Lumpy Skin Disease: पशुपालक क्या करें और क्या न करें, जानें पशु का आइसोलेशन कितना जरूरी

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Published : Oct 1, 2022, 9:50 PM IST

Lumpy Skin Disease What to do and what not to do animal isolation how important

झारखंड में पशुओं में होने वाली लंपी स्किन डिजीज का मामला (Lumpy Skin Disease) सामने आने के बाद पशुपालन विभाग अलर्ट हो गया है. इसके लिए पशुओं का टीकाकरण शुरू कर दिया गया है. रांची रैपिड रिस्पॉन्स टीम ने गांवों का भ्रमण कर पशुपालकों को क्या करें और क्या न करें, इसकी जानकारी दे रहे हैं.

रांचीः झारखंड में लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) की पुष्टि होने के बाद पशुपालन विभाग ने इस बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. रांची जिला पशुपालन पदाधिकारी द्वारा चांहो प्रखंड के करकट गांव में लंपी स्किन बीमारी की सूचना मिलने पर आस पास के गांव सौस, बिजुपारा,करकट में लंपी बीमारी से बचाव के लिए अनुशंसित गोट पॉक्स वैक्सीन गोवंशीय जानवरों को लगवाई गई.

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इधर लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए रांची जिला में गठित रैपिड रिस्पॉन्स टीम (RRT) के सदस्य डॉ. शिवानन्द काशी, डॉक्टर तनवीर अख्तर, डॉ. लोलेन कडुलना संक्रमण आशंकित क्षेत्र में पहुंचे और इस बीमारी से बचाव के लिए प्रचार वाहन से पशुपालकों को जागरूक किया. इस दौरान संदिग्ध पशुओं का सीरम कलेक्ट किया गया, जिसे भोपाल जांच के लिए भेजा जाएगा.

डॉ. शिवानंद काशी ने बताया कि क्षेत्र में लगातार आरआरटी भ्रमण करेगी और पशुपालकों को लंपी डिजीज से बचाव के उपाय बताएगी. साथ ही टीकाकरण और जागरूकता का काम कराएगी. डॉ. शिवा काशी ने बताया कि LSD एक विषाणु (viral) जनित रोग है और यह बीमारी सबसे पहले जांबिया में 1929 में देखी गई थी, तब से अब तक इस बीमारी का प्रकोप विश्व के विभिन्न देशों में मिला है.

कैसे फैलता है लंपीः डॉक्टर शिवा के अनुसार समान्यतः यह बीमारी मक्खियों, मच्छरों के काटने, वर्षा का दूषित पानी पीने से फैलती है. वायरल बीमारी होने की वजह से इसका प्रसार तेजी से होता है.


लंपी स्किन डिजीज के लक्षणः डॉक्टर शिवा काशी ने बताया कि मुख्यरूप से गोवंशीय पशुओं और भैसों में होने वाली इस बीमारी में सर्वप्रथम बुखार आना शुरू होता है और शरीर पर छोटे छोटे चकत्ते निकल आते हैं. पशु की शरीर पेट एवं पैरों में सूजन देखने को मिलता है और संक्रमित पशुओं के आंख से पानी आना, नाक से स्राव आना शुरू हो जाता है. मवेशी का दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है.

क्या है लंपी का उपचारः डॉक्टर्स के अनुसार जानवरों में लंपी स्किन डिजीज के लक्षण दिखते ही सर्वप्रथम किसी अनुभवी पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए. इसके बाद उनकी सलाह पर उपचार कराना चाहिए. शरीर पर उभरे चकत्तों पर नीम -हल्दी का पेस्ट बनाकर लगाने से भी राहत मिलती है. पशु चिकित्सक डॉ. शिवा काशी के अनुसार पशुपालकों को LSD से बचाव के लिए एलोवेरा और हल्दी 2:1 मात्रा में मिलाकर जानवरों के घाव में लेप लगाने और बड़े पशु को 5 चम्मच और छोटे पशु को 3 चम्मच खिलाना बेहतर होता है और रोगी पशु को यह मात्रा दो बार 10-15 दिन तक देनी चाहिए.

लंपी स्किन डिजीज का रोकथाम करना बेहद जरूरीः डॉ. शिवा काशी ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि LSD को फैलने से रोकना बेहद जरूरी है. मक्खी ,मच्छरों को दूर भगाने के लिए पशुओं के बांधने वाले स्थान पर Deltamethrin, permethrin इत्यादि कीटनाशकों का छिड़काव करें. शाम के समय में नीम की पत्तियों को जलाकर धुंआ करें. संभव हो तो गोइठा (उपला) के साथ नीम की पत्ती और लकड़ी जलाकर धुआं करें.

बीमार पशु को आइसोलेट कर देंः पशु चिकित्सकों ने पशुपालकों को सलाह दी है कि पशु बांधने के स्थान को नियमित साफ करें. अगर कोई पशु संक्रमित हो गया है तो उसे स्वस्थ पशुओं से अलग रखें और संक्रमित पशु के पास से आने के बाद अच्छी तरह से हाथ, पैर ,मुंह धोकर सैनिटाइजर का उपयोग करें. इसके बाद ही स्वस्थ पशु के पास जाएं. जिस इलाके में इस बीमारी का संक्रमण हो चुका है उस इलाके से नए पशु न खरीदें और पशुओं की आवाजाही रोक दें. पशुओं को साफ पीने का पानी और अच्छी गुणवत्ता का भोजन उपलब्ध कराएं.

LSD से संक्रमित पशुओं की मौत होने पर क्या करें पशुपालकः अगर कोई मवेशी इस बीमारी से मर जाता है तो सबसे पहले इसकी सूचना प्रखंड या जिला पशुपालन अधिकारी को दें. पशुपालक मृत पशु का पोस्टमार्टम कराएं और उसके बाद उसे गहरे गड्ढे में डालकर ऊपर से चूना और नमक डालकर मिट्टी भरवा दें. पशुओं को नीम के पत्तों के साथ उबले पानी (ठंडा होने के बाद) से स्नान कराएं. जिले द्वारा त्वरित जांच दल के साथ टीकाकरण में सहयोग के लिए अमर देव साही,गंगेश्वर यादव ,निधेस शर्मा ,गौरी शंकर पंडित नजीर अंसारी ,रामचंद्र महतो शामिल थे.

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