Jharkhand Contract Nurses Strike: हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था पर बुरा असर, 60 फीसदी काम प्रभावित

Jharkhand Contract Nurses Strike: हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था पर बुरा असर, 60 फीसदी काम प्रभावित
झारखंड में अनुबंध मेडिकल स्टाफ की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है. संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के आंदोलन टीकाकरण के साथ साथ विभिन्न स्वास्थ्य केंद्र में जांच से लेकर इलाज तक का काम प्रभावित हो रहा हैं. राजधानी रांची के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्र समेत कुपोषित बच्चों के पोषण के साथ साथ प्रसव के कार्यों पर भी सीधा असर (Bad effect on health system in Ranchi) पड़ा है. एमएचएम अनुबंधित नर्सों की हड़ताल से मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
रांचीः संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के आंदोलन से झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो रही है. इस हड़ताल की वजह से ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है. मंगलवार से राज्यभर के अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के कारण प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्था चरमरा गयी है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं का लाभ भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है.
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60 प्रतिशत कार्य बाधितः अनुबंध पर बहाल एएनएम जीएनएम के हड़ताल पर जाने के कारण ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर बने स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र के 60 फीसदी कार्य बाधित हुए हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अपने अपने स्तर से लोगों को सुविधा मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन एएनएम जीएनएम के नहीं रहने के कारण विभाग को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
राजधानी रांची के डोरंडा स्थित कुपोषण केंद्र की बात करें तो यहां पर मालन्यूट्रिश सेंटर में भी एएनएम और जीएनएम हड़ताल पर चली गई हैं. जिस वजह से कुपोषित केंद्र में भर्ती बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है, साथ ही बच्चों की उचित देखभाल भी नहीं हो पा रही है. इस वजह से परिजन भी अपने बच्चों को लेकर घर लौट रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के काम में भी नजर आ रहा है, क्योंकि टीका ना मिलने से मरीज काफी मायूस नजर आ रहे हैं.
एंटी रेबीज इंजेक्शन के लिए भटकते मरीजः डोरंडा स्थित स्वास्थ्य केंद्र में जो मरीज पहुंच रहे हैं, वो निराश होकर वापस रहे हैं. रेबीज का टीका लेने पहुंचे एक मरीज ने बताया कि उन्हें बुधवार की शाम एक कुत्ते ने काट लिया था. जिसको लेकर वह एंटी रेबीज इंजेक्शन लेने आई थी. लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में कर्मचारी नहीं होने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में टीका लगाने वाली नर्स हड़ताल पर चली गईं जिस कारण अस्पताल के लोगों ने उन्हें सदर अस्पताल जाने का सुझाव दिया है.
अस्पताल छोड़ रहे मरीजः वहीं छोटे बच्चों को लगने वाला नियमित टीका भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण आम लोग परेशान हो रहे हैं. डोरंडा स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉक्टर मीता सिन्हा बताती हैं कि उनके स्वास्थ्य केंद्र पर कुल 13 एएनएम और 2 जीएनएम हड़ताल पर हैं. इतने लोगों के हड़ताल पर जाने से अस्पताल खाली हो गया है, उनके जाने से काफी काम बाधित हो गए हैं. अस्पताल के कई कार्यो को बंद करना पड़ा है, ओपीडी और इम्यूनाइजेशन के काम पर काफी असर पड़ा है.
डॉ. मीता सिन्हा ने बताया कि मालन्यूट्रिशन सेंटर में जो कुपोषित बच्चों को रखा गया था, उनके परिजन बच्चों को लेकर चले हैं, जिससे अस्पताल खाली हो गया है. इन सभी को रिम्स के कुपोषण सेंटर में भेजने का सुझाव दिया गया है. कुपोषण केंद्र की प्रभारी डॉक्टर मीता सिन्हा बताती हैं कि अस्पताल के अंदर बने कुपोषण केंद्र में ट्रेंड एएनएम और जीएनएम बहाल थीं और दुर्भाग्यपूर्ण वह सभी अनुबंध पर थी. उनके अचानक हड़ताल पर चले जाने से कुपोषण केंद्र का काम पूरी तरह से ठप है क्योंकि आम नर्से कुपोषण केंद्र में बच्चों को भोजन मुहैया नहीं करा सकतीं.
नर्सों की इस हड़ताल का असर गर्भवती महिलाओं पर भी पड़ा है. गर्भावस्था के दौरान मिलने वाला टीका और प्रसव के लिए अस्पताल में पहुंच रही महिलाओं को नर्सों के ना होने से काफी परेशानी हो रही है, उन्हें दूसरे अस्पताल जाना पड़ रहा है. वहीं अस्पताल में निरीक्षण करने पहुंची समाज कल्याण विभाग की पदाधिकारी रंजना तिवारी बताती हैं कि आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत सहिया या सेविका के माध्यम से कुपोषित बच्चों को इस सेंटर पर भेजा जाता है. लेकिन सेंटर पर कार्यरत ट्रेंड एएनएम जीएनएम के हड़ताल पर जाने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
डोरंडा स्थित कुपोषण केंद्र में कुल 6 बच्चे एडमिट हैं लेकिन नर्से नहीं होने के कारण सभी अभिभावकों उनको लेकर घर चले गए जो कि कहीं ना कहीं चिंता का विषय है. बता दें कि राज्य में करीब 13 हजार अनुबंध पर बहाल एएनएम जीएनएम और लैब टेक्नीशियन हड़ताल पर चले गए हैं. वह अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर राज्य के सभी जिला मुख्यालय के समक्ष आंदोलन कर रहे हैं.
