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कोरोनाकाल में वसूली गई स्कूल फीस का 50% वापस करे प्रबंधन, इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद झारखंड में तेज हुई मांग

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Published : Jan 23, 2023, 9:46 PM IST

Demand to waive school fees collected during Corona
आनलाइन पढ़ाई

कोरोनाकाल के दौरान वसूले गए स्कूल फीस माफ करने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद झारखंड में भी यह मांग उठने लगी है कि स्कूल प्रबंधन फीस वापस करे. इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक जहां प्रबंधन को 15 प्रतिशत फीस वापस लौटाना है, वहीं झारखंड में 50 प्रतिशत फीस वापस करने की मांग की जा रही है.

रांची: निजी स्कूलों के द्वारा मनमाने तरीके से फीस वृद्धि को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. इसके खिलाफ आंदोलन भी होते रहे हैं. कोरोनाकाल में जब स्कूल में पठन-पाठन ठप था और ऑनलाइन पढ़ाई जैसे तैसे करायी गयी तो यह मांग भी उठने लगी थी कि ऐसी परिस्थिति में स्कूल फीस क्यों. राज्य सरकार भी समय-समय पर निर्देश देती रही, लेकिन इसका कोई फलाफल नहीं निकला. इधर हाल के दिनों में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद झारखंड में भी फीस माफ करने की मांग उठने लगी है.

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झारखंड में 50% स्कूल फीस वापसी की मांग: दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश है कि करोनाकाल के दौरान सत्र 2020-21 में प्राइवेट स्कूलों के द्वारा वसूली गई स्कूल फी में से 15% फीस अभिभावकों को लौटाया जाए. इस आदेश के बाद झारखंड में भी इस तरह की मांग उठने लगी है. अभिभावक मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने सरकार से इसे गंभीरता से लेने की मांग करते हुए कहा है कि कोरोनाकाल में जब सारे स्कूल बंद थे तो और लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब थी तो स्कूल फी लेना अन्याय है. उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि झारखंड में प्राइवेट स्कूल भी 15 प्रतिशत नहीं बल्कि 50 प्रतिशत की कमी कर अभिभावक को राहत दे.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का झारखंड में स्वागत: वहीं, अभिभावक राम कुमार कहते हैं कि निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं. ऐसे में कोरोना काल में हद तब हो गई जब स्कूल तो बंद रहे, लोगों की आर्थिक स्थिति भी खराब रही, इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन ने जबरन अभिभावकों से पैसे वसूले. ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए और झारखंड में भी निजी स्कूलों को 2020-21 के दौरान लिए गए स्कूल फीस मद में 15% के बजाय 50 फीसदी फीस वापस करनी चाहिए. अभिभावक उमेश कुमार कहते हैं कि कोरोनाकाल सबसे बड़ी आपदा थी. उस समय सब की स्थिति डांवाडोल हो चुकी थी. ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए और झारखंड सरकार को चाहिए कि निजी स्कूलों को यह निर्देश जारी करें कि वह भी स्कूल फीस में कटौती कर अभिभावकों को राहत दें.

इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह है आदेश: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को कोरोना काल के दौरान 2020-21 में वसूली गई थी इसमें से 15% फीस अभिभावकों को लौटानी होगी. हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो छात्र विद्यालय में पढ़ रहे हैं उनकी फीस अगले सत्र की फीस में एडजस्ट की जाए और जो छात्र स्कूल छोड़ चुके हैं उनसे ली गई फीस में से 15% फीस वापस कर दी जाए. मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने यह आदेश पिछले दिनों दिया है. गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के इंडियन स्कूल जोधपुर बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान के द्वारा इससे पहले दिए गए फैसले का हवाला दिया गया था.

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