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झारखंड में चुनावी तैयारी शुरू! संथाल में कब-कब कमजोर पड़ी भाजपा, कभी झामुमो के इस गढ़ में बीजेपी का था दबदबा

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 28, 2023, 6:08 PM IST

Jharkhand Assembly Elections 2024
Jharkhand Assembly Elections 2024

Jharkhand Assembly Elections 2024. झारखंड में चुनावी माहौल गर्म हो रहा है. एक तरफ बाबूलाल मरांडी लगातार झारखंड के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में लोगों से जाकर मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सीएम हेमंत सोरेन सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के जरिए लोगों तक अपना संदेश दे रहे हैं. झामुमो और बीजेपी के बीच संथाल परगना इलाके में भी कांटे की टक्कर मानी जा रही है. इस रिपोर्ट में जानिए कब-कब इस इलाके में रहा किसका कब्जा.

रांची: भाजपा और झामुमो ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है. दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं की गतिविधि बढ़ गई हैं. सीधे जनता से संवाद स्थापित किया जा रहा है. खासकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी मुखर होकर सोरेन परिवार पर निशाना साध रहे हैं. उन्होंने झामुमो के गढ़ लिट्टीपाड़ा के बड़ा कुटलो गांव में फैले मलेरिया पीड़ितों से मिलकर हाल जाना. आरोप लगाया कि इस गांव में कई विधवाओं को पेंशन नहीं मिल रहा है. जब सीएम आपके द्वार की बात कर रहे हैं तो पिछले दिनों पाकुड़ आने पर मलेरिया प्रभावित गांवों में क्यों नहीं आए. क्या उन्हें मलेरिया होने का डर सता रहा था.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के जरिए लोगों को कनेक्ट कर रहे हैं. उनकी तरफ से भाजपा को झामुमो के दूसरे नेता जवाब दे रहे हैं. लिहाजा, संथाल परगना राजनीति का केंद्र बन गया है, भाजपा अपनी पुरानी जमीन पर कब्जा जमाने को बेताब है तो झामुमो के पास अपनी पकड़ बनाए रखने की चुनौती. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस संथाल को झामुमो का गढ़ कहा जाता है, वहां कभी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी.

कभी संथाल में भाजपा थी सबसे बड़ी पार्टी: संथाल परगना प्रमंडल के छह जिलों में विधानसभा सीटों की संख्या 18 है. इनमें सात सीटें ST और एक सीट SC के लिए आरक्षित है. राज्य गठन के बाद 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के वक्त संथाल की 18 सीटों में से सात सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था जबकि झामुमो ने सिर्फ पांच सीटों पर. तब 2 सीटें कांग्रेस के खाते में, 2 निर्दलीय और 1-1 सीट राजद और जदयू के पाले में गई थी. लिहाजा, झारखंड में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा संथाल की सबसे बड़ी पार्टी थी.

हालांकि, 2009 के चुनाव की सूरत बिल्कुल अलग थी. इस चुनाव में भाजपा दो सीटों पर सिमट गई थी. वहीं झामुमो 10 सीटों पर विजयी होकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. इसके अलावा 02 सीटे जेवीएम, 2 सीटें राजद, 01 सीट कांग्रेस और 01 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई थी.

2014 के चुनाव के वक्त मोदी लहर का भाजपा को भरपूर फायदा मिला. इस चुनाव में आठ सीटें (जेवीएम के रणधीर सिंह को मिलाकर) जीतकर भाजपा संथाल प्रमंडल में दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी बन गई. इस चुनाव में झामुमो चार सीटों के नुकसान के साथ छह सीटों पर आ सिमटी. वहीं कांग्रेस के पाले में 03 और जेवीएम को 01 सीट मिली. इस चुनाव में संथाल से राजद का सफाया हो गया. निर्दलीय को भी जनता ने नकार दिया.

2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को संथाल में फिर बड़ा झटका लगा. पार्टी 50 प्रतिशत सीटों के नुकसान के साथ 04 सीटों पर सिमट गई. लेकिन झामुमो ने कमबैक कर 09 सीटों पर कब्जा जमा लिया. कांग्रेस ने भी संथाल में अबतक का सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए 05 सीटें ( प्रदीप यादव की पोड़ैयाहाट को मिलाकर) अपनी झोली में डालने में सफल रही. इस चुनाव में यूपीए गठबंधन सबसे मजबूत बनकर सामने आया. इसी की बदौलत 2019 से अबतक झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए की सरकार चल रही है. रघुवर दास के पांच वर्ष के कार्यकाल के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई सरकार अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने की ओर अग्रसर है.

संथाल में झामुमो के अभेद किले की तरह हैं ये सीटें: संथाल परगना के तीन जिलों की दस विधानसभा सीटों में से सात सीटें ST के लिए आरक्षित हैं. इनमें साहेबगंज की बरहेट, पाकुड़ की लिट्टीपाड़ा और महेशपुर जबकि दुमका की शिकारीपाड़ा और जामा सीट पर आज तक भाजपा नहीं पहुंच सकी है. यह पांच सीटें संथाल में झामुमो के लिए अभेद्य किले की तरह हैं. हालांकि सोरेन परिवार के लिए सबसे मुफिद रही दुमका सीट पर भाजपा बीच-बीच में सेंध लगाती रही है.

किन सीटों पर भाजपा और झामुमो में होती है टक्कर: 2005 में भाजपा की सात सीटों में से चार सीटें यानी बोरियो, जामा, जामताड़ा और मधुपुर सीट को झामुमो ने 2009 के चुनाव में जीत लिया था. वहीं भाजपा सिर्फ नाला सीट झामुमो से ले पाई थी. लेकिन 2014 के चुनाव में भाजपा ने झामुमो की बोरियो, दुमका और मधुपुर सीट पर कब्जा जमाने में सफल रही. 2014 में संथाल में आठ सीटें जीतने के बाद जेवीएम की टिकट पर सारठ से विजयी रणधीर सिंह को मिलाकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई.

संथाल की किन सीटों पर भाजपा की है पकड़: संथाल में झामुमो के पास पांच सीटें हैं जिनपर वह पिछले तीन चुनावों से जीतते आ रही है, लेकिन इस मामले में भाजपा कहीं नहीं टिकती. कोई सीट ऐसी नहीं है जिसपर भाजपा पिछले तीन चुनावों से जीतती आ रही है. दो चुनावों में लगातार जीत की बात करें तो भाजपा की सूची में सिर्फ राजमहल और नाला विधानसभा की सीट आएगी. संथाल की शेष 16 सीटों पर भाजपा का कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस नहीं रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड बहुमत लाने वाली भाजपा ने उसी साल विधानसभा चुनाव में संथाल की सभी सीटों पर जीत के दावे किए लेकिन महज 04 सीट से ही संतोष करना पड़ा, जो सत्ता गंवाने का एक बड़ा कारण भी बना. इसकी कई वजहें रहीं.

फिलहाल भाजपा पुराने अनुभवों से सीख लेकर बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में अपनी पैठ को दोबारा कायम करने में जुट गई है. वहीं झामुमो के लिए अपने किले को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि जदयू के रुख से साफ है कि आगामी चुनाव में उसकी भी एंट्री हो सकती है.

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