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राज्य में सामाजिक सुरक्षा की पेंशन और छात्रवृति योजनाओं में गड़बड़ी का खुलासा, पुरुषों ने लिया विधवा पेंशन का लाभ

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 21, 2023, 8:57 PM IST

Updated : Dec 21, 2023, 9:18 PM IST

pension and scholarship schemes in Jharkhand. झारखंड में डीबीटी के जरिए लाभुकों को भुगतान करने में काफी अनियमितता बरती गई है. यह गड़बड़ी मुख्य रूप से सामाजिक सुरक्षा की पेंशन योजना और छात्रवृति योजना में हुई है. गड़बड़ी की हद तो यह है कि पुरुषों ने विधवा पेंशन का लाभ उठा लिया.

Irregularities in social security pension and scholarship schemes in Jharkhand
Irregularities in social security pension and scholarship schemes in Jharkhand

जानकारी देते अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग

रांची: झारखंड में डीबीटी के माध्यम से लाभुकों को लाभ पहुंचाने की योजनाओं में भी जमकर गड़बड़ी हुई है. इसका खुलासा गुरुवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार की लेखा परीक्षा प्रतिवेदन (झारखंड सरकार) वर्ष 2023 की रिपोर्ट संख्या -03 में हुई है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 21 दिसंबर 2023 को सदन में रिपोर्ट पेश करने के बाद अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग ने इसकी जानकारी सार्वजनिक की.

उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से डीबीटी यानी डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट वाली दो योजनाओं - सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना और छात्रवृति योजनाओं का छह जिलों चतरा, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, गोड्डा, पलामू और रांची का ऑडिट किया गया. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. उन्होंने बताया कि इन जिलों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से छात्रवृति और सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं में गड़बड़ी की वजह से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. महालेखाकार ने सरकार को सभी 24 जिलों में इस तरह के मामले की जांच कराकर कार्रवाई सुनिश्चित कराने और ई कल्याण पोर्टल को और ज्यादा क्रियाशील बनाने की सलाह दी है.

पुरुषों ने लिया विधवा पेंशनः महालेखाकार जनरल की ऑडिट में यह तथ्य सामने आया है कि पूर्वी सिंहभूम एवं अन्य जिलों में कुल मिलाकर 16 ऐसे मामले मिले, जिसमें पुरुष होते हुए विधवा पेंशन का लाभ लिया. इसी तरह 84 वृद्ध लोगों के मरने के बाद उन्हें पेंशन के रूप में 8.5 लाख की राशि दे दी गयी.

अल्पसंख्यक छात्रवृति योजना का हाल और निराशाजनकः छह जिलों में की गई ऑडिट के अनुसार 2017 से 2021 के दौरान राज्य में अल्पसंख्यक छात्रवृति योजना का क्रियान्वयन बहुत निराशाजनक रहा. लेखा परीक्षा के दौरान नमूना जांच में 60% संस्थाओं में फर्जी और अपात्र लाभार्थियों को छात्रवृत्ति दी गई. वित्तीय गड़बड़ी और घपले घोटाले की स्थिति ऐसी मिली कि अल्पसंख्यक छात्रवृति का करीब 1 करोड़ 17 लाख उन संस्थाओं को भी किया गया, जिन्होंने खुद को राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल पर पंजीकरण भी नहीं कराया था.

धनबाद में छात्रवृत्ति धोखाधड़ी की जांच करने के लिए बनाई गई जिलास्तरीय सरकारी कमेटी ने जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की थी कि आवेदनों के फर्जी अनुमोदन जो करीब 9.99 करोड़ का था, उसमें आवेदन सत्यापन करने वाले अधिकारियों की भी मिलीभगत थी. इसी तरह अल्पसंख्यक छात्रवृति के लिए पात्रता सत्यापित किये बिना 663 लाभार्थियों के बीच छात्रवृति का अनियमित वितरण किया गया, जो 43.77 करोड़ का था.

अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी छात्रवृत्ति योजना में भी गड़बड़ीः ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि झारखंड के चयनित 6 जिलों में जहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग को डीबीटी के माध्यम से मिलने वाली छात्रवृत्ति का लेखा परीक्षण किया गया, वहां योजनाओं के कार्यालय में कमी देखी गई. जिला कल्याण अधिकारियों द्वारा पात्र छात्रों का इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस तक तैयार नहीं किया गया था. पांच जिलों के 21 संस्थानों में 81 फर्जी और अपात्र छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में 5.2 लाख रुपए वितरित कर दिए गए. वहीं 365 अपात्र छात्रों को छात्रवृत्ति की प्रतिपूर्ति के रूप में 22.5 लाख रुपए और अतिरिक्त प्रतिपूर्ति के रूप में 5.74 लाख रुपए वितरित कर दिए गए.

सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में भी गड़बड़ीः लेखा परीक्षण के दौरान सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का भी लेखा परीक्षण हुआ. जिसमें यह पाया गया कि विभाग के पास लाभार्थियों की संपूर्ण संख्या तक की जानकारी नहीं है. वहीं 29% आवेदनों में 864 दिन तक की देरी हुई है, यानी लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा है. इसके साथ-साथ कई जगहों पर सामाजिक सुरक्षा योजनाएं फर्जी और गलत लाभुकों को दिए गए हैं. जिससे वास्तविक लाभुक सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ लेने से वंचित हुए हैं और सरकार को वित्तीय क्षति भी हुई है.

सरकार को सलाहः डीबीटी के माध्यम से राज्य में सामाजिक सुरक्षा के पेंशन योजनाओं और छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति में गड़बड़ी को रोकने और दोषियों पर कार्रवाई के लिए राज्य भर में इन योजनाओं की जांच कराने की सलाह महालेखाकार ने राज्य सरकार को दी है. यथार्थवादी बजट तैयार करने के लिए सभी लाभार्थियों को इलेक्ट्रॉनिक डाटा बेस में रखने की जरूरत पर जोर दिया है.

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Last Updated :Dec 21, 2023, 9:18 PM IST
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