Diwali 2023: दीपावली पर रखें ध्यान, जानिए कब से कब तक कर सकते हैं आतिशबाजी

Diwali 2023: दीपावली पर रखें ध्यान, जानिए कब से कब तक कर सकते हैं आतिशबाजी
दीपावली में आतिशबाजी खूब होती है. झारखंड में आतिशाबाजी को लेकर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद द्वारा गाइडलाइंस जारी की गयी है. इसके अनुसार तय समय तक ही पटाखे फोड़े जा सकते हैं. इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई भी की जा सकती है. Jharkhand Pollution Board guidelines on fireworks.
रांचीः दिवाली के दौरान अगर आप आतिशबाजी की योजना बना रहे हैं तो सावधान हो जाइए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने इसके लिए गाइडलाइन जारी कर दिया है. इस गाइडलाइन के अनुसार ही आप आतिशबाजी कर पाएंगे.
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार दीपावली के दिन पटाखा मात्र 2 घंटे यानी शाम 8 बजे से रात के 10 बजे तक ही चलाए जा सकेंगे. इसके अलावा उन्हीं पटाखों की बिक्री होगी, जिनकी ध्वनि सीमा 125 डीबी से कम हो. आप इस निर्देश का उल्लंघन करते हुए पाए जाएंगे तो आप पर आईपीसी की धारा 188 और वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 37 के तहत विधि सम्मत कार्रवाई जिलों के उपायुक्त द्वारा की जाएगी. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी एनजीटी नई दिल्ली के 1 दिसंबर 2020 के आदेश का हवाला देते हुए यह आदेश जारी किया है.
दीपावली, छठ, क्रिसमस और नववर्ष को लेकर भी गाइडलाइनः झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार दीपावली छठ, क्रिसमस और नववर्ष जैसे त्योहार के समय भी पटाखा मात्र दो घंटे तक ही चलाया जा सकेंगे. दीपावली और गुरु पर्व पर रात 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक छठ में सुबह 6:00 बजे से प्रातः 8:00 बजे तक, क्रिसमस और नववर्ष के दिन मध्य रात्रि 11:55 से मध्य रात्रि 12:30 बजे तक ही आतिशबाजी हो सकेगी.
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय पदाधिकारी राम प्रवेश सिंह ने दीपावली के मौके पर लोगों से ग्रीन पटाखा और ग्रीन दीया का प्रयोग करने के साथ साथ एक पेड़ लगाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के लिए यह आवश्यक है. 12 नवंबर को दीपावली है. राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड में इस मौके पर जमकर आतिशबाजी होती है. आतिशबाजी की वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. इसे ध्यान में रखते हुए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद गाइडलाइन जारी करती रही है. इसके बावजूद भी लोग निर्धारित ध्वनि क्षमता से अधिक के पटाखे देर रात तक चलाते रहते हैं. ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि जहां आम लोग इसकी गंभीरता को समझें और शासन प्रशासन भी इस पर मुस्तैदी के साथ निगरानी रखें.
