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झारखंड की राजनीति में स्थिरता लाने का जाता है इनको श्रेय, अपने ही मंत्री से हारकर बनाया रिकॉर्ड

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Published : Nov 9, 2022, 6:04 AM IST

Updated : Nov 14, 2022, 10:00 AM IST

झारखंड निर्माता में अब तक आपको दिशोम गुरु शिबू सोरेन, राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और मधु कोड़ा के बारे में बता चुके हैं. अब आपको एक ऐसे नेता के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने पहली बार झारखंड में एक स्थाई सरकार दी. (Raghubar Das Political Journey)

Raghubar Das political journey
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रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2014 में पहली बार किसी एक गठबंधन को बहुमत मिला था. इस शानदार जीत ने झारखंड की राजनीति को एक नई दिशा दी. राज्य में पहली बार गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाया गया. रघुवर दास मजदूरों के नेता से झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए. (Raghubar Das Political Journey)

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रघुवर दास बीजेपी के बेहद भरोसेमंद रहे हैं. 2014 में जब अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब रघुवर दास को बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था. रघुवर दास कभी मामूली कर्मचारी हुआ करते थे. उनका सीएम बनने का सफर रोचक और प्रेरणादायक है.

Raghubar Das political journey
रघुवर दास के बारे में जानकारियां

रघुवर दास मूल रूप से छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के बोईरडीह के रहने वाले हैं. इनके पिता चमन दास रोजगार के लिए जमशेदपुर शिफ्ट हो गए थे. रघुवर दास का जन्म 3 मई 1955 को जमशेदपुर में हुआ था. लॉ की पढ़ाई के बाद रघुवर दास टाटा स्टील के रोलिंग मिल में मजदूरी करने लगे. इसी दौरान रघुवर ने मजदूरों के हक में लड़ना शुरू किया. उन्होंने टाटा स्टील के कब्जे में 86 बस्तियों का मालिकाना हक मजदूरों को दिलाया. धीरे-धीरे इनका रुझान राजनीति की ओर होने लगा. रघुवर दास जेपी आंदोलन के दौरान 1975 के आपातकाल के समय जेल भी गए.

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पांच बार लगातार एक ही सीट से जीत दर्ज की: रघुवर 1977 में जनता पार्टी के सदस्य बने और1980 में बीजेपी की स्थापना के साथ सक्रिय राजनीति में आ गए. इसी साल रघुवर दास बीजेपी प्रत्याशी दीनानाथ पांडे के लिए पोलिंग एजेंट बने, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें बूथ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी सौंप दी और फिर उन्हें जिला महामंत्री बना दिया गया. बीजेपी विचारक गोविंदाचार्य की नजर रघुवर पर गई तो 1995 में जमशेदपुर (पूर्वी) सीट का टिकट मिल गया. उन्होंने बीजेपी के भरोसे को टूटने नहीं दिया और पहले चुनाव में ही भारी मतों से जीत हासिल की. इसके बाद वे इस सीट से 2000, 2005, 2009 और 2014 विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की.

मंत्री और उपमुख्यमंत्री भी रहे: 2005 में अर्जुन मुंडा की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया. फिर सरकार गिरने के बाद उन्हें झारखंड भाजपा का अध्यक्ष भी बनाया गया. 2009 में जब शिबू सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी तक उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया. 30 दिसंबर 2009 से 29 मई 2010 तक उपमुख्यमंत्री भी रहे हैं.

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पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री: झारखंड विधानसभा चुनाव 2014 कई मायनों में निर्णायक साबित हुआ. पहली बार राज्य में किसी एक गठबंधन को बहुमत मिला था. इस चुनाव में बीजेपी की झोली में 37 सीटें आईं. इसके साथ ही सहयोगी आजसू को 5 सीटों पर कामयाबी मिली. जेएमएम को 19, कांग्रेस को 7, जेवीएम को 8 और अन्य को 5 सीटें हासिल हुई. इस बार बीजेपी ने यहां गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का प्रयोग किया और रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाया गया. 28 दिसंबर 2014 को रघुवर दास ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. 2014 से पहले झारखंड में रघुवर सरकार के पहले घोर राजनीतिक अनिश्चितता थी. विधायकों को जोड़तोड़ कर बनी सरकार का कोई ठिकाना नहीं था. सियासी अस्थिरता की वजह से राज्य के विकास का पहिया थम सा गया था. रघुवर सरकार के आने के बाद पहली बार किसी सरकार ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.

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अपने ही मंत्री से हार गए: 2014 में मुख्यमंत्री बने रघुवर दास की 2019 तक एक कद्दावर नेता बन चुके थे. पार्टी के अंदर ही कई नेताओं ने इनका विरोध शुरू कर दिया था. इन्हीं में से एक हैं सरयू राय. सरयू राय उनकी सरकार में मंत्री रहे हैं. मंत्री रहते हुए उन्हेंने कई मौकों पर इनका विरोध किया. 2019 के विधानसभा चुनाव में सरयू राय को बीजेपी की ओर से टिकट नहीं मिल पाया. उन्हें लगा कि रघुवर दास की वजह से उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है. लिहाजा सरयू राय ने रघुवर दास के खिलाफ ही जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ा. संभवत: यह पहला मौका था जब एक ही सीट से मुख्यमंत्री और मंत्री दोनों चुनाव लड़ रहे थे. यह चुनाव बेहद रोचक हो गया था. इस रोचक मुकाबले में रघुवर दास को हार का मुंह देखना पड़ा. 2019 में चुनाव हारने के कुछ महीनों बाद बीजेपी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया.

कई घोटालों से भी जुड़ें नाम: मेनहर्ट घोटाला, राज्यसभा चुनाव 2016 हॉर्स ट्रेडिंग, कंबल घोटाला, मोमेंटम झारखंड घोटाला, नए विधानसभा और नए हाई कोर्ट भवन निर्माण में अनियमितता के आरोप भी इन पर लगे हैं. इस मामलों की जांच या तो एसीबी या सीआईडी से हो रही है.

Last Updated : Nov 14, 2022, 10:00 AM IST
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