Mahatma Gandhi Jayanti Special: रांची के परिवार ने बापू के ग्रामोद्योग मंत्र को बनाया मकसद, गांधी जी ने खुद दिया था आशीर्वाद

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Published : Oct 2, 2022, 5:51 PM IST

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महात्मा गांधी का झारखंड से गहरा नाता रहा है. आजादी की लड़ाई के लिए बापू ने ग्रामोद्योग का मंत्र दिया तो रांची के श्याम किशोर साहू (Shyam kishore sahu Upper Bazar) ने इसे मकसद बना लिया. यहीं ग्राम उद्योग भंडार रांची में घानी का तेल बेचने के कारोबार को शुरू किया. इस कारोबार को शुरू करने का आशीर्वाद देने के लिए महात्मा गांधी रांची अपर बाजार आए थे. महात्मा गांधी जयंती (Mahatma Gandhi Jayanti) पर पढ़ें भूली बिसरी बातों की पूरी रिपोर्ट

रांची: महात्मा गांधी का झारखंड से रिश्ता अनोखा है. झारखंड के कई इलाकों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (rashtrapita mahatma gandhi) आ चुके हैं. जब बापू ने ग्रामोद्योग का मंत्र दिया तो देश भर के लोगों ने उसे अपनाया और इसे जीवन का मकसद बना लिया. इसे अंग्रेजों से आजादी का हथियार माना गया. रांची के डॉक्टर एनपी साहू के पिता श्याम किशोर साहू (shyam kishore sahu) ने भी ग्रामोद्योग के मंत्र को अपनाया. इसके लिए वर्धा के आश्रम में ट्रेनिंग ली और रांची में घानी का तेल निकालने का काम शुरू किया. बाद में महात्मा गांधी भी इस दुकान ग्राम उद्योग भंडार रांची में आशीर्वाद देने आए. फिर धीरे धीरे श्याम किशोर साहू का पूरा परिवार इससे जुड़ गया.

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राजधानी के मेन रोड स्थित घानी का तेल बेचने वाले एनपी साहू चिकित्सक भी हैं. डॉ. एनपी साहू बताते हैं कि उनके पिता महात्मा गांधी के साथ जुड़े थे. उन्होंने 1934 में ग्राम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र के वर्धा आश्रम में ट्रेनिंग ली थी. वर्धा आश्रम में ट्रेनिंग के बाद वर्ष 1938 से उनका परिवार राजधानी में ग्राम उद्योग के काम से जुड़ गया.

ग्राम उद्योग भंडार रांची में घानी का तेल कारोबार और गांधीजी के आने पर रिपोर्ट

एनपी साहू बताते हैं कि ग्राम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए घानी का तेल निकालने की सारी प्रक्रिया एनपी साहू के बाजार में अपनाई जाती है. एनपी साहू बताते हैं कि गांधीजी का सपना था कि ग्राम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उनके पिता श्याम किशोर साहू ने राजधानी के अपर बाजार में घानी का तेल निकालने की शुरुआत की थी जो परंपरा आज भी जारी है.

बैल के सहारे निकलता था तेलः वहीं डॉ. एन पी साहू बताते हैं कि जब घानी का तेल निकालने की शुरुआत की गई थी तो उस वक्त बैल का उपयोग किया जाता था. धीरे-धीरे स्थिति बदलती चली गई और अब घानी का तेल निकालने में मोटर का उपयोग किया जाता है जो निश्चित रूप से महंगा भी पड़ता है और अब लोग ग्राम उद्योग से बनी चीजों को खरीदना भी नहीं चाह रहे हैं क्योंकि इस व्यवस्था से शहर के लोग दूर होते जा रहे हैं.

कोल्हू के बैल की जगह बिजली से संचालित होने वाली मशीन धीरे-धीरे महंगी हो रही है लेकिन बापू के सिद्धांतों पर चलने का संदेश देने के लिए हमारे लोग इस उद्योग को अभी भी चला रहे हैं ताकि ग्राम उद्योग को बढ़ावा मिल सके.

एनपी साहू ने बताया कि वर्ष 1940 में इस दुकान में आकर महात्मा गांधी खुद आशीर्वाद दे चुके हैं. इसीलिए आज भी उनके आशीर्वाद से इस दुकान को उनके और परिवार के द्वारा संचालित किया जा रहा है.

महात्मा गांधी की जयंती मनाई गईः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती (Mahatma Gandhi Jayanti) 2 अक्टूबर को पूरे झारखंड में मनाई गई. इस दौरान जगह-जगह तमाम आयोजन किए जा रहे हैं. रांची के व्यापारी भी इसमें पीछे नहीं है. रांची के व्यापारियों ने रविवार को बापू को श्रद्धांजलि दी.

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