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पठन पाठन से जुड़ी सामग्री की डिमांड बढ़ी, अभिभावक-व्यवसायी परेशान

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Published : Apr 5, 2022, 3:28 PM IST

Updated : Apr 5, 2022, 7:25 PM IST

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झारखंड

कोरोना के दो साल बाद झारखंड में 7 मार्च से सभी स्कूलों के नए सेशन शुरू गए हैं. इसको लेकर बच्चों में उत्साह दिख रहा है. लेकिन बाजार पर इसका साइड इफेक्ट दिखाई दे रहा है. स्कूलों में पठन पाठन शुरू होने के साथ ही पठन पाठन से जुड़ी सामग्री की डिमांड अचानक बढ़ गयी है, इससे व्यवसायी और अभिभावक खासे परेशान नजर आ रहे हैं.

रांचीः कोरोना महामारी की रफ्तार की कमी के बीच 2 साल बाद झारखंड के शिक्षण संस्थान के अलावा सरकारी और निजी स्कूल भी खोल दिए गए हैं. 7 मार्च से नए सेशन की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में स्कूल सामग्री को लेकर बाजार में अचानक भीड़ बढ़ गयी है, इससे कई परेशानियां आ गयी हैं. अभिभावकों की अलग परेशानी है तो बाजार और व्यवसायियों की अलग. इधर नए सत्र में स्कूल जाने वाले बच्चे भी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं.

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देश दुनिया धीरे-धीरे कोरोना महामारी से निजात पा रही है. 2 वर्ष बाद नए सत्र से स्कूल खुल गए हैं. स्कूलों में पठन पाठन सुचारू किया जा रहा है. सीनियर से लेकर जूनियर बच्चों तक के स्कूल खोल दिए गए हैं. झारखंड में स्कूल री ओपन होने के साथ ही कई समस्याएं भी सामने आ रही हैं. हालांकि इन समस्याओं को निपटने की पूरी तैयारी बाजार और व्यवसायियों की ओर से की जा रही है. लेकिन अचानक सभी स्कूल एक साथ खुलने से इन परेशानियों से निपटना आसान नहीं हो रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इन परेशानियों से बाजार, अभिभावक और बच्चों के साथ साथ स्कूल प्रबंधन दो-चार हो रहे हैं. इसकी पड़ताल ईटीवी भारत की टीम ने की है. स्कूल खुलने के साथ ही यूनिफॉर्म बाजारों में भीड़ बढ़ गयी है. पठन पाठन और स्कूली सामग्रियों की खरीद बिक्री में भी जोर पकड़ लिया है. अचानक से भीड़ बढ़ जाने के कारण बाजार डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. बच्चों को ना तो बाजार से स्कूल ड्रेस मिल रहा है और ना ही पठन पाठन से जुड़ी किताब, कॉपी और सामग्री का ही खेप एक साथ उपलब्ध हो रहा है.

कोरोना के 2 वर्ष के बाद सरकारी और निजी स्कूल पूरी तरह खुल गए हैं. कोरोना काल के दौरान स्कूल यूनिफार्म से जुड़े व्यवसायियों की हालत काफी खराब थी. लेकिन अब बाजार में भी रौनक है. इस रौनक का साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहा है. अभिभावकों की मानें तो स्कूल प्रबंधकों की ओर से थोड़ी राहत दी जा रही है. शुरुआती दौर में 15 से 1 महीने तक स्कूल ड्रेस अनिवार्य नहीं है. बाजार से जो उपलब्ध हो रहा है उन्हीं सामग्रियों को लेकर स्कूल आने की इजाजत मिली है.

इधर स्कूली बच्चे 2 वर्ष बाद स्कूल जाने से वो काफी उत्साहित दिख रहे हैं. इन बच्चों की मानें तो स्कूल ड्रेस छोटा हो गया है तो नए ड्रेस की जरूरत है. लेकिन बाजार में एक साथ ड्रेस, कॉपी, किताब, शूज, शॉक्स नहीं मिल रहे हैं. क्योंकि बाजार में यह चीजों की कमी हो गयी है. इसके बावजूद बच्चों में जो उत्साह देखा जा रहा है. स्कूल ड्रेस और पठन पाठन से जुड़ी सामग्री की बिक्री करने वाले दुकानदार कहते हैं कि फिलहाल 1 महीने तक यह भीड़ रहेगी. अचानक आर्डर मिलने से सभी स्कूलों को सामग्री मुहैया कराने में व्यवसायियों की समस्या बढ़ गयी है.

Last Updated :Apr 5, 2022, 7:25 PM IST
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