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'ऐप' जो बचा सकता है झारखंड के सैकड़ों लोगों की जिंदगी, खतरे से पहले मिल जाएगा अलर्ट

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Published : Mar 31, 2023, 4:05 PM IST

Updated : Mar 31, 2023, 4:34 PM IST

झारखंड में वज्रपात की चपेट में आने से लोगों की मौत की खबरें अक्सर आती हैं. लेकिन दो ऐप ऐसें हैं जिन्हें अगर अपने फोन में डाउनलोड किया गया तो ऐसे हादसे कम हो सकते हैं. ये ऐप समय-समय मैसेज के जरिए जानकारी देते हैं और मौसम को लेकर अलर्ट करते हैं.

Damini and Sachet app can save many lives
डिजाइन इमेज

अभिषेक आनंद, मौसम वैज्ञानिक

रांची: झारखंड एक ऐसा राज्य है जो पठार पर बसा है. इसके कुछ फायदे हैं तो नुकसान भी कम नहीं हैं. ऊंचाई पर होने और पठारों के गर्म होने से मौसम बदलने पर वज्रपात की संभावना बनी रहती है. इसी वजह से हर साल सैंकड़ों लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं. लेकिन इस आपदा को रोका जा सकता है. इसके लिए आपको अपने मोबाइल फोन पर भारत सरकार के 'दामिनी' और 'सचेत' ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होगा. इसके बाद लोकेशन को इनेबल करना होगा.

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APP जो समय पर भेजता है अलर्ट: 'दामिनी' ऐप में रियल टाइम टाइटनिंग की सूचना मिलती है. इसके लिए आपको लोकेशन इनेबल करना पड़ता है. मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज की ओर से लगाए गये टाइटनिंग सेंसर्स से मिली सूचना को ऐप डिटेक्ट कर लेता है. इसकी वजह से ऐप पर वज्रपात का अलर्ट समय से कुछ पहले मिल जाता है. इससे आप समय रहते सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं. अपने जानमाल की रक्षा कर सकते हैं. यह जानकारी रांची मौसम केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने दी. उन्होंने बताया कि दामिनी ऐप पर सिर्फ मेघ गर्जन और वज्रपात का अलर्ट मिलता है. जबकि सचेत ऐप के जरिए लू-चलने, भारी बारिश और तेज हवा जैसे अलर्ट समय पर मिल जाते हैं.

मौसम विभाग जो सेटेलाइट रडार और लाइटनिंग नेटवर्क के आधार पर तत्कालीक चेतावनी जारी करता है, उसके ऐप पर अपलोड होते ही आपके मोबाइल पर मैसेज मिल जाता है. खास बात है कि दोनों ऐप आपके लोकेशन के आधार पर अलर्ट नोटिफिकेशन देते हैं. समय से पहले आपको पता चल जाता है कि वहां वज्रपात, भारी बारिश या तेज हवा चलने की संभावना है.

झारखंड में बढ़ रहा है वज्रपात का कहर: झारखंड में पिछले आठ वर्षों में वज्रपात की वजह से 2,091 लोगों की जान जा चुकी है. साल दर साल जान गंवाने वालों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. झारखंड के आपदा प्रबंधन विभाग के डेटा के मुताबिक वज्रपात से साल 2014-15 में 144, 2015-16 में 210, 2016-17 में 265, 2017-18 में 256, 2018-19 में 261, 2019-20 में 282, 2020-21 में 322 और 2021-22 में 350 लोग जान गंवा चुके हैं. यह डेटा क्लेम के आधार पर तैयार किया जाता है. गांवों में बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें नहीं पता होता कि वज्रपात की वजह से जान जाने पर सरकार पीड़ित परिवार को चार लाख रुपए देती है. हालांकि समय के साथ लोग जागरूक हो रहे हैं. आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि इसी वजह से क्लेम करने की संख्या बढ़ रही है. झारखंड में पिछले साल सबसे ज्यादा पलामू में 29 लोगों की वज्रपात की वजह से मौत हुई थी. इसके अलावा गिरिडीह में 27, बोकारो में 27. गुमला में 26, गढ़वा में 21, चतरा में 21, खूंटी में 20 और रांची में 16 लोगों की जान गई थी. यही नहीं राज्य का कोई जिला ऐसा नहीं था, जहां किसी न किसी की मौत न हुई हो.

ऐसी परिस्थिति में केंद्र सरकार के ये दोनों ऐप झारखंड के लोगों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं. मौसम केंद्र, रांची के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि आज सभी के हाथ में मोबाइल है. ग्रामीण इलाकों में भी करीब-करीब हर घर में मोबाइल पहुंच चुका है. लिहाजा, दोनों ऐप को डाउनलोड करने के लिए महज दो मिटन वक्त देने की जरूरत है. इसके बाद यह आपके लिए सुरक्षा कवच का काम करने लगेगा.

Last Updated :Mar 31, 2023, 4:34 PM IST
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