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Jharkhand News: टीबी फ्री वर्कप्लेस पॉलिसी बनाने वाला देश का पहला राज्य बना झारखंड, 2024 तक राज्य को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प

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Published : Jul 12, 2023, 8:00 PM IST

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TB Free Workplace Policy Launched In Ranchi

झारखंड सरकार ने टीबी फ्री वर्कप्लेस पॉलिसी बनायी है. जिसकी लॉन्चिंग रांची में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने संयुक्त रूप से की. इस अवसर पर वर्ष 2024 तक झारखंड को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया.

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है. पीएम मोदी के इस संकल्प को वर्ष 2025 से एक वर्ष पूर्व ही पूरा करने का झारखंड सरकार ने योजना तैयार की है. स्वास्थ्य विभाग वर्ष 2024 में ही झारखंड को टीबी मुक्त राज्य बनाने की पूरी कार्ययोजना बनाकर आगे बढ़ रहा है. इसके लिए जहां राज्य में टीबी मरीजों की पहचान के लिए स्क्रीनिंग बढ़ाई जा रही है. वहीं मरीजों को टीबी की निःशुल्क दवा और पोषक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है.

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टीबी फ्री वर्कप्लेस पॉलिसी की हुई लॉन्चिंगः टीबी उन्मूलन को लेकर प्रोजेक्ट भवन सभागार में आयोजित स्टेट लेवल समिट में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता की उपस्थिति में "टीबी फ्री वर्कप्लेस पॉलिसी" की लॉन्चिंग की गई. देश में झारखंड पहला स्टेट बन गया है जो टीबी को जड़ से मिटाने के लिए कार्यस्थलों को कैसे टीबी मुक्त बनाया जाए इसका पूरा डॉक्यूमेंटेंशन तैयार किया है.

टीबी उन्मूलन में उद्योग और श्रम विभाग का लिया जाएगा सहयोग: टीबी उन्मूलन की दिशा में काम कर रही स्वयंसेवी संस्था रीच इंडिया (REACH INDIA)की अणिमा किस्कू ने कहा कि टीबी मुक्त कार्य स्थल बनाने को लेकर एक नियमावली बनाने की परिकल्पना भारत सरकार द्वारा की गई थी. टीबी मुक्त भारत की परिकल्पना सिर्फ स्वास्थ्य विभाग नहीं कर सकता, ऐसे में उद्योग और श्रम विभाग का भी सहयोग लेना और मिलना अपेक्षित है. कार्यस्थल को भी टीबी मुक्त बनाना बेहद जरूरी है. इसलिए श्रम और उद्योग विभाग के साथ मिलकर स्वास्थ्य विभाग ने एक पॉलिसी बनाई है. अब उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में ये पॉलिसी राज्य के सभी उद्योगों में लागू होगा.

टीबी उन्मूलन के लिए चलाया जा रहा अक्षय प्लस कार्यक्रमः वहीं इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी के शादाब ने कहा कि अलग-अलग रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि देश में 80% टीबी मरीज 15 से 60 साल के बीच के हैं. जो किसी परिवार या समाज के मुख्य वर्क फोर्स होते हैं. उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए अक्षय प्लस कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है. जिसके तहत टीबी मरीजों को दवा, जांच और 500 रुपए महीना दिया जाता है.

टीबी मुक्त पंचायतों को भारत सरकार करेगी सम्मानितः वहीं राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन विभाग के डीडीजी राजेन्द्र पी जोशी ने कहा कि 2023 में आये एक टीबी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर लोगों में टीबी के लक्षण रहने के बावजूद वह टीबी हो सकता है ऐसा नहीं सोचते. ज्यादातर लोग टीबी का सिप्टम होने के बावजूद डॉक्टर्स के पास नहीं जाते हैं. 64% लोग लक्षण होने पर भी टीबी के बारे में नहीं सोचते हैं और वह संक्रमण फैलाते हैं. उन्होंने कहा कि अब भारत सरकार टीबी मुक्त पंचायत बनने पर पंचायतों को सम्मानित करेगी.

टीबी के प्रति इंडस्ट्रीज और नियोक्ताओं को किया जाएगा जागरुकः वहीं झारखंड के उद्योग सचिव जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि इंडस्ट्रीज और नियोक्ताओं की जागरुकता से हम टीबी पर विजय पा सकते हैं. राज्य के श्रम सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि "आह" मूवी से टीबी के बारे में पहली बार जाना, उस फिल्म में नायक की मौत टीबी से हो जाती है, लेकिन आज टीबी क्यूरेबल है. पहले टीबी कंट्रोल था, अब टीबी एलिमिनेट करना है. सभी फैक्ट्री इंस्पेक्टर इंडस्ट्री से बैठकर बात करें. तकनीकी सहयोग स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिया जाएगा.

राज्य के हर जिले के सदर अस्पताल में अलग से बनाया जाए टीबी वार्डः राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि टीबी उसको अधिक होता है जो गांव में, खेत-खलिहान और फैक्ट्री में काम करते हैं. जो गरीब हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से हर जिले में अलग से टीबी वार्ड बनाने की मांग की. श्रम मंत्री ने कहा कि वर्क प्लेस को टीबी मुक्त बनाने में उनका विभाग स्वास्थ्य विभाग को सहयोग करेगा. हर पंचायत में शिविर लगाकर टीबी जांच कराने की भी उन्होंने सलाह दी.

गरीबों के लिए अभिशाप होती हैं बीमारियांः राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड पीएम मोदी के टीबी मुक्त भारत के सपने को पूरा करने में पहली पंक्ति में खड़ा राज्य होगा. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं, जो गरीबों के लिए अभिशाप हैं. कालाजार, फाइलेरिया, टीबी भी उसी लाइन की बीमारियां हैं. उन्होंने कहा कि अलग हटकर बात करूं तो सर्पदंश, कुत्ता काटने से भी ज्यादा परेशान गरीब ही होते हैं. उन्होंने कहा कि देशभर में कोविड के बेहतर मैनेजमेंट में हमें तीसरे स्थान पर आंका गया है.

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टीबी उन्मूलन की ली शपथः आगे हम टीबी उन्मूलन में और बेहतर काम करेंगे. सर्वाइकल कैंसर की प्रसव के पूर्व और बाद में स्क्रीनिंग से रोगी की पहचान हो सकेगी. नि:क्षय मित्र बनने में कंपनियां सहयोग करें. उन्होंने कहा कि बीमारियों को रोकने के लिए राज्य में प्रदूषण रोकना भी जरूरी है. पोलियो की तरह टीबी भी देश से भागेगा, इसका संकल्प लिया गया. कार्यक्रम में टीबी उन्मूलन की दिशा में सहयोग करने वाली कंपनियों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सम्मानित भी किया गया. कार्यक्रम के बाद मीडिया द्वारा धनबाद में एक छात्रा के साथ घटी घटना पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा दोषी पर कानून के अनुसार कार्रवाई होगी.

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