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अब ईडी के राडार पर पुलिस, आधा दर्जन अफसरों से पूछताछ की तैयारी

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Published : Dec 10, 2022, 6:39 PM IST

आईएएस अफसर, राजनेता सहित झारखंड सरकार के कई विभागों के अफसरों के बाद अब पुलिस भी ईडी के रडार पर है. अवैध खनन के जरिए 1000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पुलिस महकमे के कई अधिकारी भी अब फंसते नजर आ रहे हैं. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी पुलिस अफसरों की संख्या भी बढ़ेगी, फिलहाल तो संथाल क्षेत्र के अधिकांश पुलिस अफसर ईडी के रडार पर हैं. (Many IPS on ED radar in Jharkhand)

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रांची: झारखंड पुलिस के कई अफसर अब ईडी के रडार पर (Police Officers on ED Radar) हैं. क्योंकि उन्होंने अवैध खनन में फंसे आरोपियों की मदद के लिए कानून को ताक पर रख दिया और इसकी शुरुआत डीएसपी राजेंद्र दुबे और दारोगा सरफुद्दीन से हो चुकी है. दोनों ही ईडी के सामने पेश होकर ईडी के सवालों का सामना कर चुके हैं. दोनों ही पंकज मिश्रा से जुड़े मामले को लेकर अब अपने ऊपर सीनियर अधिकारियों के दबाव की बात ईडी को बता रहे हैं. यानी डीएसपी राजेंद्र दुबे और दारोगा सरफुद्दीन के कई सीनियर अफसर भी इस मामले में जल्द ही ईडी के सामने तलब किए जाएंगे. जिनमें प्रमुख नाम साहिबगंज एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा का है. जबकि साहिबगंज में डीएसपी के रूप में पदस्थापित रहे प्रमोद मिश्रा को भी ईडी ने 12 नवंबर को समन देकर पूछताछ के लिए बुलाया है.

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साहिबगंज एसपी के खिलाफ जल्द जारी होगा समन: मतलब साफ है अब झारखंड का पुलिस महकमा भी अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग (Money laundering cases) की चपेट में आ चुका है. मामले में दो डीएसपी सीधे तौर पर घिरते नजर आ रहे हैं. वहीं तीन आईपीएस भी ईडी के रडार (Many IPS on ED radar in Jharkhand) पर हैं, जिन से जल्द ही पूछताछ की जाएगी. मिली जानकारी के अनुसार आईपीएस अधिकारियो में सबसे पहला नंबर साहिबगंज के एसपी का है. सूत्रों के अनुसार जल्दी अवैध खनन से जुड़े मामलों में पूछताछ के लिए उन्हें समन जारी किया जाएगा.

क्या बताया था सरफुद्दीन: ईडी के द्वारा गिरफ्तार किए गए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को क्लीन चिट देने के मामले में ईडी ने बीते सोमवार को केस के अनुसंधान पदाधिकारी सरफुद्दीन खान से पूछताछ की थी. सरफुद्दीन खान ने ईडी को बताया था कि वह भले ही केस का जांच पदाधिकारी है, लेकिन पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम को क्लीन चिट डीएसपी प्रमोद मिश्रा के द्वारा सुपरविजन के आधार पर दी गई थी. वहीं सरफुद्दीन ने बताया था कि वह ठीक से लिख नहीं सकता, ऐसे में डीएसपी ने ही उसे सारी चीजें लिखकर दी थीं. इन्हीं तथ्यों के आधार पर डीएसपी प्रमोद मिश्रा को ईडी ने तलब किया है.

डीएसपी राजेन्द्र दुबे क्यों आये निशाने पर: वहीं दूसरी तरफ डीएसपी राजेंद्र दुबे पंकज मिश्रा के न्यायिक हिरासत में रहने के बावजूद उनसे बातचीत करने की वजह से ईडी के निशाने पर आ गए. सीसीटीवी फुटेज और सीडीआर के आधार पर यह प्रमाणित हो गया था कि डीएसपी राजेंद्र दुबे लगातार न्यायिक हिरासत में रह रहे पंकज मिश्रा से बातचीत कर रहे थे जिसके बाद डीएसपी को ईडी ने तलब किया.

