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झारखंड के विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों की हालत दयनीय, नहीं दिया जा रहा समस्याओं पर ध्यान

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Published : Sep 6, 2021, 7:46 PM IST

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झारखंड के विश्वविद्यालयों में कार्यरत अनुबंध शिक्षकों की हालत दयनीय

झारखंड के विश्वविद्यालयों में करीब एक हजार अनुबंध पर कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. इनकी हालत दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकाला जा रहा है.

रांचीः राज्य के विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की गई, ताकि स्थाई प्रोफेसरों की कमी झेल रहे विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन ठीक से हो सके. लेकिन, अनुबंध पर बहाल असिस्टेंट प्रोफेसरों को तय मानदेय के अनुसार भुगतान नहीं किया जा रहा है. इससे दिन-प्रतिदिन असिस्टेंट प्रोफेसरों की स्थिति दयनीय होती जा रही है. हालांकि, राज्यपाल की ओर से भी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया गया कि उचित मानदेय का भुगतान करें. इसके बावजूद समस्या जस की तस बरकरार है.

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राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है. विद्यार्थियों की ओर से हमेशा कहा जाता है कि शिक्षकों के बिना पढ़ाई लिखाई बाधित हो रहा है. शिक्षकों की कमी के कारण पाठ्यक्रम पूरा नहीं होता है. स्थाई शिक्षक नहीं होने के कारण कई विभागों में क्लासेस भी संचालित नहीं हो रही है. इस समस्या को दूर करने के लिए राज्य के सात विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर 900 से अधिक शिक्षकों की बहाली की गई. अब भी यदाकदा अनुबंध शिक्षक रखे जा रहे हैं. विश्वविद्यालय अनुबंध शिक्षक संघ के अध्यक्ष निरंजन महतो कहते हैं कि अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसरों की जो परेशानी नियुक्ति के साथ थी, वह परेशानी आज तक है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में भी हमारी समस्या दूर होने की संभावना नहीं है.

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नहीं मिलता समय से वेतन

अनुबंधित प्रोफेसरों को माह में 36,000 मानदेय देने का निर्णय लिया गया था, लेकिन इन शिक्षकों को महीने में 15,000 से 18,000 मानदेय मिल रहा है. इतना ही नहीं, समय से मानदेय का भुगतान भी नहीं किया जाता है. स्थिति यह है कि 6-6 माह से मानदेय बकाया रहता है. संघ के अध्यक्ष ने बताया कि तय वेतन के अनुसार भुगतान नहीं किया जाता है. वहीं, उच्च शिक्षा विभाग की ओर से नए-नए नियम लागू किए जाते हैं, जिससे अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों को रोजना नई-नई परेशानियों से जूझना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अनुबंधित शिक्षकों ने राज्यपाल और उच्च शिक्षा विभाग से शिकायत भी की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रहा है.

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