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झारखंड की नई नियोजन नीति पर 27 जुलाई को कैबिनेट में आ सकता है प्रस्ताव, श्रम मंत्री ने दिए संकेत

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Published : Jul 25, 2021, 1:09 PM IST

झारखंड की नई नियोजन नीति को अंतिम रूप देने में कार्मिक विभाग जुट गया है. इसका मसौदा 27 जुलाई को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में पेश हो सकता है. इसके कुछ खास पहलुओं को लेकर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने संकेत दिए हैं. इससे पहले 23 जून को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्मिक विभाग की समीक्षा के दौरान ड्राफ्ट बनाने के काम में तेजी लाने के अफसरों को निर्देश दिए थे.

draft of Jharkhand new employment policy
श्रम मंत्री ने दिए संकेत

रांची: पूर्ववर्ती रघुवर सरकार की नियोजन नीति(employment policy of former government of jharkhand) को रद्द किये जाने के बाद हेमंत सरकार जल्द ही नई नियोजन नीति लाने की तैयारी में है. 23 जून को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्मिक विभाग की समीक्षा के दौरान एक महीने में नियोजन नीति को तैयार कर नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए थे.

draft of Jharkhand new employment policy
श्रम नियोजन निदेशालय

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मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद नियोजन नीति को तैयार करने में कार्मिक विभाग जुट गया है. संभावना जताई जा रही है कि मंगलवार यानी 27 जुलाई को होनेवाली कैबिनेट की बैठक (jharkhand cabinet meeting) में इस प्रस्ताव को रखा जाय. राज्य सरकार झारखंड के स्थानीय लोगों को नियोजन नीति में प्राथमिकता देते हुए ग्रेड थ्री की सरकारी नौकरी में झारखंड से मैट्रिक और इंटर पास करना अनिवार्य कर सकती है.

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यह भी हो सकते हैं प्रावधान

इसके अलावा पूर्ववर्ती रघुवर सरकार की ओर से राज्य को नियोजन नीति के लिहाज से 13 और 11 जिलों में बांटने की बजाय एक साथ पूरे राज्य के लिए एक नीति बनाने पर विचार कर रही है, जिससे यहां के स्थानीय छात्र छात्राओं को लाभ मिल सके. श्रम एवं प्रशिक्षण विभाग के मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने जल्द नियोजन नीति तैयार होने का संकेत दिया है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की नियोजन नीति में खामियों को देखते हुए सरकार ने नई नियोजन नीति (Jharkhand new employment policy ) बनाने का फैसला लिया था. निजी क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण देने के बाद राज्य सरकार सरकारी नौकरी के लिए भी नियोजन नीति बना रही है.

draft of Jharkhand new employment policy
मुख्यमंत्री दफ्तर में
पूर्व नियोजन नीति पर यह था विवादपूर्ववर्ती रघुवर सरकार की ओर से 2016 में बनाई गई नियोजन नीति शुरू से ही विवादों में रही थी. शेड्यूल और नॉन शेड्यूल क्षेत्र को आधार बनाकर राज्य को 13 और 11 जिलों में बांटकर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने पर तमाम सवाल उठाए गए थे. हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 में स्थानीय को आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की बेंच के फैसले ने भी नियोजन नीति पर सवाल खड़े किए थे. हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग ने इस वर्ष 6 फरवरी को अधिसूचना जारी कर नियोजन नीति को वापस ले लिया था.
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श्रम मंत्री ने नियोजन नीति पर संकेत दिए

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यह किया था बदलाव

नियोजन नीति के तहत जिला स्तरीय पदों पर 10 वर्षों के लिए स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान करने वाला जो संकल्प था, उसे भी कार्मिक विभाग ने वापस ले लिया था. साथ ही जितने मामले में नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी, उन सभी विज्ञापनों को रद्द कर दिया था. बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस वर्ष को नियुक्ति वर्ष घोषित करते हुए नई नियोजन नीति के जरिए बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की घोषणा की थी.

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