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सलाखों के पीछे पहुंचे बच्चों की जिंदगी में रौशनी भर रहे कर्नल, बाल कैदी भी देख रहे ऊंची उड़ान भरने के सपने

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Published : Aug 28, 2021, 8:14 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 10:19 PM IST

कर्नल जीवन कुमार सिंह झारखंड के बाल सुधार गृह में बंद बाल कैदियों की जिंदगी में रौशनी भर रहे हैं. उन्होंने योजना बनाकर बाल कैदियों की जिंदगी में बदलाव लाया है. आखिर ये चमत्कार कैसे हुआ और बाल कैदी अब ऊंची उड़ान के सपने कैसे देखने लगे? पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

Colonel JK Singh
कर्नल जेके सिंह

रांची: जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे हर शख्स के भविष्य के सपने दम तोड़ने लगते हैं. उसकी सारी उम्मीदें हवा हो जाती हैं और भविष्य का सामना करने के नाम पर उसके शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है. जुर्म की शुरुआत अगर बालपन अवस्था में हुई तो मुश्किलें और ज्यादा हावी हो जाती है. लेकिन अगर जीवन का सपोर्ट हो तो नाउम्मीद होने की जरूरत नहीं है. यहां बात हो रही है कर्नल जीवन कुमार सिंह यानी जेके सिंह की.

कश्मीर में आतंकियों और झारखंड में नक्सलियों को लोहे के चने चबवाने वाले कर्नल जेके सिंह ने अब झारखंड के बाल सुधार गृह में बंद बाल कैदियों के जीवन को सुधारने का जिम्मा उठाया है. झारखंड के 12 बाल सुधार गृहों में से 6 की जिम्मेवारी कर्नल जेके सिंह के कंधों पर है. अपनी उस जिम्मेदारी को कर्नल बेहद संजीदगी से निभा रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

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बाल सुधार गृह से अब आती है भारत माता की जय, जय हिंद की आवाजें

बात ज्यादा दिन पुरानी नहीं है. रांची के डूमरदगा स्थित बाल सुधार गृह में दो महीने पहले उस समय हड़कंप मच गया था, जब सुधार गृह के अंदर से भारी मात्रा में नशे का सामान और मोबाइल बरामद किया गया था. अंदर से शराब पार्टी का वीडियो भी वायरल हुआ था. यहां तक कि दो बार बाल कैदी दीवार फांद कर मौके से फरार हो गए थे. लेकिन अब बाल सुधार गृह का माहौल बदल चुका है. बाल सुधार गृह के बंद गेट पर खड़े होने से आपको अंदर से भारत माता की जय और जय हिंद जैसे देश भक्ति नारे सुनाई देंगे.

आखिर यह कायापलट कैसे हुआ? ऐसा कौन सा चमत्कार हुआ कि बचपन में ही दलदल में समा चुके बाल कैदी अब जीवन को दूसरे नजरिए से देखने लगे हैं. दरअसल, यह सब संभव हुआ है कर्नल जेके सिंह के प्रयास से. देश के लिए बलिदान देने वाले वीर क्रांतिकारी, देश की सीमा पर दुश्मनों से लोहा लेने वाले वीर जवानों की जीवनी, धार्मिक पुस्तकें और स्किल डेवलपमेंट की नई योजनाओं को बाल कैदियों के दिमाग में डालकर यह परिवर्तन कर्नल ने लाया है.

बाल कैदियों के साथ बढ़ाया इंट्रैक्शन

रांची सहित दूसरे शहरों में स्थित अलग-अलग बाल सुधार गृहों से हमेशा नेगेटिव खबरें ही आया करती थी. नेगेटिव खबरों को पॉजिटिव में बदलने के लिए सबसे पहले कर्नल जेके सिंह ने बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत करना शुरू किया ताकि जब वे बाल सुधार गृह से बाहर निकलें तो वापस जुर्म के रास्ते पर न लौटें. बाल कैदियों के बीच बैठकर कर्नल जेके सिंह ने उनकी बातों को बेहद संजीदगी के साथ सुनना शुरू किया. मसलन किसी ने कहा कि सुबह से खाना समय पर नहीं मिल पाता है तो किसी ने यह कहा कि उसे रहने में दिक्कत होती है.

एक-एक बाल कैदी से मुलाकात के बाद कई चीजें सामने निकल कर आई. जिसके बाद कई समस्याएं तुरंत दूर कर ली गई. बाल कैदियों को सुबह में उनके पसंद का नाश्ता मिलने लगा. कई कैदियों ने बताया कि वह अपने परिजनों से बात नहीं कर पाते हैं जिसके बाद दो फोन की व्यवस्था की गई. जिसमें सुरक्षा के बीच बाल कैदी अब अपने परिजनों से बात कर पाते हैं. जब बाल सुधार गृह में फोन की व्यवस्था हो गई तब अपने आप ही बाल कैदियों ने अपने पास छिपा कर रखे गए सभी मोबाइल कर्नल को सौंप दिया.

हर बाल कैदी को दिया वीर क्रांतिकारी का उपनाम

कर्नल जेके सिंह यह जानते हैं कि देश के लिए अपना बलिदान देने वाले क्रांतिकारी साथियों की जीवनी हर किसी को प्रभावित करती है. उनकी शहादत की कहानियां युवाओं के जोश को बढ़ाती है. कर्नल ने बाल सुधार गृह में बच्चों के वार्ड के नाम क्रांतिकारी साथियों के नाम पर रखा. इसके अलावा हर बाल कैदी को देश के लिए जान न्योछावर करने वाले क्रांतिकारियों का उपनाम दिया. अब हर बाल कैदी एक दूसरों को क्रांतिकारी के नाम से पुकारता है.

