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जेल से कैसे मिल रही हैं धमकियां, ईडी कर रही जेलर से पूछताछ

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 2, 2024, 11:15 AM IST

Updated : Jan 2, 2024, 11:38 AM IST

Jailer of Birsa Munda Central Jail appeared before ED
Jailer of Birsa Munda Central Jail appeared before ED

Jailer of Birsa Munda Central Jail. ईडी के सामने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के जेलर की पेशी हुई. जेल से मिल रही धमकी मामले को लेकर ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था.

रांचीः राजधानी के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के जेलर प्रमोद कुमार से ईडी की पूछताछ शुरू हो गई है. जेल से मिल रही धमकियों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा जेलर प्रमोद कुमार को मंगलवार को तलब किया गया था. इसके बाद मंगलवार को तय समय पर जेलर एजेंसी के दफ्तर पहुचे.

10:45 बजे पहुचे जेलरः एजेंसी ने जेलर को मंगलवार को दिन के 11 बजे रांची जोनल आफिस में पूछताछ के लिए उपस्थिति का समन दिया था. रांची जेल से 29 दिसंबर को योगेंद्र तिवारी ने रांची के एक अखबार के प्रधान संपादक को फोन किया था. इस फोन कॉल पर धमकी दिए जाने की शिकायत सदर थाने में की गई थी. जिसका अनुसंधान राज्य सीआईडी भी कर रहा है. इस मामले में ही ईडी ने रांची जेलर को समन किया था. जेलर को जेल में योगेंद्र तिवारी के वार्ड की सीसीटीवी फूटेज व जेल के टेलीफोन बूथ के पास लगे सीसीटीवी फूटेज के साथ बुलाया गया है. वहीं जेल प्रशासन से बूथ में रिकार्ड हुए बातचीत की ऑडियो भी ईडी ने मांगी है. जेल प्रशासन से मिली सूचना के मुताबिक, जेल से हुई पूरी बातचीत का ट्रांसस्क्रीप्ट ईडी को उपलब्ध कराया जाएगा.

शराब घोटाले का किंगपिन है योगेंद्र तिवारीः शराब घोटाले में रांची जेल में बंद योगेंद्र तिवारी के द्वारा ही जेल से खबर लिखने वालों को धमकी दी जा रही है. जेल से आखिर कैसे कोई धमकी दे रहा है, इसी की तफ्तीश ईडी कर रही है. गौरतलब है कि योगेंद्र तिवारी के खिलाफ ईडी के आरोप पत्र में कई सनसनीखेज खुलासे भी हुए हैं. ईडी ने कोर्ट में जो आरोप पत्र सौंपा है, उसमें बताया गया है कि योगेंद्र तिवारी ने अवैध तरीके से बालू, शराब और जमीन कारोबार से पैसे जुटाए, इन पैसों के जरिए साल 2021 में शराब के थोक कारोबार का ठेका 14 जिलों में हासिल किया. कारोबार के लिए उसने अपने कर्मचारियों और करीबियों के नाम पर कंपनियां खोली, लेकिन इन कंपनियों से आया लाभ और संचालन योगेंद्र तिवारी के द्वारा किया जाता था.

अवैध तरीके से कारोबार करने के लिए योगेंद्र तिवारी ने 100 से अधिक ई मेल का इस्तेमाल किया. इन ईमेल का इस्तेमाल वह बिजनेस कम्यूनिकेशन के लिए किया करता था. लेकिन जब वह ईडी की रडार पर आया, उसने सारे ई मेल डिलिट कर दिए. इन ईमेल की रिकवरी कर ईडी ने मनी लाउंड्रिंग के बड़े साक्ष्य जुटाए. वहीं योगेंद्र तिवारी ने छापेमारी के एक दिन पहले और छापेमारी के दिन भी अपने मोबाइल फोन को बदला ताकि मोबाइल से कोई डाटा नहीं मिल सके. ईडी को सबूत न मिले इसके लिए उसने 12 से अधिक बार अपने मोबाइल बदले.

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Last Updated :Jan 2, 2024, 11:38 AM IST
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