गंगा नदी में मालवाहक जहाज के परिचालन की अनुमति लेकर HC में सुनवाई, कटिहार डीएम पर अवमाननावाद दर्ज करने का आदेश

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Published : Oct 18, 2022, 9:43 PM IST

Jharkhand High Court

गंगा नदी में मालवाहक जहाज के परिचालन की अनुमति (Permission to operate cargo ship in Ganga river) से जुड़े मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जहां अदालत ने कटिहार डीएम के उपस्थित नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और अवमाननावाद दर्ज करने का आदेश दिया. मामले में साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव को भी अदालत ने फटकार लगाई.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में गंगा नदी में मालवाहक जहाज के परिचालन की अनुमति (Permission to operate cargo ship in Ganga river) से संबंधित एक मामले के सुनवाई 18 अक्टूबर को हुई. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई को दौरान अदालत के पूर्व आदेश के बाद भी कटिहार डीएम हाजिर नहीं हुए. जिसपर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने कहा कि यह कोर्ट का अवमानना है. अदालत ने कटिहार डीएम पर अवमानना का केस दर्ज करने का आदेश दिया है.

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अदालत ने जाहिर की नाराजगी: सुनवाई के दौरान साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव अदालत के समक्ष सशरीर उपस्थित हुए. गंगा नदी में मालवाहक जहाज परिचालन की अनुमति नहीं देने से जुड़े मामले में अदालत ने साहिबगंज डीसी और कटिहार डीएम को हाजिर होने का आदेश दिया था. साहिबगंज डीसी मंगलवार की सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित थे. कटिहार डीएम बीमारी का हवाला देते हुए कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. कटिहार डीएम उदयन मिश्रा की जगह एसडीएम कुमार सिद्धार्थ अदालत में मौजूद थे. उनकी उपस्थिति पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए. अवमाननावाद का केस दर्ज करने का आदेश दिया और 3 नवंबर को डीएम को अदालत में हाजिर होने को कहा है. अदालत अब 3 नवंबर को चार्ज फ्रेम करेगी. वहीं साहिबगंज डीसी को भी कोर्ट ने फटकार लगाते हुए मौखिक रूप से कहा कि अवैध माइनिंग रोकने की जगह क्या कर रहे हैं, सब दिखता है.

धीरज कुमार, अधिवक्ता


जय बजरंग बली स्टोन वर्क्स के मालिक ने दायर की याचिका: जय बजरंग बली स्टोन वर्क्स के मालिक प्रकाश चंद्र यादव ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि पहले जिला प्रशासन द्वारा समदा घाट (साहिबगंज) और मनिहारी घाट (कटिहार,बिहार) के बीच गंगा नदी में उनके मालवाहक जहाज के संचालन की अनुमति दी गयी थी. बावजूद इसके रोल-ऑन/रोल-ऑफ था. भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) से संचालन की अनुमति नहीं थी. प्राधिकरण ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा जहाजों का संचालन भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण अधिनियम 1985, राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016, अंतरदेशीय पोत अधिनियम 1917 के प्रावधानों के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा लागू कानूनों के अनुसार किया जाएगा. इसके अलावा संथाल परगना डिवीजन के आयुक्त ने निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता अपने स्वामित्व वाले या वैध समझौते के तहत अपने कितने भी जहाजों/ रो-रो जहाजों/ बार्जों की फेरी लगा सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि स्पष्ट आदेश के बावजूद साहिबगंज और कटिहार जिला प्रशासन ने मालवाहक जहाज संचालित करने की अनुमति नहीं दी और जब झारखंड उच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में आदेश पारित किया, तो दोनों जिला प्रशासन ने बाधा उत्पन्न की. इसलिए वे काम करने में असमर्थ हैं और उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है. याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता विमल कीर्ति सिंह ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा.

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