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स्थापना दिवस विशेषः राज्य ने 19 वर्षों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में पाई कई उपलब्धियां, लागू हुईं कई नई योजनाएं

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Published : Nov 15, 2019, 10:51 AM IST

स्वास्थ्य के क्षेत्र में पाई कई उपलब्धियां

बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य के गठन के 19 वर्ष हो गए हैं. प्रदेश तब से लेकर आज तक विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में झारखंड ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

रांची: झारखंड गठन के 19 वर्षों में राज्य लगातार हर क्षेत्र में प्रगति की ओर बढ़ रहा है. दिन-प्रतिदिन बढ़ रही आबादी को देखते हुए प्रदेश स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, सड़क, यातायात सहित अन्य क्षेत्रों में लगातार विकास की सीढ़ियों पर चढ़ रहा है.

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झारखंड में 3 नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया, जिसमें पलामू, हजारीबाग और दुमका में मेडिकल कॉलेजों का निर्माण शामिल है. इसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास की गति बढ़ाने के लिए सरकार का एक बेहतर पहल माना गया. वहीं, राज्य वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने के लिए सरकार कई योजनाओं को भी चला रही है.

इसे भी पढ़ें:- स्थापना दिवस विशेष: किशोर से युवा हुआ झारखंड, कई राजनीतिक घटनाक्रम का बना गवाह

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
ग्रामीण क्षेत्रों में कारगर वहन योग्य दायित्वपूर्ण, जन स्वास्थ्य प्रणाली लागू कराने के लिए इस योजना को चलाया जा रहा है. वहीं, इस योजना के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उप स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जाता है.

मातृत्व शिशु स्वास्थ्य योजना
इस योजना का उद्देश्य राज्य में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर और मातृत्व मृत्यु दर को कम करना है.

इसे भी पढ़ें:- बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रदेश कांग्रेस करेगी चुनाव अभियान की शुरुआत, कई नेता रहेंगे मौजूद

मुख्यमंत्री जननी योजना
इस योजना का उद्देश्य गर्भवती महिला और शिशु के स्वास्थ्य प्रतिरक्षण सहित पोषण में वृद्धि कर मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करना है.

राष्ट्रीय रोग वाहक (वेक्टर) जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम
इस योजना का उद्देश्य जेनेटिक रोग का इलाज सुनिश्चित करना और इसके संबंध में जागरूक करना है.

अंधापन नियंत्रण योजना
इस योजना का उद्देश्य मोतियाबिंद ग्रसित नेत्र रोगियों का उपचार करना होता है.

कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का उद्देश्य कुष्ठ रोगियों का मुफ्त इलाज और इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ाकर इस बीमारी को रोकना होता है.

एड्स नियंत्रण कार्यक्रम
इस योजना का उद्देश्य एचआईवी रोगियों को उचित इलाज और इस बीमारी की रोकथाम प्रसार नियंत्रण के लिए जन जागरूकता को फैलाना होता है.

राष्ट्रीय यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का उद्देश्य यक्ष्मा यानि टीबी की पहचान कर उचित उपचार और प्रसार को रोकना है.

इसे भी पढ़ें:- स्थापना दिवस विशेष: 19 वर्षों के झारखंड को कई बार होना पड़ा शर्मिंदा, लगातार उजागर होते रहे भ्रष्टाचार के मामले

तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का उद्देश्य तंबाकू पान निषेध और इसके बारे में लोगों को जागरूक करना और प्रचार-प्रसार कर इसके हानि को बताना है.

ओएसडी बीमारी सहायता निधि
इस योजना का उद्देश्य असाध्य रोगियों को चिकित्सा हेतु सहायता राशि प्रदान करना होता है.

परिवार नियोजन कार्यक्रम
इस योजना का उद्देश्य लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए बंध्याकरण, नसबंदी जैसे उपायों के बारे में बताना है.

पल्स पोलियो कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में पोलियो की बीमारी को जड़ से मिटाना होता है.


एनीमिया नियंत्रण कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए योजनाओं की जानकारी देना होता है.

