकार के जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मसानजोर बांध से जुड़े समझौते के उल्लंघन की शिकायत की है. विवाद के निपटारे के लिए सदन की समिति गठित कर समझौते की समीक्षा का आग्रह किया है. इससे पहले पोद्दार राज्यसभा में शून्यकाल के तहत ये मामला उठा चुके हैं.

दस बिंदुओं पर हुआ था करार, एक पर भी नहीं हुआ अमल

जलशक्ति मंत्री को लिखे गए पत्र में पोद्दार ने कहा कि मसानजोर डैम बनते समय बिहार और बंगाल के बीच 12 मार्च 1949 को मयूराक्षी जल बंटवारा पर पहला समझौता हुआ था. करार दस बिंदुओं पर हुआ था. लेकिन बंगाल सरकार की तरफ से करार की एक भी शर्त पूरी नहीं की गयी. करार में मसानजोर जलाशय से तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में 81 हजार हेक्टेयर जमीन की खरीफ फसल और 1050 हेक्टेयर पर रबी फसल की और पश्चिम बंगाल में 226720 हेक्टेयर खरीफ और 20240 हेक्टेयर रबी फसलों की सिंचाई होने का प्रावधान किया गया था. समझौता के अनुसार निर्माण, मरम्मत और विस्थापन का पूरा खर्च बंगाल सरकार को उठाना है. इतना ही नहीं विस्थापितों को सिंचित जमीन भी देनी थी.

डैम से हमेशा तय मात्रा से ज्यादा पानी लेता है बंगाल

मसानजोर डैम को लेकर बंगाल और बिहार सरकार के बीच दूसरा समझौता 19 जुलाई 1978 को हुआ था. जिसके बाद से बंगाल सरकार की तरफ से इस करार की कोई शर्त पूरी नहीं की गयी. इस करार में मयूराक्षी के अलावा इसकी सहायक नदियों सिद्धेश्वरी और नून बिल के जल बंटवारा को भी शामिल किया गया. इसके अनुसार मसानजोर डैम का जलस्तर कभी भी 363 फीट से नीचे नहीं आए, इसका ध्यान बंगाल सरकार को पानी लेते समय हर हालत में रखना था. जिससे झारखंड के दुमका की सिंचाई प्रभावित ना हो. बंगाल सरकार को एक अतिरिक्त सिद्धेश्वरी-नूनबिल डैम बनाना था.

जिसमें झारखंड के लिए डैम के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का 10 हजार एकड़ फीट पानी दुमका के रानीश्वर क्षेत्र के लिए रिजर्व रखना था. सिंचाई आयोग ने पाया था कि मसानजोर डैम के पानी का जलस्तर हर साल 363 फीट से काफी नीचे आ जाता था. इसकी वजह बंगाल का डैम से ज्यादा पानी लेना था. मसानजोर डैम से दुमका की सिंचाई के लिए पंप लगे थे. वे हमेशा खराब रहते थे. जबकि इनकी मरम्मत बंगाल सरकार को करनी है. 40 साल बीत गए बंगाल सरकार ने करार के मुताबिक न तो 2 नए डैम बनाए, न बिजली दे रही है और न पानी.

सिंचाई आयोग ने समझौतें पर पुनर्विचार का दिया था सुझाव

1991 में गठित द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की उपसमिति ने तत्कालीन बिहार राज्य और पड़ोसी राज्यों और नेपाल के बीच हुए द्विपक्षीय/ त्रिपक्षीय समझौतों पर पुनर्विचार किया था. जिसमें संशोधन-परिवर्द्धन का सुझाव दिया गया था. आयोग ने अपनी अनुशंसा में तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) सरकार को स्पष्ट सुझाव दिया था कि इन समझौतों में इस राज्य के हितों की उपेक्षा हुई है और जनहित में इनपर नये सिरे से विचार होना आवश्यक है. लेकिन, द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की अनुशंसाओं पर अमल करने मे भी रुचि नहीं दिखायी गयी.

ये भी पढ़ें- 'झारखंड में सौ दिन में खुलेंगे 120 नए डाक घर, सरकार बढ़ा रही डाक विभाग का नेटवर्क'

मसानजोर बांध में दुमका की 12 हजार एकड़ खेती लायक जमीन जलमग्न

मसानजोर बांध में दुमका की 19 हजार एकड़ जमीन शामिल है. 12 हजार एकड़ खेती लायक जमीन जलमग्न है. 144 मौजे समाहित हैं. इसके बावजूद इस पर झारखंड का कोई जोर नहीं चलता. इस पर मालिकाना हक सिंचाई एवं नहर विभाग, बंगाल सरकार का है. पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार 1950 में पश्चिम बंगाल सरकार और बिहार सरकार के बीच हुए समझौते के तहत ये डैम (बांध) भले ही झारखंड के दुमका में है, लेकिन इस पर नियंत्रण पश्चिम बंगाल सरकार का है.

