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झारखंड में धान खरीद की धीमी रफ्तार ने बढ़ाई सरकार की चिंता, लक्ष्य से है काफी पीछे

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Published : Jan 7, 2023, 7:45 PM IST

झारखंड में किसानों से धान खरीद की रफ्तार धीमी है (Slow pace of paddy procurement in Jharkhand). सूखा के साथ-साथ प्रशासनिक तैयारियां इसकी प्रमुख वजह मानी जा रही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि लक्ष्य के अनुरूप क्या धान खरीदने में झारखंड सरकार सफल हो पायेगी.

Slow pace of paddy procurement in Jharkhand
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अलवर्ट बिलुंग, रांची जिला आपूर्ति पदाधिकारी

रांची: झारखंड में धान खरीद की धीमी रफ्तार ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है (Slow pace of paddy procurement in Jharkhand). राज्य सरकार के द्वारा सूखा के बावजूद इस साल धान पिछले वर्ष की तरह 8 लाख मैट्रिक टन खरीदने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन 7 जनवरी तक राज्य में महज 3 लाख 85 हजार 955.62 क्विंटल धान खरीद हुई है. कहने को तो 15 दिसंबर से राज्य में धान खरीद शुरू हुई थी, लेकिन अभी गढ़वा, साहिबगंज, पलामू, और दुमका जैसे जिलों में किसानों के धान पड़े हुए हैं.

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विभागीय आंकड़ों के मुताबिक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने राजधानी रांची सहित राज्यभर में 645 धान खरीद केंद्र बनाये हैं, लेकिन इन केंद्र पर विभिन्न वजहों से धान खरीद शुरू नहीं हो पाई है. रांची जिले में कुल 33 धान खरीद केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें से 18 पर शुरुआत हुई है. रांची जिला आपूर्ति पदाधिकारी अलवर्ट बिलुंग के अनुसार धान खरीद की धीमी रफ्तार के पीछे का कारण सूखा भी है, जिसके कारण किसान इस बार धान बेचने के लिए खास रुचि नहीं ले रहे हैं. इसी तरह विभाग के द्वारा राज्यभर में 52,366 निबंधित किसानों को धान बेचने के लिए मेसेज भेजा गया है, जिसमें से मात्र 7790 किसानों ने धान बेचा है, जबकि विभाग के पास 2,77128 किसान निबंधित हैं.

Slow pace of paddy procurement in Jharkhand
झारखंड में किस साल कितने धान खरीद का लक्ष्य


जेएफएससी से मिलर का नहीं हो पाया है एग्रीमेंट: धान खरीद की धीमी रफ्तार के पीछे सबसे बड़ी वजह झारखंड स्टेट फूड कॉरपोरेशन के द्वारा धान मिलर का एग्रीमेंट नहीं होना माना जा रहा है. सरकारी प्रावधानों के अनुसार धान मिलर को प्रति क्विंटल 20 रुपया देने का प्रावधान है, जिसे मिलर बढाने की मांग कर रहे हैं. राज्य में 81 धान मिलर निबंधित हैं, जिसमें से बोकारो में 01 और रामगढ़ में 02 धान मिल के साथ एग्रीमेंट हुआ है.

किसान को पैसे भुगतान के लिए सरकार के निर्देश: जानकारी के मुताबिक, विभाग जल्द ही मिलर एसोसिएशन की मांग पर विचार कर ठोस कदम उठाने जा रही है. धान खरीद की धीमी रफ्तार के पीछे सूखा को भी एक कारण माना जा रहा है. राज्य सरकार ने 226 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित किया है, जिस वजह से यह माना जा रहा है कि धान की पैदावार इस बार कम हुई है. राज्य सरकार ने पिछले वर्ष की तरह साधारण धान का मूल्य 2050 और ग्रेड ए धान की कीमत 2070 रुपया निर्धारित की है. इसके अलावा सरकार ने धान प्राप्त करने के वक्त ही 50 प्रतिशत भुगतान और इसके बाद शेष राशि तीन महीने के अंदर भुगतान करने की व्यवस्था की है. इसके अलावा प्रति किसान अधिकतम 200 क्विंटल ही धान खरीदने के निर्देश दिये गए हैं.

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