सुबह और शाम देश भक्ति और क्रांतिकारियों की जीवनी पढ़ने के लिए बाल कैदियों को दिया जाने लगा. इसका पॉजिटिव प्रभाव देखने को मिला और कल तक जो बाल कैदी अपराध के दलदल में उतरने लिए लालायित रहते थे, अब कर्नल से यह गुहार करते नजर आए कि उन्हें बाल सुधार गृह के अंदर ही कुछ ऐसी तकनीक सिखा दी जाए ताकि जब वहां से बाहर निकलें तो अपनी जीविका चला सकें. कल तक जहां बाल कैदी गालियां दिया करते थे, वहीं अब धार्मिक पुस्तकें पढ़कर धर्म का ज्ञान भी ले रहे हैं. गीता, कुरान, बाइबल जैसे धार्मिक पुस्तकें बाल कैदी हर दिन पढ़ा करते हैं.

कौन हैं कर्नल जेके सिंह ?

कर्नल जीवन कुमार सिंह ने 31 वर्षों तक सेना में रहते हुए देश दुश्मनों के छक्के छुड़ाए और अब अपनी आवाज, अपने ट्रेनिंग स्किल और बाल कैदियों के जीवन को सही दिशा में ले जाने की वजह से लोगों के दिलों पर राज करते हैं. कर्नल जेके सिंह को उनकी काबिलियत की वजह से झारखंड पुलिस ने SAP में लिया. वर्तमान में कर्नल झारखंड पुलिस में एसपी(स्पेशल टास्क फोर्स) के पद पर कार्यरत हैं. स्पेशल टास्क फोर्स यानी झारखंड जगुआर को हर तरह के युद्ध में माहिर बनाने में कर्नल जेके सिंह की अहम भूमिका है. कर्नल को उनके दोस्त प्यार से जेके बुलाते हैं.

बता दें कि 1993 में कश्मीर के बड़गांव में हिजबुल के कमांडर को मुठभेड़ में मार गिराने वाले कर्नल की दमदार आवाज की पीएम मोदी तक मुरीद हैं. गणतंत्र दिवस परेड के दौरान झांकी की जानकारी इन्हीं की आवाज में सुनाई देती है. गणतंत्र दिवस परेड में जीवन कुमार सिंह कमेंट्री करते हैं. कर्नल बताते हैं कि साल 2010 में आर्मी डे परेड के लिए उन्होंने कमेंट्री की. उसी साल पहली बार राजपथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड के लिए बोलने का मौका मिला. कर्नल जेके सिंह सेना से प्रीमेच्योर रिटायरमेंट लेकर जून 2017 में झारखंड आए और सैफ कमांडेंट की कमान संभाली.

टेक्निकल स्किल किया गया डेवलप

बेहद कम उम्र में हत्या, दुष्कर्म, लूट, चोरी और छिनतई के आरोप में बाल सुधार गृह पहुंचे बाल कैदियों को अब बेहतर जीवन जीने की ललक जग रही है. डेली डायरी में हर बाल कैदी कुछ न कुछ अवश्य लिखता है. इनमें से अधिकांश बाल कैदी डायरी में यही लिखते हैं कि वह बड़े होकर आर्मी में जाएंगे या फिर बाहर निकल कर गुनाह से तौबा कर पढ़ाई लिखाई करेंगे. कई बाल कैदियों ने कर्नल जेके सिंह से यह गुहार लगाई कि उन्हें बाल सुधार गृह परिसर के अंदर ही कुछ तकनीकी ज्ञान दिलवाया जाए ताकि वह बाहर निकलकर अपनी जीविका चला सके जिसके बाद कर्नल के प्रयास से जेल के अंदर बाइक रिपेयरिंग, फ्रिज निर्माण, मोबाइल निर्माण, छोटे से बजट में बिजनेस कैसे शुरू किया जाए इन सब की ट्रेनिंग का काम किया गया जो अभी भी लगातार जारी है.

6 का जिम्मा कर्नल के पास

झारखंड के 12 जिलों में बाल सुधार गृह यानी संप्रेषण गृह है. जिसमें रांची, धनबाद, दुमका, टाटा, हजारीबाग और धनबाद के विशेष गृह के देखभाल का जिम्मा कर्नल जेके सिंह के पास है. कर्नल बताते हैं कि कारगिल वार में देश के लिए अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन करने वाले परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव से उन्होंने बाल कैदियों को वेबीनार के जरिए बात करवाई थी. परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव का समय मात्र आधे घंटे के लिए था लेकिन उन्होंने डेढ़ घंटे तक बोला और बाल कैदियों ने उन्हें सुना. वहीं भारत के ख्याति प्राप्त फुटबॉलर सुबोध कुमार ने भी वेबीनार के जरिए बाल कैदियों को अपने जीवन की तमाम कठिनाइयों के बारे में बताया. उन्हें यह भी बताया कि वह किन परिस्थितियों से गुजरकर फुटबॉलर बने.

अपना काम कर रहा हूं, सबका साथ मिल रहा है

कर्नल जेके सिंह के अनुसार उनकी यह जिम्मेवारी है कि बाल सुधार गृह से निकलने वाला हर बच्चा एक बेहतर इंसान बनकर ही यहां से बाहर जाए और इसके लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं. कर्नल के अनुसार पहले और आज के दौर में काफी अंतर आया है जो कुछ भी कमियां हैं उसे भी जल्द ही दूर कर लिया जाएगा ताकि नई पीढ़ी जुर्म के दलदल में जाने से बच सके.

Last Updated :Aug 28, 2021, 10:19 PM IST
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