इसके अलावा झारखंड पिछले 19 वर्षों में महिला स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, आयुष चिकित्सा, पोषाहार, स्वच्छता और स्वास्थ्य विज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अन्य क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य विभाग ने कई नए काम किए हैं.

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स को आधुनिक बनाने के लिए पिछले 19 वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने कई काम किए

  • रिम्स में में दंत चिकित्सा महाविद्यालय और छात्रावास के भवन निर्माण किया गया.
  • क्रिटिकल मरीजों के इलाज के लिए रिम्स में नवनिर्मित ट्रॉमा सेंटर का निर्माण किया गया.
  • रिम्स के कार्डियोलॉजी और कार्योत्तर एपिक विभाग में कैथ लैब अधिष्ठापन के कार्य की स्वीकृति दी गई.
  • कैंसर पीड़ित मरीजों के उपचार के लिए करोड़ों की लागत पर लीनियर एसलेटर नामक को लगाने की भी स्वीकृति स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दी गई. कैंसर के मरीजों के लिए सर्जरी की सुविधा भी बहाल की गई है.
  • आयुष्मान कार्डधारी मरीजों के उपचार में झारखंड का बेहतर प्रदर्शन
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी योजनाओं में शामिल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत झारखंड की राजधानी रांची में ही की गई थी, जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में मरीजों के लिए एक नई क्रांति लाने का काम कर रही है.
  • आयुष्मान भारत के अंतर्गत गोल्डन कार्ड जारी करने में झारखंड देश में तीसरे स्थान पर है, तो वहीं राजधानी का सदर अस्पताल आयुष्मान कार्डधारी मरीज का इलाज करने में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है.
  • राज्य में 220 सरकारी अस्पताल और 434 निजी अस्पताल हैं, जो गोल्डन कार्ड धारी मरीजों का इलाज कराने के लिए रजिस्टर्ड किए गए हैं.

राज्य में डॉक्टरों और नर्सों की कमी
राज्य में डॉक्टर और नर्सों की भी घोर कमी देखी जा रही है. झारखंड में लगभग 8 हजार लोगों पर एक डॉक्टर है. राज्य में लगभग 3,500 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन लगभग 1857 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. लगभग डेढ़ हजार डॉक्टरों की अभी राज्य में कमी देखी जा रही है.

  • लगभग चार हजार स्वास्थ्य उपकेंद्र केवल नर्सों के भरोसे चल रहे हैं. राज्य में नॉर्म्स के अनुसार 14 हजार नर्सों की जरूरत है, लेकिन यहां सिर्फ साढ़े 8 हजार नर्स ही कार्यरत हैं.
  • स्वास्थ्य विभाग को कई हेल्थ सेंटर के निर्माण कराने की भी जरूरत है, क्योंकि अभी भी सैकड़ों हेल्थ सेंटर किराए के भवन में चलाए जा रहे हैं.
  • लोगों से बातचीत के अनुसार रांची, बोकारो, जमशेदपुर और धनबाद को छोड़ दें तो बांकी शहरों में खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है.
  • अधिकतर सदर अस्पतालों में सुविधाएं नदारद है. थोड़ी भी गंभीर स्थिति आने पर यहां से मरीजों को रिम्स, एमजीएम या पीएमसीएच जैसे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है.

वहीं, झारखंड सरकार में वर्षो से काम कर रहे सदर अस्पताल की मेडिकल ऑफिसर डॉ. उषा कुमारी बताती हैं कि जिस प्रकार से झारखंड स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है, जो निश्चित रूप से आने वाले समय में झारखंड स्वास्थ्य के क्षेत्रों में नया कीर्तिमान रचेगा.

सदर अस्पताल में कार्यरत डॉ. उषा कुमारी ने बताया कि डॉक्टरों और नर्सों की कमी के साथ-साथ स्वास्थ्य के क्षेत्रों में आधुनिक उपकरणों की जरूरत राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मत्वपूर्ण है.