Intro:रांची। प्रदेश से राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार ने कहा है कि मसानजोर बांध के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की मनमानी रोकने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। पोद्दार ने भारत सरकार के जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मसानजोर बांध से सम्बंधित समझौते के उल्लंघन की शिकायत की है। साथ ही सम्बंधित विवाद के निपटारे हेतु सदन की समिति गठित कर समझौते की समीक्षा का आग्रह किया है| इससे पहले पोद्दार राज्यसभा में शून्यकाल के तहत यह मामला उठा चुके हैं।

दस बिंदुओं पर हुआ था करार, एक पर भी नहीं हुआ अमल
जलशक्ति मंत्री को लिखे गए पत्र में पोद्दार ने कहा है कि मसानजोर डैम बनते समय बिहार और बंगाल के बीच 12 मार्च 1949 को मयूराक्षी जल बंटवारा पर पहला समझौता हुआ था। करार दस बिंदुओं पर हुआ था। लेकिन, बंगाल सरकार की तरफ से करार की एक भी शर्त पूरी नहीं की गयी। करार में मसानजोर जलाशय से तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में 81000 हेक्टेयर जमीन की खरीफ फसल और 1050 हेक्टेयर पर रबी फसल की तथा पश्चिम बंगाल में 226720 हेक्टेयर खरीफ और 20240 हेक्टेयर रबी फसलों की सिंचाई होने का प्रावधान किया गया था| समझौता के अनुसार निर्माण, मरम्मत तथा विस्थापन का पूरा व्यय बंगाल सरकार को वहन करना है। इतना ही नहीं विस्थापितों को सिंचित जमीन भी देनी थी।

Body:डैम से हमेशा तय मात्रा से ज्यादा पानी लेता है बंगाल

मसानजोर डैम को लेकर बंगाल और बिहार सरकार के बीच दूसरा समझौता 19 जुलाई 1978 को हुआ था| लेकिन, बंगाल सरकार की तरफ से इस करार की भी कोई शर्त पूरी नहीं की गयी| इस करार में मयूराक्षी के अलावा इसकी सहायक नदियों सिद्धेश्वरी और नून बिल के जल बंटवारा को भी शामिल किया गया था। इसके अनुसार मसानजोर डैम का जलस्तर कभी भी 363 फीट से नीचे नहीं आये, इसका ध्यान बंगाल सरकार को पानी लेते समय हर हालत में रखना था, ताकि झारखंड के दुमका की सिंचाई प्रभावित नहीं हो। बंगाल सरकार को एक अतिरिक्त सिद्धेश्वरी-नूनबिल डैम बनाना था, जिसमें झारखंड के लिए डैम के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का 10,000 एकड़ फीट पानी दुमका जिला के रानीश्वर क्षेत्र के लिए रिजर्व रखना था| सिंचाई आयोग ने पाया था कि मसानजोर डैम के पानी का जलस्तर हर साल 363 फीट से काफी नीचे आ जाता था, क्योंकि बंगाल डैम से ज्यादा पानी लेता था| मसानजोर डैम से दुमका जिला की सिंचाई के लिए पंप लगे थे, वे हमेशा खराब रहते थे, जबकि इनकी मरम्मत बंगाल सरकार को करनी है। 40 साल बीत गये, बंगाल सरकार ने करार के मुताबिक़ न तो दो नए डैम बनाए, न बिजली दे रही है और न पानी ।

Conclusion:सिंचाई आयोग ने समझौतों पर पुनर्विचार का दिया था सुझाव
1991 में गठित द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की उपसमिति ने तत्कालीन बिहार राज्य और पड़ोसी राज्यों तथा नेपाल के बीच हुए द्विपक्षीय/ त्रिपक्षीय समझौतों पर पुनर्विचार किया था और इनमें संशोधन-परिवर्द्धन का सुझाव दिया था| आयोग ने अपनी अनुशंसा में तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) सरकार को स्पष्ट सुझाव दिया था कि इन समझौतों में इस राज्य के हितों की उपेक्षा हुई है और जनहित में इनपर नये सिरे से विचार होना आवश्यक है| लेकिन, द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की अनुशंसाओं पर अमल करने मे भी रुचि नहीं दिखायी गयी। मसानजोर बाँध में दुमका की 12000 एकड़ खेती लायक जमीन जलमग्न
मसानजोर बाँध में झारखंड के दुमका जिला की 19000 एकड़ जमीन सन्निहित है, 12000 एकड़ खेती लायक जमीन जलमग्न है, 144 मौजे समाहित हैं। इसके बावजूद इस पर झारखंड का कोई जोर नहीं चलता है। इस पर मालिकाना हक सिंचाई एवं नहर विभाग, बंगाल सरकार का है। पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार 1950 में हुए पश्चिम बंगाल सरकार और बिहार सरकार के बीच हुए समझौते के तहत यह डैम (बांध) भले ही झारखंड के दुमका में है, लेकिन इस पर नियंत्रण पश्चिम बंगाल सरकार का है|
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.