रांची: राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ देकर जहां क्रेडिट लेने की कोशिश में है, तो वहीं दूसरी ओर इससे लाभांवित होने वाले कर्मचारी सरकार के इस फैसले से खुश नहीं दिख रहे हैं. हालत यह हैं कि सरकार के इस फैसले पर कर्मचारी संघ ने पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूर्व से दिए जा रहे 1000 रुपए प्रतिमाह चिकित्सा भत्ता की राशि जारी रखने का आग्रह किया है. साथ ही हेल्थ कार्ड को विकल्प के तौर पर रखने की भी मांग की है.
कर्मचारियों के विरोध के पीछे ये है वजह: झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश मंत्री मृत्युंजय कुमार झा ने सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की हैय उन्होंने कहा है कि कर्मचारियों को पहले से मिल रहे चिकित्सा भत्ता राशि चालू रखी जाए. सात ही स्वास्थ्य बीमा को विकल्प के तौर पर कर्मचारियों के लिए प्रावधान किए जाएं.
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कर्मचारियों को जो चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता होती है, उसे चिकित्सा परिषद के अनुमोदन से उतनी राशि मिल जाती है. मगर हेल्थ कार्ड के लाभ लेने से जहां उन्हें आयकर छूट में इसका लाभ नहीं मिलेगा. वहीं दूसरी ओर 5 लाख तक का ही चिकित्सा बीमा की व्यवस्था की गई है. उसके बाद क्या होगा, यह सुनिश्चित नहीं किया गया है. कर्मचारी संघ द्वारा पहले भी इस तरह की मांग सरकार से की जा चुकी है और अब स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत किए जाने के फैसले के बाद एक बार फिर कर्मचारी सरकार से आग्रह कर रहे हैं.
सरकार ने कर्मचारियों के स्वास्थ्य बीमा हेल्थ कार्ड का लिया है निर्णय: 25 जुलाई को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने अपने कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा हेल्थ कार्ड दिए जाने की घोषणा की थी. जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिन्हित गंभीर बीमारियों की चिकित्सा के लिए चयनित बीमा कंपनी के द्वारा सरकार ने 50 करोड़ का कॉर्पोरेट बफर बनाने के साथ-साथ गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए कर्मचारियों को 5 लाख का हेल्थ कार्ड जारी करने का निर्णय लिया है.