ETV Bharat / state

जेएसएससी नियमावली मामले पर 5 सितंबर को सुनवाई, नए प्रावधानों को निरस्त करने की है मांग

author img

By

Published : Sep 1, 2022, 8:31 AM IST

Updated : Sep 1, 2022, 9:08 AM IST

Hearing in Jharkhand High Court on JSSC Revised Rules
झारखंड हाई कोर्ट

जेएसएससी संशोधित नियामवली पर (JSSC Recruitment Revised Manual) झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई लगातार जारी है. इस मामले पर 5 सितंबर को फिर से बहस की जाएगी. नई नियमावली में संशोधन कर लाए गए नए प्रावधानों के खिलाफ याचिका दायर कर उन्हें निरस्त करने की मांग की गई है.

रांचीः झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (Jharkhand Staff Selection Commission) के द्वारा होने वाली नियुक्ति के लिए संशोधित नियामवली के खिलाफ दायर याचिका (JSSC Recruitment Revised Manual) पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की डबल बेंच में विस्तृत सुनवाई हुई. सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा अदालत को बताया कि राज्य के युवाओं के हित में सरकार ने यह निर्णय लिया है. वहीं प्रार्थी की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखना प्रारंभ किया गया. बेंच के समक्ष उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेश का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय गलत है राजनीति से प्रेरित है. डबल बेंच में सुनवाई की प्रक्रिया जारी है. अदालत में मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर के लिए निर्धारित की है, तब तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी गई है.

इसे भी पढ़ें- जेएसएससी नियमावली मामले पर सुनवाई, पूर्व महाधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला

प्रार्थी रमेश हांसदा की ओर से दायर याचिका में संशोधित नियमावली को चुनौती दी गयी है. याचिका में कहा गया है कि नयी नियमावली में राज्य के संस्थानों से ही दसवीं और प्लस टू की परीक्षा पास करने की अनिवार्यता की गयी है. जो संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. वैसे उम्मीदवार जो राज्य के निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से पढ़ाई किए हों, उन्हें नियुक्ति परीक्षा से नहीं रोका जा सकता है. नयी नियमावली में संशोधन कर क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है. जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया को रखा गया है. उर्दू को जनजातीय भाषा की श्रेणी में रखा जाना राजनीतिक फायदे के लिए हैं. राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का माध्यम भी हिंदी है. उर्दू की पढ़ाई एक खास वर्ग के लोग करते हैं. ऐसे में किसी खास वर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना और हिंदी भाषी बाहुल अभ्यर्थियों के अवसर में कटौती करना संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है. इसलिए नई नियमावली में निहित दोनों प्रावधानों को निरस्त किये जाने की मांग है.

Last Updated :Sep 1, 2022, 9:08 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.