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राजेन्द्र दुबे ईडी के सामने डाले हथियार: ईडी के सामने राजेंद्र दुबे ने पहुंचते ही हथियार डाल दिए. डीएसपी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को स्वीकार करते हुए ईडी से माफी भी मांगी और यह कहा कि उन्होंने जो कुछ भी किया वह सब सीनियर अधिकारियों के निर्देश पर किया. पूछताछ के दौरान ईडी के अधिकारियों ने डीएसपी राजेंद्र दूबे से पूछा कि उन्होंने न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान पंकज मिश्रा से गैरकानूनी तरीके से मुलाकात की. कई दफे फोन पर भी बात की, क्या उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए. डीएसपी से अधिकारियों ने पूछा कि पुलिस अधिकारी रहते हुए इस तरह कानून तोड़ने को लेकर क्या धाराएं लगती हैं. जवाब में राजेंद्र दूबे ने कहा कि उससे गलती हो गई. पूछताछ में राजेंद्र दूबे ने अधिकारियों को कहा कि उसके रिश्तेदार रिम्स में भर्ती थे, वह रिश्तेदार को देखने आए थे, तब पंकज मिश्रा से मिले थे. ईडी के अधिकारियों ने उस रिश्तेदार के बारे में जानकारी मांगी तो राजेंद्र दूबे चुप हो गए.

संपत्ति, बैंक खातों के डिटेल्स ईडी ने मांगे: ईडी को यह जानकारी मिली है कि पंकज मिश्रा के रसूख का इस्तेमाल कर राजेन्द्र दुबे ने भी काफी संपत्ति अर्जित की है. ईडी ने डीएसपी से उनके और उनके रिश्तेदारों के जमीन बैंक सहित कई तरह के कागजातों की डिमांड की है ताकि उसकी जांच की जा सके.


कैसे हुई ईडी की जांच की शुरुवात: इसी वर्ष 6 मई को ईडी ने मनरेगा घोटाला में झारखंड की तत्कालीन खान सचिव पूजा सिंघल और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान ईडी को 19.41 करोड़ मिले थे. जांच के बाद ईडी ने बताया कि जब्त पैसों में अधिकांश राशि राज्य के बड़े राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों की है. इसके बाद आठ जुलाई को ईडी ने अवैध खनन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस मामले में ईडी ने 19 जुलाई को पंकज मिश्रा को मास्टरमाइंड बताते हुए गिरफ्तार किया था. बाद में ईडी ने 25 अगस्त को सत्ता के गलियारे में चर्चित रहे प्रेम प्रकाश, सीए जे जयपुरिया के ठिकानें पर छापेमारी की थी. इस दौरान प्रेम के यहां से सीएम हाउस में तैनात दो सिपाहियों की एके 47 व 60 कारतूस बरामद किए थे, जबकि जयपुरियार के यहां से संपत्ति व निवेश से जुड़े कच्चे कागजात व फाइलें बरामद की गई थीं. इसी मामले में एक आईएएस अफसर के दो करीबी और निसित केसरी और विशाल चौधरी के यहां भी ईडी ने छापेमारी की थी. वहीं ईडी ने सितंबर महीने में मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद से भी तीन दिनों तक पूछताछ की थी.

अब तक कौन कौन हुए गिरफ्तार: राज्य में ईडी की अबतब की कार्रवाई में राज्य सरकार की पूर्व खान सचिव पूजा सिंघल, मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, बच्चू यादव, कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल, सीए सुमन कुमार, सत्ता के गलियारों में चर्चित रहे प्रेम प्रकाश को गिरफ्तार किया जा चुका है. इन सभी पर ईडी चार्जशीट कर चुकी है.

लगातार मिल रही शिकायते: वहीं, दूसरी तरफ झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक्शन के बाद लगातार आईएएस, आईपीएस अधिकारियों व राजनेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं. 6 मई को ईडी ने तत्कालीन खान सचिव पूजा सिंघल के खिलाफ कार्रवाई की थी, इस मामले में उनकी गिरफ्तारी और ईडी की लगातार हो रही कार्रवाई के बाद से ईडी के ग्रीवांस सेल में 300 से अधिक शिकायतें आयी हैं. ईडी को मिली शिकायतों के आधार पर कई शिकायतों को वर्तमान में चल रही अवैध खनन के घोटाले से भी जोड़ा जा सकता है. वहीं जिन मामलों में शिकायतें प्रिडिकेटिव ऑफेंस के दायरे में आती है, उन मामलों में ईडी अलग से इंफोर्समेंट कंप्लेन इंक्वायरी रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज कर सकती है. ईडी ने फिलहाल अधिकांश मामलों में गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय से पत्राचार कर रिपोर्ट मांगी है.

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