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पुलिस जवान को एसीपी और एमएसीपी का लाभ के मामले पर हाई कोर्ट नाराज, कहा, 'डीजीपी तेजी दिखाएं'

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Published : Mar 15, 2021, 8:56 PM IST

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत में पुलिस जवानों को समय से एसीपी और एमएसीपी लाभ नहीं मिलने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से समय मांगे जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई. साथ ही अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि डीजीपी इस मामले में तेजी दिखाएं.

jharkhand high court angry over police jawans getting ACP and MACP benefits
पुलिस जवान को एसीपी और एमएसीपी का लाभ के मामले पर हाई कोर्ट नाराज

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत में पुलिस जवानों को समय से एसीपी और एमएसीपी लाभ नहीं मिलने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से समय मांगे जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई. साथ ही कहा कि जब इस मामले में सुलझाने के लिए सरकार की ओर से पहले आश्वासन दिया गया था, तो अब तक इस मामले को क्यों नहीं सुलझाया गया? अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि डीजीपी इस मामले में तेजी दिखाएं

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अदालत ने कहा कि इस मामले में अदालत ने पहले भी आदेश दिया है. ऐसे में क्यों देरी हो रही है? इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में 22 अप्रैल को सुनवाई निर्धारित की है. दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया था कि इस मामले में वित्त विभाग और गृह विभाग के बीच कुछ विवाद है. जिसे 1 माह के अंदर सुलझा लिया जाएगा. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने पक्ष रखा.

एसीपी व एमएसीपी लाभ दिए जाने की मांग

बता दें कि इस संबंध में झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में झारखंड पुलिस के सिपाही संवर्ग को समय से एसीपी व एमएसीपी लाभ दिए जाने की मांग की गई है.

नई नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर हुई सुनवाई

वहीं, झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सीमित सिविल सर्विस परीक्षा के लिए बनी नई नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की है.

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इस संबंध में चंदन कुमार पांडेय ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि साल 2015 में सरकार ने सीमित सिविल सर्विस परीक्षा के लिए नया नियम बनाया है. इस नियुक्ति में शिक्षकों को हटा दिया गया है, जबकि इससे पहले शिक्षक भी इस नियुक्ति में शामिल हो सकते थे. सरकार का ऐसा करना गलत है. इसलिए सरकार की नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए.

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