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Kurmi Andolan: चौथे दिन भी जारी कुड़मी आंदोलन, रेल परिचालन बाधित होने से प्रभावित हो रही किसानों की आय

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Published : Apr 8, 2023, 7:50 PM IST

Kurmi Andolan effect on Economy
कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग

कुड़मी जाति का आंदोलन चौथे दिन शनिवार (8 अप्रैल) को भी जारी रहा. खेमाशुलि स्टेशन और कुसतौर स्टेशन के रेल पटरियों पर बैठ कर रेल परिचालन को बाधित कर रहे हैं आंदोलनकारी. इसमें खड़गपुर मंडल और आद्रा मंडल का रेलवे परिचालन पर बुरी तरह से प्रभाव है.

कुड़मी आंदोलन पर बोलते हुए नेतागण

रांची: कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर बंगाल में चल रहा आंदोलन शनिवार (8 अप्रैल) को भी जारी रहा. आंदोलन बुधवार (5 अप्रैल) से शुरू हुआ था. इसमें सबसे ज्यादा खड़गपुर मंडल और आद्रा मंडल प्रभावित हुआ है. आंदोलनकारी खेमाशुलि स्टेशन और कुसतौर स्टेशन के रेल पटरियों पर बैठे हैं. इस वजह से दक्षिण पूर्व रेलवे का परिचालन पर बुरी तरह से प्रभाव है.

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रेलवे को 30 करोड़ का नुकसान: एक अनुमान के अनुसार रेलवे को अब तक करीब 30 करोड़ का नुकसान हो चूका है. वहीं यात्रियों के साथ-साथ व्यवसायियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इधर, झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने रेल मंत्री को चिट्ठी लिखकर वैकल्पिक मार्ग के सदुपयोग एवं शार्ट टर्मिनेट पर विचार करने के लिए आग्रह किया है.

सीनियर सिटीजन को अधिक परेशानी: रोगी चेंबर ऑफ कॉमर्स ने रेल मंत्री को पत्र लिखा है. इसमें बताया गया कि दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर और आद्रा मंडल में आंदोलन के कारण कई महत्वपूर्ण ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है. इससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. खासकर वैसे यात्री जो सीनियर सिटीजन, महिला, रोगी एवं बच्चे शामिल हैं. ऐसे में यात्रियों की सुविधा को देखते हुए केंद्र सरकार आंदोलनकारियों से वार्ता करे.

किसानों की आय पर पड़ रहा प्रभाव: झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा ने कहा है कि इस आंदोलन की वजह से ना केवल यात्री बल्कि किसान जो झारखंड एवं अन्य राज्यों में अपने सामानों को भेजते हैं उन्हें भी घाटा उठाना पड़ रहा है. उनके सामान बीच रास्ते में ही खराब हो रहे हैं. उनकी आय पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि या तो वैकल्पिक कोई व्यवस्था करे या आंदोलनकारियों से बातचीत कर समाधान का रास्ता निकालें.

व्यवसायिक कार्यों पर असर: झारखंड में कुड़मी जाति की अच्छी खासी आबादी है. ऐसे में झारखंड में भी अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग समय-समय पर उठती रही है. सदन के अंदर और सदन के बाहर कुड़मी को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग होती रही है. बंगाल में चल रहे आंदोलन की तरह झारखंड में फिलहाल अभी आंदोलन नहीं चल रहा है. मगर इसका असर झारखंड के आम लोगों के साथ-साथ व्यवसायिक कार्यों पर पड़ रहा है.

राजनीतिक दल दे रहे गोलमोल जवाब: इन सबके बीच कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर राजनीतिक दल का गोलमोल जवाब है. भारतीय जनता पार्टी ने इस आंदोलन के कारण आम लोगों को हो रही परेशानी के लिए बंगाल सरकार को दोषी माना है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अनिमेष कुमार ने बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि आंदोलन की वजह से जो आम लोगों की परेशानी हुई है. इसके लिए बंगाल सरकार दोषी है. पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए अनिमेष कुमार ने कहा कि बंगाल सरकार की उदासीन रवैया के कारण लोग परेशान हैं. और सरकार निश्चिंत होकर बैठी हुई है.

इधर कांग्रेस प्रवक्ता और पार्टी के महासचिव राकेश सिन्हा ने पश्चिम बंगाल में कुड़मी आंदोलन की वजह से आम लोगों को हो रही परेशानी पर नाराजगी जताया है. कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन करने का अधिकार सभी को है मगर जिस वजह से आम लोग परेशान हैं यह कतई उचित नहीं है. कुड़मी को एसटी में शामिल करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने अभी तक इस पर कुछ भी स्टैंड क्लियर नहीं किया है. बहरहाल बंगाल में चल रहे कुड़मी आंदोलन की वजह से शनिवार को भी रांची से चलने वाली 14 ट्रेनें रद्द रही. जिसके कारण आम यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

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