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Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर महंगाई की मार, गरीबों को मयस्सर नहीं तिलकुट और दही चूड़ा

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Published : Jan 15, 2023, 1:50 PM IST

Makar Sankranti of poor and homeless people in Ranchi
रांची में गरीबों और बेघरों की मकर संक्रांति

रांची में मकर संक्रांति की धूम है. मंदिरों में पूजा पाठ के बाद सभी अपने अपने घरों में दही चूड़ा और तिलकुट खा रहे हैं. लेकिन गरीबों और बेघरों की मकर संक्रांति पर महंगाई की मार साफ देखी जा रही है. मकर संक्रांति में तिलकुट और दही चूड़ा के दामों में इजाफा होने के कारण वो इसे खरीदकर खा नहीं पा रहे हैं.

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रांचीः झारखंड में मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जा रही है. विभिन्न जलाशयों या घरों में स्नान ध्यान और पूजा पाठ के बाद लोग मंदिरों में तिल दान कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं. राजधानी रांची में मकर संक्रांति को लेकर लोगों में उत्साह है. लेकिन दूध दही और तिलकुट की मांग के बावजूद इनकी कीमतें कम नहीं है. ऐसे में गरीबों और बेघरों की मकर संक्रांति का पर्व मनाना उनके लिए दूभर हो रहा है.

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तिलकुट के साथ दही चूड़ा खाकर लोग खुशियां मना रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं जो साधारण भोजन खाने के लिए भी जीतोड़ मेहनत करनी पड़ती है फिर भी वो पूरा भोजन नहीं कर पाते हैं. मकर संक्रांति में तिलकुट और दही चूड़ा खाने का रिवाज है लेकिन महंगाई परंपरा के आड़े आ रही है. मकर संक्रांति पर महंगाई की मार साफ नजर आ रही है. बढ़ती मांग को देखते हुए तिलकुट और तिल के लड्डू के दाम में अचानक बढ़ोतरी भी हुई है.

तिलकुट और तिल के लड्डू की कीमत में 30 से 40 रुपये तक बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में गरीब तबके के लोगों के लिए इस महंगाई में दही चूड़ा या तिलकुट खाना उनके बजट से बाहर है. सिर्फ गरीब लोग ही नहीं बल्कि मध्यमवर्ग परिवार के लोगों पर भी मकर संक्रांति पर महंगाई का असर है. वो सिर्फ उतना ही खरीद रहे हैं, जिससे परंपरा का बस निर्वहन किया जा सके, भरपूर खाने के लिए उनकी जेब इजाजत नहीं दे रहे हैं.

दाल भात केंद्र ही है आसराः शहर में रिक्शा चालक और बेघर इस पर्व के मौके पर खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं. क्योंकि मकर संक्रांति में जहां लोग तिलकुट और दही चूड़ा खा रहे हैं तो ये लोग दाल भात केंद्र में जाकर अपनी भूख मिटा रहे हैं. वो कहते हैं कि राजधानी में दूध 58 रुपये प्रति किलो मिल रहा है, वहीं दही 130 रुपये प्रति किलो और पनीर करीब 300 रुपये किलो तक मिल रही है. इस तरह के दाम में जो लोग बीपीएलधारी हैं या हम जैसे लोग मकर संक्रांति मना पाएंगे. लोगों ने बताया कि राजधानी सहित राज्य में कई ऐसे लोग हैं जो प्रतिदिन कमाते हैं और खाते हैं, ऐसे में बढ़ती महंगाई उनसे पर्व त्योहार की तमाम खुशियां छीन रही है.

समाजसेवियों के दान से मनाते हैं मकर संक्रांतिः बेघर और ऐसे रिक्शा चालक कहते हैं कि हमारे ऐसी चीजें खरीदकर खाने के लिए पैसे नहीं है. लेकिन समाजसेवियों की तरफ से बांटे जाने वाले चूड़ा दही खाकर ही वो मकर संक्रांति मनाते हैं. मध्यम वर्ग से जुड़े परिवार के लोगों की माने तो कई लोगों ने बताया कि 13 जनवरी से तिलकुट और तिल के मिठाइयों के दाम में बढ़ोतरी हुई है.

तिलकुट और तिल का मिठाई खरीदना निश्चित रूप से आम लोगों की जेबों पर सीधा असर डालता है. शहर के व्यापारी बताते हैं कि वर्तमान में तिलकुट के दाम 300 प्रति किलो है जबकि 2 दिन पहले तक 260 से 270 रुपये प्रति किलो तक मिल रहे थे. इसके अलावा कंपनियों के पैकेट वाले दूध भी महंगे हो गए हैं. इससे कहीं ना कहीं मध्यमवर्ग परिवार के बजट पर सीधा असर डाल रहा है. ऐसे में गरीब और बेघर लोगों के लिए तो पर्व मनाया ही मुश्किल है.

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