गौरतलब है कि राज्य के 19 वर्ष पूरे होने के बाद बढ़ती आबादी को देखते हुए झारखंड स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार आगे बढ़ता नजर आ रहा है, बस इसकी गति को और तेज करने की जरूरत है.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट।
झारखंड गठन के 19 वर्षों के बाद झारखंड लगातार हर क्षेत्र में प्रगति की ओर बढ़ रहा है, दिन प्रतिदिन बढ़ रही आबादी को देखते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा सुरक्षा, सड़क,यातायात सहित अन्य क्षेत्रों में लगातार विकास कर रहा है।

इसी को देखते हुए झारखंड बनने के बाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी झारखंड दिन प्रतिदिन विकास की सीढ़ियों पर चढ़ते नजर आए हैं।


Body:राज्य गठन के बाद झारखंड में 3 नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया,जिसमें पलामू,हजारीबाग और दुमका में मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास की गति बढ़ाने के लिए एक बेहतर पहल माना गया।

वहीं राज्य वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने के लिए सरकार कई योजनाओं को भी चला रही है।

1.राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन- ग्रामीण क्षेत्रों में कारगर वहन योग्य दायित्वपूर्ण, जन स्वास्थ्य प्रणाली लागू कराने के लिए इस योजना को चलाया जा रहा है। वही इस योजना के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों उप स्वास्थ्य केंद्रों तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जाता है।

2.मातृत्व शिशु स्वास्थ्य योजना- इस योजना का उद्देश्य राज्य में 5 वर्ष से कम के बच्चों का मृत्यु दर तथा मातृत्व मृत्यु दर को कम करना है।

3. मुख्यमंत्री जननी योजना- इस योजना का उद्देश्य गर्भवती महिला एवं शिशु के स्वास्थ्य प्रतिरक्षण एवं पोषण में वृद्धि कर मातृ मृत्यु दर तथा शिशु मृत्यु दर को कम करना है।

4. राष्ट्रीय रोग वाहक(वेक्टर) जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम- इस योजना का उद्देश्य जानती रोग का इलाज सुनिश्चित करना तथा इसके संबंध में जागरूक करना।

5.अंधापन नियंत्रण योजना- इस योजना का उद्देश्य मोतियाबिंद ग्रसित नेत्री रोगियों का उपचार करना होता है।

6. कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम- इस कार्यक्रम का उद्देश्य कुष्ठ रोगियों का मुफ्त इलाज तथा इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ाकर इस बीमारी को रोकना होता है।

7. एड्स नियंत्रण कार्यक्रम- इस योजना का उद्देश्य एचआईवी अथवा एड्स बीमारी के रोगियों को उचित इलाज तथा इस बीमारी की रोकथाम प्रसार नियंत्रण के लिए जन जागरूकता को फैलाना होता है।

8. राष्ट्रीय यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम- इस कार्यक्रम का उद्देश्य यक्ष्मा या टीवी को पहचान कर उचित उपचार तथा प्रसार को रोकना होता है।

9. तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम- इस कार्यक्रम का उद्देश्य तंबाकू पान निषेध एवं इसके बारे में लोगों को जागरूक करना और प्रचार प्रसार कर इसके हानि को बतलाना होता है।

10. ओएसडी बीमारी सहायता निधि- इस योजना का उद्देश्य असाध्य रोगियों को चिकित्सा हेतु सहायता राशि प्रदान करना होता है।

11. परिवार नियोजन कार्यक्रम- इस योजना का उद्देश्य लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए बंध्याकरण, नसबंदी जैसे उपायों के बारे में बतलाना होता है.।

13. पल्स पोलियो कार्यक्रम- इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में पोलियो की बीमारी को जड़ से मिटाना होता है।

14. एनीमिया नियंत्रण कार्यक्रम- इस कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरी बालिकाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए योजनाओं की जानकारी देना होता है।

इसके अलावा झारखंड पिछले 19 वर्षों में महिला स्वास्थ्य,बाल स्वास्थ्य, आयुष चिकित्सा, पोषाहार, स्वच्छता और स्वास्थ्य विज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अन्य क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई नए काम किए गए हैं।

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स को आधुनिक बनाने के लिए पिछले 19 वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने कई काम किए:-

