रांची: झारखंड में इस बार सही समय में बारिश होने के कारण धान की पैदावार बंपर हुई है, लेकिन सरकार के उदासीन रवैया के कारण किसानों को अपनी उपज के धान को बिचौलियों के हाथों औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है. सरकार भले ही किसानों से बिचौलियों के हाथों धान नहीं बेचने की अपील करती है, लेकिन सरकार ने जिले में धान क्रय केंद्र नहीं खोला है, जिससे किसानों को मजबूरी में अपनी उपज औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है.
इस साल धान की पैदावार अच्छी होने के कारण किसान इस वक्त खेत खलियान में नजर आ रहे हैं. कुछ किसान धान की मिसाई में लगे हुए हैं तो कुछ ने धान बेचना शुरू कर दिया है, लेकिन सरकार की ओर से किसानों को निर्धारित की गई समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पा रहा है. किसान बिचौलियों के हाथों अपने धान बेचने को मजबूर हो रहे हैं. किसानों की मानें तो लॉकडाउन के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. ऐसे में इस वक्त उन्हें पैसे की सख्त जरूरत है. इसके बावजूद अभी तक धान क्रय केंद्र सरकार की ओर से नहीं खोला गया है. मजबूरी में उन्हें बिचौलियों के हाथों धान बेचना पड़ रहा है.
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धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित
बिचौलिया 1100 से लेकर 1200 प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद रहे हैं, जबकि सरकार ने इस बार धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर ली है. साधारण धान पर 1868 रुपए प्रति कुंटल धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य तय की गई है. वहीं, ग्रेड-ए धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रुपए तय की है. इसके साथ ही 182 किसानों को बोनस भी देगी. सरकार की ओर से दावा किया जा रहा था कि 15 नवंबर के बाद से धान क्रय केंद्र की शुरुआत की जाएगी, लेकिन अब तक धान क्रय केंद्र जिले में नहीं खोली गई है.