मानव तस्करी के शिकार झारखंड के साहिबगंज जिले के 14 बच्चों को दिल्ली में कराया गया मुक्त

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Published : Nov 24, 2022, 7:52 PM IST

Childrens Freed From Human Traffickers

झारखंड के साहिबगंज जिले के 14 बच्चों को दिल्ली में मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया (Childrens Freed From Human Traffickers) है. एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र के सदस्य और पदाधिकारी सभी बच्चों को लेकर झारखंड लौट रहे हैं.

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सार्थक प्रयास से लगातार मानव तस्करी के शिकार बच्चों को मुक्त कराकर उनके घरों में पुनर्वासित किया जा रहा है. इसी कड़ी में मानव तस्करी के शिकार झारखंड के साहिबगंज जिले के तीन बालक और 11 बालिकाओं को दिल्ली में मुक्त कराया गया (Childrens Freed From Human Traffickers) है. इन सभी बच्चों के ट्रेन के माध्यम से वापस लाया जा रहा है.

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बच्ची का अपहरण कर रेड लाइट एरिया में बेच दिया गया थाः इन बच्चों से काउंसेलिंग के दौरान यह पता चला कि एक 12 वर्षीय बच्ची को उसके गांव के एक व्यक्ति ने अपहरण कर एक वर्ष पूर्व दिल्ली लाकर एक साल तक दिल्ली के विभिन्न इलाकों की कोठियों में घरेलू कार्य में लगाया. बच्ची द्वारा विरोध करने पर उसे रेड लाइट एरिया में ले जाकर बेच दिया गया. वहां से एक दिन मौका देखकर वह खिड़की से कूदकर भाग निकली और एक ऑटो वाले की मदद से पुलिस स्टेशन पहुंच गई. पुलिस ने झारखंड भवन से समन्वय स्थापित किया और बच्ची के घर का पता लगाया. बता दें कि लड़की की मां की मृत्यु हो चुकी है और पिता ने दूसरी शादी कर ली है. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण गांव का ही एक व्यक्ति उसे जबरन दिल्ली ले गया था.

दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा हैः मानव तस्करी पर झारखंड सरकार और महिला एवं बाल विकास विभाग काफी संवेदनशील (Government is Very Sensitive on Human Trafficking) है. यही कारण है कि दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है. जिसका काम है मानव तस्करी के शिकार बच्चों एवं बच्चियों को मुक्त कराकर उनके जिलों में पुनर्वासित करना. संस्था का टोल फ्री नंबर 10582 है, जो 24 घंटे सातों दिन कार्य करता है.

मानव तस्करी को लेकर दिल्ली और निकटवर्ती सीमा में विशेष निगरानीः संस्था की नोडल ऑफिसर नचिकेता ने बताया कि यह केंद्र दिल्ली में प्रधान स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीना की देखरेख में और महिला एवं बाल विकास विभाग, झारखंड सरकार के अंतर्गत कार्य करती है. हमारे सचिव कृपानंद झा मानव तस्करी के मुद्दे पर काफी संवेदनशील हैं. उन्होंने सख्त निर्देश दिया है कि दिल्ली और उसके निकटवर्ती सीमा क्षेत्र पर विशेष नजर रखी जाए. उसी क्रम में हमें इस बार बड़ी कामयाबी मिली है. साहिबगंज जिले के 14 बच्चों में से नौ बच्चों को दिल्ली पुलिस के सहयोग से दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्र हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मुक्त कराया गया है.

रेस्क्यू कराए गए बच्चों को उनके गृह जिले में किया जाएगा पुनर्वासितः महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक छवि रंजन ने सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चे को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, उस जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी और बाल संरक्षण पदाधिकारी उन्हें वापस उनके जिले में पुनर्वासित (Children will Rehabilitated in Home District) कराएं. इसी कड़ी में साहिबगंज जिला प्रशासन द्वारा यह पता चलते ही कि उनके बच्चे दिल्ली में रेस्क्यू किये गए हैं, इस मुद्दे पर तत्वरित कार्रवाई की है. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है. टीम पिछले छह दिनों से दिल्ली में कैंप कर 14 बच्चों के साथ वापस ट्रेन से झारखंड लौट रही है. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने बताया कि इन सभी बच्चों को झारखंड सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ते हुए इनकी सतत निगरानी की जाएगी, ताकि ये बच्चें दोबारा मानव तस्करी का शिकार न होने पाएं.

मानव तस्करी के शिकार बच्चों की पहचान कर काया जा रहा मुक्तः गौरतलब है कि आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले- भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है. उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजा जा रहा है, जहां उन्हें पुनर्वासित किया जा रहा है.

बच्चों को बहला-फुसलाकर ले गए थे बिचौलिएः दिल्ली से मुक्त कराये गए बच्चों को बिचौलिए दिल्ली लाए थे. झारखंड में ऐसे बिचौलिए बहुत सक्रिय हैं, जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं. इससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दी जाती है.

माता-पिता भी हैं जिम्मेदारः बिचौलिए के चंगुल में बच्चों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है. कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चे अपने माता-पिता, रिश्तेदारों की सहमति से ही बिचौलिए के चंगुल में फंसकर मानव तस्करी के शिकार बन जाते हैं.

मुक्त बच्चों की होगी सतत निगरानीः समाज कल्याण महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं, स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी, ताकि इन्हें पुन: मानव तस्करी का शिकार होने से बचाया जा सके. एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र की परामर्शी निर्मला खलखो और कार्यालय सहायक राहुल कुमार ने बहुत अहम भूमिका निभाई.

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