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पुलिसिंग की बदलती चुनौतियां और पीपुल फ्रेंडली पुलिसिंग पर चर्चा, वक्ताओं ने कहा-पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत

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Published : Oct 17, 2021, 5:24 PM IST

Discussion on challenges of policing and people friendly policing in Ranchi Press Club
पुलिसिंग की बदलती चुनौतियां और पीपुल फ्रेंडली पुलिसिंग पर चर्चा

रांची प्रेस क्लब में पुलिसिंग की बदलती चुनौतियां और पीपुल फ्रेंडली पुलिसिंग पर चर्चा हुई. इसमें सीआईडी के एडीजे प्रशांत सिंह ने कहा कि संसाधनों के बेहतर प्रबंधन से पुलिस व्यवस्था में और सुधार हो सकता है. इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र ने पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत पर जोर दिया. कार्यक्रम में बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह की किताब 'जिंदगी के 78 कोहिनूर' का विमोचन किया गया.

रांचीः झारखंड में सीमित संसाधनों के बेहतर मैनेजमेंट से बेहतर पुलिसिंग हो सकती है. यह बातें सीआईडी एडीजी प्रशांत सिंह ने रांची प्रेस क्लब में कही. वे पुलिसिंग की बदलती चुनौतियां और पीपुल फ्रेंडली पुलिसिंग की चर्चा के दौरान लोगों से रूबरू थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पुलिस के सामने भी कई चुनौतियां हैं.

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'जिंदगी के 78 कोहिनूर' का विमोचन

सीआईडी एडीजी ने कहा कि वर्तमान समय में अपराध की शैली बदली है. साइबर अपराध से होने वाला पूंजी का नुकसान, अन्य आर्थिक अपराधों की तुलना में कहीं अधिक है. सीआइडी एडीजी ने कहा कि पुलिसिंग में समय के साथ बदलाव हो रहा है. संसाधन भी थानों को मिल रहे हैं, इन संसाधनों के बेहतर मैनेजमेंट कर पुलिसिंग को और बेहतर किया जा सकता है. सीआईडी एडीजी ने इंग्लैंड और अमेरिकी शहरों में पुलिसिंग पर चर्चा करते हुए कहा कि दूसरे देशों में पुलिस की छवि एंटी ब्लैक रही है, लेकिन हमारे यहां पुलिस की ऐसी कोई छवि नहीं है. परिचर्चा के बाद बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह की किताब 'जिंदगी के 78 कोहिनूर' का विमोचन हुआ,

राजनीतिक एजेंडे में शामिल न हो पुलिस

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र ने कहा कि पुलिस को राजनीतिक एजेंडे पर या राजनीतिक एजेंट की तरह काम नहीं करना चाहिए. राजनीतिक वजहों के कारण पुलिस की छवि खराब हुई है. उन्होंने कहा कि पुलिस में सुधार के लिए प्रकाश सिंह के सुधारों की चर्चा होती है, लेकिन झारखंड में ही उन सुधारों का पालन नहीं हुआ. वरिष्ठ पत्रकार संजय मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि पुलिस व्यवस्था में 75 सालों में कोई खास सुधार नहीं हुआ. पुलिस के जवान आज भी उन्हीं हालातों में बैरकों में रहते हैं, जैसे आजादी के पहले रहते थे. पुलिसिंग का कॉर्पोरेटाइजेशन हुआ है, लेकिन यह सही नहीं लगता. हायर एजुकेशन के बाद लोग इस पेशे में आ रहे हैं, लेकिन पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत भर है. पुलिसिंग में नीचे के स्तर पर व्यवस्था सुधरनी चाहिए.

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500 लोगों के बीच घिरे रहने से नहीं सुधरेगी पुलिसिंग

कार्यक्रम के दौरान बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि थानों के स्तर पर पुलिस में बदलाव जरूरी है. राज्यों में पुलिस अफसरों को दो साल का कार्यकाल नहीं दिया जाता. थानेदारों को बिना वजह हटा दिया जाता है. मृत्युंजय सिंह ने कहा कि अमूमन थानेदार अपने इलाके के 400 से 500 लोगों तक ही पहुंच रखते हैं. थाना क्षेत्र के गांव में भी वह वहीं जाते हैं, जहां सुविधाएं मिलती हैं, एक ही तरह के लोगों से थाने के लोग घिरे रहते हैं.

पुलिस का पब्लिक फ्रेंडली होना जरूरी

मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि उन्होंने अपनी किताब जिंदगी के 78 कोहिनूर अपने अनुभवों के आधार पर लिखी है. आगे भी वह दो पुस्तकों पर काम कर रहे हैं. जल्द ही उनकी दो अन्य किताबें भी उपलब्ध होंगी. कार्यक्रम के दौरान झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आम लोगों की उम्मीदें पुलिस से काफी अधिक होती हैं, बदलते माहौल में पुलिस का पब्लिक फ्रेंडली होना अनिवार्य है.

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