ETV Bharat / state

प्रवासी श्रमिकों का 'शोषण' रोकने के लिए मजबूत तंत्र की जरूरत: हेमंत सोरेन

author img

By

Published : Jun 13, 2021, 7:12 PM IST

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देश के विभिन्न हिस्सों में झारखंड के प्रवासी श्रमिकों के शोषण को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि इस पर रोक लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है. सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार भी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है.

cm-hemant-expressed-concern-over-exploitation-of-migrant-workers
सीएम हेमंत सोरेन

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से दुर्गम इलाकों में झारखंड के प्रवासी श्रमिकों (migrant workers) के शोषण को लेकर चिंता जताते हुए इस पर रोक लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता बताई है. उन्होंने कहा है कि इसे लेकर वो अन्य राज्यों के अपने समकक्षों के साथ आवश्यक चर्चा करेंगे.

इसे भी पढ़ें: NIA की रिमांड में गैंगस्टर सुजीत और अमन, तेतरियाखाड़ कोलियरी हमले पर पूछताछ

सीएम हेमंत सोरेन ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार की कई एजेंसियां विकास परियोजनाओं के लिए काम पर रखने के बाद श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है. उन्होंने कहा कि 'नियुक्ति निकाय और ठेकेदारों के बीच गठजोड़' इस तरह के अनुचित व्यवहार को संभव बनाता है. हेमंत सोरेन ने पीटीआई-भाषा से कहा कि श्रमिकों की दुर्दशा देखकर मुझे दुख होता है, श्रमिकों को उनके वैध बकाया से वंचित किया जाता है, जबकि उन्हें एनटीपीसी और बीआरओ जैसे संगठनों द्वारा ठेकेदारों या बिचौलियों के जरिए काम पर रखा जाता है, उनके अधिकारों की रक्षा के लिए नीतियां मौजूद हैं, लेकिन आमतौर पर उन्हें लागू नहीं किया जाता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर उठाते रहे हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.

सीएम हेमंत कई राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ करेंगे बैठक

वहीं सीएम सोरेन ने कहा कि कोविड-19 संकट से निपटने के बाद मैं उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख के अलावा अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और प्रशासकों के साथ व्यक्तिगत तौर पर बैठक करूंगा और श्रमिकों के शोषण पर रोक के लिए एक मजबूत तंत्र पर जोर दूंगा. उन्होंने इसको लेकर खेद व्यक्त किया कि राज्य को प्राकृतिक आपदा के दौरान श्रमिकों को निकालने या कुछ मामलों में उनके पार्थिव शरीर को घर लाने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग करना पड़ता है और हितधारकों से कोई मदद नहीं मिलती.

इसे भी पढ़ें: रियलिटी चेकः वीकेंड लॉकडाउन में सब्जी और मछली बाजार में सन्नाटा, नहीं पहुंचे लोग

श्रमिकों की मौत पर दुख: सीएम

मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत-चीन सीमा के पास, उत्तराखंड के चमोली जिले में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा लगाए गए झारखंड के 15 प्रवासी श्रमिकों की अप्रैल में हिमस्खलन में मौत हो गई थी. उन्होंने कहा कि इसी तरह फरवरी में तब कई श्रमिकों की मौत हो गई थी, जब एक विनाशकारी बाढ़ ने 13.2 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना को ध्वस्त कर दिया था और उत्तराखंड में धौलीगंगा पर एनटीपीसी के एक अन्य परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचाया था.

प्राकृतिक आपदाओं में कई श्रमिकों को खोया

मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बादल फटने और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में हमने श्रमिकों को खो दिया, ऐसे उदाहरणों के बावजूद, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए नीतियों को लागू नहीं किया जा रहा है. सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार ने अतीत में अपने अप्रिय अनुभवों के बावजूद, लद्दाख में भारत-चीन के बीच गतिरोध के समय राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए बीआरओ को श्रमिकों को रोजगार देने के लिए अपनी मंजूरी दी थी.

इसे भी पढ़ें: महेंद्र सिंह धोनी ने शेटलैंड पोनी नस्ल के घोड़े के साथ लगाई रेस, वीडियो हो रहा वायरल

हवाई मार्ग से प्रवासी कामगारों को लद्दाख से लाया गया झारखंड

सीएम हेमंत ने कहा कि उनकी सरकार ने मुख्यमंत्री दीदी रसोई योजना शुरू की है, इसके तहत पिछले साल लॉकडाउन के दौरान चार करोड़ लोगों को खाना खिलाया गया. उन्होंने कहा हमने पहली विशेष ट्रेन से तेलंगाना से रांची के हटिया तक 1,200 श्रमिकों को लाया, लेह में फंसे प्रवासी श्रमिकों को दिल्ली लाया गया, जहां से वे दो महीने की चिंता और अनिश्चितता के बाद झारखंड के लिए एक अन्य उड़ान में सवार हुए. हेमंत सोरेन पिछले साल मई में लद्दाख में फंसे 60 प्रवासी कामगारों को हवाई मार्ग से लाने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री थे.

इनपुट: समाचार एजेंसी भाषा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.