हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016: सात वर्षों में सात बार उलझी नियुक्ति प्रक्रिया, आखिर शुक्रवार को मिलेगा अपॉइंटमेंट लेटर

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Published : May 18, 2023, 4:49 PM IST

Etv Bharat

रघुवर सरकार के समय 2016 में शुरू की गई 17,572 हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पिछले सात वर्षों में सात बार उलझता रहा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आखिरकार झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा पहले चरण में चयनित करीब 3,469 अभ्यर्थियों को शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा खेलगांव स्थित टाना भगत स्टेडियम में नियुक्ति पत्र सौंपा जायेगा.

रांची: राज्य के वैसे विद्यार्थी जो लंबे समय से कानूनी लड़ाई की वजह से हाई स्कूलों में होने वाली शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया से दूर थे उनके लिए अच्छे दिन आ गए हैं. रघुवर सरकार के समय 2016 में शुरू की गई नियुक्ति प्रक्रिया पिछले सात वर्षों में सात बार उलझा. जिस वजह से विभिन्न विषयों के करीब 9,000 हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आखिरकार झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा पहले चरण में चयनित करीब 3,469 अभ्यर्थियों को शुक्रवार नियुक्ति पत्र दिया जाएगा.

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शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन्हें खेलगांव स्थित टाना भगत स्टेडियम में नियुक्ति पत्र सौंपेंगे. शेष अभ्यर्थियों को डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन होने के बाद जून के अंतिम सप्ताह में नियुक्ति पत्र दिए जायेंगे. दोपहर एक बजे से होने वाले नियुक्ति पत्र वितरण समारोह को भव्य बनाने की तैयारी शिक्षा विभाग के द्वारा की जा रही है. शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने कहा कि इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति होने से हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने में सहायक होगी.

उन्होंने कहा कि पहले चरण में जिन अभ्यर्थियों का डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन हो चूका है उनमें 3,469 को मुख्यमंत्री के हाथों नियुक्ति पत्र दी जायेगी. शेष को जून के अंतिम सप्ताह में दी जायेगी. इसके बाद भी यदि कुछ बच जाते हैं तो उसे जुलाई में नियुक्ति पत्र देकर पूरा कर लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चयन की प्रक्रिया तेज की गई है. जिसके लिए विषयवार मेरिट लिस्ट तैयार कर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने अभ्यर्थियों का चयन किया है.

सात साल सात बार उलझा हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया

  1. विज्ञापन निकलने के बाद विषय बाध्यता को लेकर उठा विवाद, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में चली कानूनी लड़ाई.
  2. सोनी कुमारी एवं अन्य के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रघुवर सरकार के नियोजन नीति जिसमें झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित करने एवं शेष 11 गैर अनुसूचित जिलों में सभी अभ्यर्थियों को आवेदन देने की छूट संबंधी प्रावधान को असंवैधानिक बताते हुए न्यायालय से गुहार लगाई गई.
  3. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद झारखंड हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को अहम फैसला सुनाते हुए झारखंड सरकार के नियोजन नीति 2016 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया. इसके अलावे 13 अनुसूची जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को भी रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों में नियुक्त हुए शिक्षकों की नियुक्ति को बरकरार रखने का आदेश दिया.
  4. झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त शिक्षकों की सेवा केस की सुनवाई पूरी होने तक बहाल रखने का आदेश दिया.
  5. सुप्रीम कोर्ट में लंबी चली सुनवाई के बाद 2 अगस्त 2022 को इस मामले में न्यायालय का फैसला आया जिसमें राज्य सरकार और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को राज्य स्तरीय मेधा सूची बनाने के निर्देश दिए गए तत्पश्चात रिक्त पदों पर नियुक्त करने को कहा गया.
  6. सुप्रीम कोर्ट के 2 अगस्त 2022 के फैसले का पालन नहीं होने के खिलाफ प्रार्थी सोनी कुमारी ने राज्य सरकार के खिलाफ अवमाननावाद सुप्रीम कोर्ट में 31 अक्टूबर 2022 को दाखिल किया.
  7. अवमाननावाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव को तलब किया. तत्पश्चात 15 दिसंबर 2022 को लगातार दो दिनों तक सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने तीन महीने के भीतर विषयवार मेरिट लिस्ट बनाकर शिक्षक नियुक्ति पूरी करने का आदेश दिया. साथ ही इस मामले में केस करने वाले सभी अभ्यर्थी को भी योग्यता पूरी करने पर नियुक्त करने का आदेश दिया.

बहरहाल इन सात उलझनों में फंसा यह नियुक्ति प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. शुक्रवार को एक साथ 3,469 शिक्षकों के लिए नियुक्ति पत्र वितरण अपने आप में बड़ा कदम है जिसके लिए सफल अभ्यर्थी खुश हैं और कहते हैं देर ही सही हम लड़ाई जीतने में सफल रहे.

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