ETV Bharat / state

ED ने कसा शिकंजाः मेकॉन के पूर्व अधिकारी-व्यवसायियों के खिलाफ FIR दर्ज

author img

By

Published : Mar 20, 2021, 3:55 AM IST

ईडी ने भ्रष्टाचार के मामले में शिकंजा कसा है. इस मामले में मेकॉन के पूर्व अधिकारी और व्यवसायियों के खिलाफ ED ने एफआईआर दर्ज की है. सीबीआई की चार्जशीट की बिनाह पर ईडी ने इनपर मनी लाउंड्रिंग का मामला बनाया है.

ED lodged FIR against former MECON officials and businessmen in Ranchi
ईडी

रांचीः ईडी ने भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई करते हुए मेकॉन के पूर्व अधिकारी और व्यवसायियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. जिसमें मेकॉन इंडिया के मेटालर्जिक्ल विंग के सीनियर मैनेजर उपेंद्रनाथ मंडल, मेसर्स जील इंडिया केमिकल्स के संचालक अजय जालान और मेसर्स शिव मशीन टूल्स के संचालक हितेश वी शाह पर मनी लाउंड्रिंग का मामला दर्ज किया है.

इसे भी पढ़ें- मिसफायर के चलते बची दरोगा की जान, 12 घंटे के अंदर दोनों अपराधी गिरफ्तार

सीबीआई के जांच के आधार पर एफआईआर

27 दिसंबर 2020 को सभी के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट की है. जिसमें आए तथ्यों के आधार पर ईडी ने तीनों आरोपियों के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग का मामला दर्ज किया है. सीबीआई ने उपेंद्रनाथ मंडल के खिलाफ 30 अक्तूबर 2017 को मामला दर्ज किया था. मेकॉन अधिकारी मंडल पर आरोप है कि उन्होंने दोनों कंपनियों को काम दिलाने के एवज में घूस के तौर पर 1 करोड़ 42 लाख 94 हजार रुपये लिए. इस रकम को उपेंद्रनाथ मंडल ने अपने और अपने रिश्तेदारों के बैंक खातों में डलवाया था. मेकॉन की ओर से प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर के तौर पर काम करते हुए उपेंद्रनाथ मंडल ने दो अलग अलग टेंडर में तकनीकी बीडिंग में गड़बड़ी कर दोनों कंपनियों को लाभ पहुंचाया था.

किन-किन मामलों में की थी गड़बड़ी

दुर्गापुर स्टील प्लांट की ओर से 11 मई 2013 को टेंडर निकाला गया था. इस टेंडर को जील इंडिया केमिकल्स समेत अन्य कंपनियों ने भरा था. उपेंद्रनाथ मंडल ने इस टेंडर के टेक्निकल बीडिंग की जांच की थी और टेंडर अप्रेजल रिपोर्ट दिया था. इसके बाद टेंडर जील इंडिया को मिला था. हालांकि जांच में बाद में यह तथ्य आया कि जील इंडिया टेंडर लेने के योग्य नहीं थी, कंपनी के पास पर्याप्त कार्य अनुभव नहीं था. सीबीआई ने मामले की जांच के दौरान यह तथ्य पाया था कि काम दिलाने के एवज में उपेंद्रनाथ मंडल ने 48 लाख 55 हजार की राशि जील इंडिया कंपनी से घूस के तौर पर ली थी. 12 जून 2013 से 15 जून 2016 के बीच घूस की राशि उपेंद्रनाथ मंडल और उसने रिश्तेदारों, परिचितों के बैंक खातों में डाली गई थी.

इसे भी पढ़ें- रांची: अपराधियों से मुठभेड़ में घायल हुए दारोगा से स्वास्थ्य मंत्री ने की मुलाकात, कहा- दिया जाएगा इनाम

बोकारो स्टील प्लांट के टेंडर में 94.39 लाख का घूस

बोकारो स्टील प्लांट की ओर से 3 सितंबर 2014 को टेंडर निकाला गया था. इस टेंडर की टेक्निकल बीड की जांच उपेंद्रनाथ मंडल ने की थी. इसके बाद मार्च 2015 में वर्क आर्डर शिव मशील टूल्स को दिया गया था. इस मामले में दायर चार्जशीट में बताया गया है कि घूस के तौर पर कंपनी से 94 लाख 39 हजार ली गई थी. यह राशि 3 अगस्त 2015 से 2 अगस्त 2018 के बीच अलग अलग बैंक खातों में डाली गई थी. बोकारो और दुर्गापुर स्टील प्लांट में दोनों कंपनियों की ओर से लगाई गई या सप्लाई दिए गए सामानों की गुणवता की जांच सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च की ओर से की गई थी. संस्था ने पाया कि लगाए गए सामान की कीमत भी बाजार मुल्य से काफी अधिक थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.