1.रिम्स में में दंत चिकित्सा महाविद्यालय एवं छात्रावास के भवन निर्माण किया गया।

2.क्रिटिकल मरीजों के इलाज के लिए रिम्स में नवनिर्मित ट्रामा सेंटर का निर्माण किया गया।

3.रिम्स के कार्डियोलॉजी एवं कार्योत्तर एपिक विभाग में कैथ लैब अधिष्ठापन के कार्य की स्वीकृति दी गई।

4.कैंसर पीड़ित मरीजों के उपचार के लिए करोड़ों की लागत पर लीनियर एसलेटर नामक को लगाने की भी स्वीकृति स्वास्थ विभाग की तरफ से दी गई है। कैंसर के मरीजों के लिए सर्जरी की सुविधा बहाल कराना।

आयुष्मान कार्डधारी मरीजों के उपचार में झारखंड का बेहतर प्रदर्शन:-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी योजनाओं में शामिल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत झारखंड की राजधानी रांची में ही की गई थी, जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में मरीजों के लिए एक नई क्रांति लाने का काम कर रहा है।

आयुष्मान भारत के अंतर्गत गोल्डन कार्ड जारी करने में झारखंड देश में तीसरे स्थान पर है तो वहीं राजधानी का सदर अस्पताल आयुष्मान कार्ड धारी मरीज का इलाज करने में दूसरे स्थान पर पहुंचा है।

राज्य में 220 सरकारी अस्पताल और 434 निजी अस्पताल हैं जो गोल्डन कार्ड धारी मरीजों का इलाज कराने के लिए रजिस्टर्ड किए गए हैं।





Conclusion:वहीं राज्य में डॉक्टरों एवं नर्सों की कमी:
राज्य में डॉक्टर एवं नर्सों की भी घोर कमी देखी जा रही है झारखंड में लगभग 8000 व्यक्ति पर एक डॉक्टर मौजूद हैं। राज्य में लगभग 3,500 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं लेकिन लगभग 1857 डॉक्टर ही कार्यरत हैं,लगभग डेढ़ हजार डॉक्टरों की अभी राज्य में कमी देखी जा रही है।

लगभग चार हज़ार स्वास्थ्य उप केंद्र केवल नर्सों के भरोसे चल रहे हैं राज्य में नॉर्म्स के अनुसार 14 हज़ार नर्सों की जरूरत है लेकिन यहां सिर्फ साढ़े 8 हज़ार नर्स ही कार्यरत हैं।

स्वास्थ्य विभाग को कई हेल्थ सेंटर के निर्माण कराने की भी जरूरत है क्योंकि अभी भी सैकड़ो हेल्थ सेंटर किराए के भवन में चलाए जा रहे हैं।

लोगों से बातचीत के अनुसार रांची,बोकारो, जमशेदपुर व धनबाद को छोड़ दें तो बाकी शहरों में खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है।

अधिकतर सदर अस्पतालों में सुविधाएं नदारद है थोड़ी भी गंभीर स्थिति आने पर यहां से मरीजों को रिम्स,एमजीएम या पीएमसीएच जैसे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है।

वही झारखंड सरकार में वर्षो से काम कर रही सदर अस्पताल की मेडिकल ऑफिसर डॉ. उषा कुमारी बताती है कि जिस प्रकार से झारखंड सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रही है, जो निश्चित रूप से आने वाले समय में झारखंड स्वास्थ्य के क्षेत्रों में नया कीर्तिमान रचेगा।

सदर अस्पताल में कार्यरत डॉ उषा कुमारी ने बताया कि डॉक्टरों एवं नर्सों की कमी तथा स्वास्थ्य के क्षेत्रों में आधुनिक उपकरणों की जरूरत राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मत्वपूर्ण है।

गौरतलब है कि राज्य के 19 वर्ष पूरे होने के बाद बढ़ती आबादी को देखते हुए झारखंड स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार आगे बढ़ता नजर आ रहा है बस इसकी गति को और तेज करने की जरूरत है।

बाइट-उषा कुमारी, मेडिकल ऑफिसर, सदर अस्पताल, रांची।
बाइट-नागरिक,रांची।

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