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झारखंड की भोगता जाति को मिला एसटी का दर्जा, राज्यसभा में संशोधन विधेयक पारित

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Published : Mar 30, 2022, 7:19 PM IST

झारखंड की भोगता जाति अब अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आ गई है. सोमवार को राज्यसभा में संविधान संशोधन विधेयक 2022 पारित हो गया है. राज्य के मंत्री सत्यानंद भोक्ता का मानना है कि अब भोगता समाज का राजनीतिक वजूद खतरे में पड़ जाएगा.

Jharkhand Bhogta caste got ST status
Jharkhand Bhogta caste got ST status

रांची: झारखंड की भोगता जाति अब अनुसूचित जाति के बजाए अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आ गई है. आज राज्यसभा में संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) संशोधन विधेयक 2022 पारित हो गया है. जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पहल पर यह संभव हो पाया है. हालांकि राजद की टिकट पर इस समाज से विधानसभा चुनाव जीतकर हेमंत कैबिनेट में श्रम मंत्री बने सत्यानंद भोक्ता इससे खुश नहीं हैं. उनका मानना है कि अब भोगता समाज का राजनीतिक वजूद खतरे में पड़ जाएगा.

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उन्होंने कहा कि इस समाज के लोग पश्चिम बंगाल और बिहार में भी रहते हैं. उन्हें भी क्यों नहीं एसटी का दर्जा दिया गया. मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि पूर्ववर्ती रघुवर सरकार कैबिनेट के प्रस्ताव के बाद इस दिशा में बात आगे बढ़ी थी. हालांकि 5 दिसंबर 2017 के कैबिनेट प्रस्ताव के कंडिका-6 में स्पष्ट लिखा हुआ था भोगता को छोड़कर खरवार की शेष उपजाति को एसटी की सूची में शामिल किया जाना चाहिए.

आपको बता दें कि साल 2014 में ही खरवार समुदाय की पर्याय जातियों को झारखंड की अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की अनुशंसा की गयी थी. उस वक्त राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष थे वर्तमान झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्वर उरांव. उन्होंने आयोग के तत्कालीन सदस्य भैरू लाल मीणा के साथ राज्य के गांवों का दौरा कर खरवार समुदाय के पर्याय जातियों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने की अनुशंसा की थी.

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आयोग की टीम ने लातेहार जिला में चंदवा ब्लॉक के हुटाप व चेटर पंचायत स्थित बांसडीहा, चीरो, कैलाखड का दौरा कर स्थानीय लोगों की जीवनशैली का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार किया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि खरवार समुदाय कि उपजातियों की भाषा, संस्कृति, धार्मिक अनुष्ठान, विधि विधान, सामाजिक संगठन, राजनैतिक व शैक्षिक स्थिति जनजातियों से मिलती जुलती है.

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