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राष्ट्रमंडल खेलों में 1998 में पहली बार खेली गई थी हॉकी, उस समय नरेंद्र सिंह सैनी थे कोच, अब रांची में खिलाड़ियों को करते हैं ट्रेंड

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Published : Jul 30, 2022, 2:31 PM IST

राष्ट्रमंडल खेल में भारतीय महिला हॉकी टीम ने जीत के साथ इस प्रतियोगिता में अपनी सफर की शुरुआत की है. गौरतलब है कि राष्ट्रमंडल खेल में साल 1998 में जब हॉकी को इंट्रोड्यूस किया गया था. उस दौरान द्रोणाचार्य अवॉर्डी नरेंद्र सिंह सैनी भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच थे.

interview with Narendra Singh Saini
interview with Narendra Singh Saini

रांची: राष्ट्रमंडल खेल (Commonwealth Games 2022) की शुरुआत हो चुकी है. भारतीय टीम भी इसमें शामिल हो रही है. भारतीय महिला हॉकी टीम ने जीत के साथ अपनी शुरुआत भी कर दी है. इस टीम में झारखंड के 3 खिलाड़ी भी शामिल हैं. शुक्रवार को आयोजित महिला हॉकी मैच में घाना की टीम को 5-0 से हराकर भारतीय महिला हॉकी टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में जीत दर्ज की है.

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साल 1998 में राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार खेला गई थी हॉकी: भारतीय टीम में झारखंड की सलीमा टेटे और संगीता ने शानदार गोल किए हैं. यह दोनों खिलाड़ी मोरहाबादी स्थित एकलव्य एक्सीलेंस सेंटर (Eklavya Excellence Center in Ranchi) की प्रशिक्षु रही हैं. बहुत कम लोगों को ही जानकारी है कि साल 1998 में मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में हॉकी महिला पुरुष गेम को जब इंट्रोड्यूस किया गया था. उस दौरान भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच नरेंद्र सिंह सैनी थे, जो वर्तमान में झारखंड के रांची के मोरहाबादी स्थित एकलव्य एक्सीलेंस सेंटर के कोच हैं. ईटीवी भारत ने नरेंद्र सिंह सैनी के साथ 1998 कॉमनवेल्थ गेम (Commonwealth Games 1998) के अनुभव के बारे में जानकारी हासिल की है. साथ ही वर्तमान टीम के संबंध में भी चर्चाएं की है.

द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता नरेंद्र सिंह सैनी से खास बातचीत


वर्तमान टीम में झारखंड की तीन खिलाड़ी: द्रोणाचार्य अवॉर्डी नरेंद्र सिंह सैनी ने 1998 के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उस दौरान कि भारतीय टीम भी शानदार थी. उस टीम में भी झारखंड के खिलाड़ी शामिल थे. उनका प्रदर्शन भी बेहतर रहा है. वर्तमान में जो टीम खेल रही है, उसमें भी झारखंड की तीन खिलाड़ी हैं, निक्की प्रधान, सलीमा टेटे और संगीता कुमारी. इन तीन खिलाड़ियों में से दो खिलाड़ी सलीमा टेटे और संगीता कुमारी रांची के मोराबादी स्थित एकलव्य एक्सीलेंस सेंटर में प्रशिक्षु रह चुकी हैं. नरेंद्र सिंह सैनी ने उन्हें हॉकी के कई टेक्निक अपने हाथों से सिखाया हैं. उनके कोच रहे नरेंद्र सिंह सैनी की मानें तो आशा ही नहीं बल्कि भरोसा है कि यह टीम भी बेहतर करेगी.

1998 में सेमीफाइनल करना पड़ा था हार का सामना: साल 1998 में सेमीफाइनल में जाकर ऑस्ट्रेलिया के साथ भारतीय महिला हॉकी टीम को हार का सामना करना पड़ा था. उस समय के कड़वे अनुभव आज भी उन्हें याद हैं. उन्होंने कहा कि बेहतर टीम रहने के बावजूद कुछ गलतियों के कारण हमारी टीम हार गई थी लेकिन, वर्तमान में जो टीम है वह पिछली तमाम गलतियों को भुलाकर अपना शत-प्रतिशत देगी और भारत को मेडल दिला कर लौटेगी. हालांकि कल के मैच में जीत दर्ज करने के बाद भी भारतीय महिला हॉकी टीम को और मेहनत करने की जरूरत है.

झारखंड की व्यवस्थाओं में कुछ सुधार की जरूरत: बातचीत के दौरान द्रोणाचार्य अवॉर्डी एकलव्य कोचिंग सेंटर के मुख्य कोच नरेंद्र सिंह सैनी ने कहा कि झारखंड में अभी भी हॉकी को लेकर सुधार की जरूरत है. एसोसिएशन राज्य सरकार के खेल विभाग और खेल प्रशिक्षकों के साथ तालमेल होना भी जरूरी है. ज्यादा से ज्यादा एक्सीलेंसी सेंटर खोले और हॉकी खिलाड़ियों को हर सुविधा दी जाए. तब जाकर झारखंड के खिलाड़ी और बेहतर कर सकेंगे.

हॉकी का हब माना जाता है राज्य: झारखंड को हॉकी का हब माना जाता है. यहां के खिलाड़ियों ने हमेशा ही भारतीय हॉकी टीम में अपनी जगह पक्की की है. वर्तमान में भी झारखंड के खिलाड़ी भारतीय हॉकी टीम में है और इस सेशन के राष्ट्रमंडल खेल में यहां के खिलाड़ियों का प्रदर्शन पहले मैच से ही देखने को मिल रहा है. भारतीय महिला हॉकी टीम ने शुक्रवार को अपने से निचले रैंकिंग की घाना टीम को 5-0 से हराकर अपना शानदार प्रदर्शन दिखाया है.

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