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भाजपा मोटे अनाज की खेती को दे रही बढ़ावा, किसान मोर्चा ने हर प्रखंड में 10 गांव का किया है चयन

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Published : Dec 25, 2022, 2:03 PM IST

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष (Millet Year 2023) के रुप में मनाने का फैसला किया गया है. सरकार के इस फैसले को सफल बनाने के लिए झारखंड में भारतीय जनता पार्टी किसानों को मोटे अनाज की खेती के फायदे (Benefits of Millet Cultivation) के बारें में बता रही है. साथ ही खुद को अन्नदाताओं के बीच एक सहयोगी संस्था के रुप में दिखा रही (BJP promoting Millet Cultivation in Jharkhand) है.

BJP Kisan Morcha President
भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष पवन साहू

भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष पवन साहू

रांची: झारखंड में भारतीय जनता पार्टी ने मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा (BJP promoting Millet Cultivation in Jharkhand ) देने वाले सहयोगी संगठन के रुप में पहचान बनाने की योजना बनाई है. भाजपा किसानों की समस्याओं को उठाने के साथ- साथ मोटे अनाज की खेती करने के फायदे (Benefits of Millet Cultivation) के बारे में लोगों को बताएगी.

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भारत सरकार ने वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष (Millet Year 2023) के रूप में मनाने का फैसला किया है. सरकार के इस फैसले में सहयोगी की भूमिका निभाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा ने अन्नदाताओं के बीच एक सहयोगी संस्था के रूप में पहचान बनाने की योजना बनाई है. जिसके तहत राज्य के हर प्रखंड के 10 -10 गांव का चयन कर, वहां के किसानों को भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मोटे अनाज (मिलेट) की खेती के फायदे बताएंगे. मसलन मोटे अनाजों में मौजूद पोषण तत्व और कम वर्षा में भी अच्छी उपज संबंधित जानकारी देंगे. वहीं यह बताएंगे कि कैसे परंपरागत धान, गेंहू की खेती की तुलना में मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा की खेती ज्यादा लाभदायक है. उन्हें यह भी बताया जाएगा कि आज की तारीख में मोटे अनाज के लिए व्यापक बाजार उपलब्ध है. अगर यह खेती जैविक तरीके से की जाए तो वह और अधिक मुनाफे का हो जाता है.

झारखंड प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष पवन साहू ने बताया कि न सिर्फ मिलेट की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान मोर्चा अपने अन्नदाताओं के बीच जाएगा, बल्कि उन्हें यह भी बताएगा कि कैसे वर्तमान सरकार ने आपको धान की MSP 2500 रुपये प्रति क्विंटल का वादा कर 2010 ₹ की राशि दे रही है. जिसमें महज ₹10 रुपये का बोनस है, इसी तरह भयानक सुखाड़ की मार झेल रहे राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंड के किसानों को महज 3500 रुपये की सहायता राशि देने की योजना बनाई है. जबकि किसानों को खेती करने में खर्च ही प्रति एकड़ 40 हजार होता है, ऐसे में सरकार किसानों के साथ सुखाड़ राहत पर मजाक कर रही है.

राज्य के किसानों के बीच पैठ बनाने, उन्हें मिलेट से जुड़ी खेती को बढ़ावा देने की योजना को सफल बनाने और धान की MSP बढ़ाने, सुखाड़ राहत की राशि को बढ़ाने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा की बैठक आज प्रदेश कार्यालय में हो रहीहै. जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, किसान मोर्चा के नेता और पार्टी पदाधिकारी शिरकत कर रहे हैं.

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