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एसोसिएशन और खेल निदेशालय हुए आमने-सामने, खिलाड़ी बिना अनुमति के ना लें हिस्सा

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Published : Jun 14, 2020, 7:51 PM IST

झारखंड में खेल नीति को लेकर एक बार फिर चर्चाएं शुरू हो गई. जिसमें खेल निदेशालय ने राज्य के तमाम खिलाड़ियों को यह हिदायत दी है कि बिना अनुमति के राज्य के खेल संघों की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ना लें .

Dispute between Association and Sports Directorate
एसोसिएशन और खेल निदेशालय के बीच विवाद

रांची: झारखंड सरकार के खेल निदेशालय के जरिए खिलाड़ियों को बगैर विभागीय अनुमति के राज्य के खेल संघ के प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से मना किया गया है और इसका विरोध अब चौतरफा होने लगा है. हालांकि खेल एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि खेल विभाग ने किस संदर्भ में यह फैसला लिया है. इस मामले को लेकर खेल विभाग से विचार विमर्श किया जाएगा.

एसोसिएशन और खेल निदेशालय के बीच विवाद
खेल विभाग के खेल निदेशालय ने राज्य के तमाम खिलाड़ियों को यह हिदायत दी है कि वह खेल विभाग के बगैर अनुमति के राज्य के खेल संघों की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ना लें और अगर कोई भी खिलाड़ी बिना अनुमति के ऐसे प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं तब उनकी जिम्मेदारी खुद की होगी. दरअसल खेल विभाग की मंशा है कि राज्य के खिलाड़ी कहीं भी खेलें लेकिन उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि किस स्तर पर किस प्रतियोगिता में कौन खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. किसी भी दुर्घटना या परेशानी होने पर राज्य के खेल विभाग उसमें हस्तक्षेप करें. वहीं, खिलाड़ियों के भविष्य के लिए भी खेल विभाग को सोचने का मौका मिले और इस मामले को लेकर खेल निदेशालय ने एक पत्र जारी किया है. झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन ने राज्य सरकार के खेल विभाग के इस निर्णय को व्यवहारिक बताया है. ऐसे ही और भी कई एसोसिएशन है. जिन्होंने खेल विभाग के इस निर्देश को गलत ठहराया है. जबकि मामले को लेकर जब हमारी टीम ने हॉकी झारखंड के अध्यक्ष भोलानाथ सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि पूरे मामले को समझने की जरूरत है. विभागीय अधिकारियों से बातचीत की जाएगी. मामला अगर खिलाड़ियों के हित में होगी तो माना जाएगा नहीं तो इसका विरोध भी किया जा सकता है.

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इस पूरे मामले को लेकर खेल निदेशालय और राज्य के एसोसिएशन आमने-सामने हैं, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. वहीं, निदेशालय का तर्क है कि उनके राज्य के खिलाड़ी हैं तो विभाग को खिलाड़ियों के हर गतिविधि की जानकारी होनी चाहिए. जबकि एसोसिएशन का सीधे तौर पर कहना है कि यह खिलाड़ी हित में नहीं है. हालांकि मामले को लेकर एसोसिएशन और विभाग के बीच बैठक कर निर्णय लिया जाएगा.

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