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BBA चाय वाला! स्टार्टअप छोटा पर हौसले की उड़ान बड़ी

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Published : Oct 29, 2021, 9:42 PM IST

Updated : Oct 30, 2021, 10:41 PM IST

अगर हौसला बुलंद हो तो कठिन डगर पर भी राह आसान हो जाती है. इसे सच कर दिखाया है रांची के तीन युवा दोस्तों ने 'बीबीए चाय वाला' दुकान खोल कर.

BBA chai wala
BBA chai wala

रांची: राजधानी में इन दिनों बीबीए चाय वाला की बहुत चर्चा हो रही है. लोग ना सिर्फ यहां के चाय के कायल हो रहे हैं बल्कि इनके सोच विचार से भी प्रभावित हो रहे हैं. आइए बताते हैं बीबीए चाय वाला की कहानी.

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यह कहानी है रांची में एक कमरे में रहकर पढ़ाई कर रहे तीन रूममेट की. एक गोस्सनर कॉलेज से BBA यानि बैचलर इन बिजनेस एडमिसट्रेशन की पढ़ाई कर रहा था तो दूसरा डोरंडा कॉलेज से केमिस्ट्री में पीजी कर रहा होता है तो तीसरा गोस्सनर कॉलेज से इंग्लिश में ऑनर्स की पढ़ाई. तीनों दोस्तों की पढ़ाई ठीक ठाक से चल रहा थी कि कोविड-19 ने दस्तक दे दी. धीरे धीरे सबकुछ बदलने लगा और पढ़ाई के लिए घर से मिलने वाले पैसे आने बंद हो गए. क्योंकि इनके परिजनों की नौकरी कोरोना में चली गयी. ऐसे में अगर कोई दूसरा होता तो वापस अपने घर कोई बोकारो, जमशेदपुर तो कोई बिहार के मुजफ्फरपुर लौट जाता पर. ये तीनों दोस्त अधिराज, विवेक और नवनीत की दृढ़ इच्छा शक्ति और आगे की पढ़ाई जारी रखने का संकल्प ही था कि तीनों दोस्तों ने मिलकर छोटा ही सही और एक स्टार्टअप शुरू कर दिया.

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BBA चाय वाला के नाम से दुकान

अपने बचत की गई रकम 5-5 हजार यानि कुल 15 हजार की पूंजी लगाकर तीनों दोस्तों ने कुल्हड़ चाय की स्टाल लगा ली. चूंकि मुख्य लक्ष्य आगे की पढ़ाई करना है इसलिए शाम 04 बजे से 09 बजे तक इनकी दुकान लगती है और चाय के शौकीन खींचे चले आते हैं.

समाज और मध्यम वर्ग में चाय बेचने को आज भी अच्छा नहीं समझा जाता है. इसलिए इन होनहार युवाओं में मीडिया और कैमरे के सामने आने को लेकर थोड़ी हिचक है कि परिवार वाले क्या कहेंगे. पर इन होनहारों को शायद इसकी भान नहीं कि कई युवाओं के लिए ये मिसाल हैं.

BBA करने के बाद MBA में लेना है नामांकन, तो कोई डोरंडा कॉलेज में रसायन शास्त्र में पीजी करने के बाद पीएचडी कर लेक्चरर-प्रोफेसर बनने का सपना संजोए हैं दिल में. ये तीनों दोस्त तीन अलग-अलग क्षेत्र से रांची आकर कडरू में एक रूम में रहकर पढ़ाई कर रहे थे ओर तीनों में दोस्ती ऐसी कि जब कोरोना की वजह से संकट आया तो एक दूसरे का हाथ थाम लिया ताकि भविष्य में जिस मुकाम को पाने का सपना उन्होंने पाल रखा था उससे ये कोरोना की आंधी डिगा नहीं सके.

कोरोना वॉरियर्स से नहीं लेते चाय का पैसा

विवेक कहते हैं कि कोरोना की वजह से ही जो हालात हुए उसमें तीनों दोस्तों को यह दुकान खोलना पड़ा है. इसलिए कोरोना को परास्त करने में जिन लोगों ने महती भूमिका निभाई जैसे डॉक्टर, नर्स, पुलिस और सफाईकर्मी से वह चाय का पैसा नहीं लेते हैं. विवेक कहते हैं कि इनके अलावा वह महिलाओं से भी चाय का पैसा नहीं लेते, क्योंकि वह कोरोना के दौरान घर परिवार को जिस तरह से संभालती हैं वह किसी वॉरियर्स से कम नहीं हैं.

साफ सफाई और तीनों दोस्तों की नेकनियती के फैन होते जा रहे हैं लोग

BBA चायवाला के स्टाल पर आनंद, आशीष जैसे लोग हर दिन आते हैं. आगे बढ़कर अपने मुकाम हासिल करने की तीनों दोस्तों के हौसले को ये सलाम करते हैं. आनन्द और आशीष कहते हैं कि कठिन वक्त में भी इनका हौसला देखिए. जज्बात ऐसी कि कोरोना वारियर्स से पैसे नहीं लेते हैं. .ट्वीटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर भी हैं. आज छोटा दुकान है कौन जानता है कि आने वाले दिनों में ये तीनों दोस्त कोई बड़ा इतिहास लिख दें.

सितम्बर महीने में शुरू हुई इस बीबीए चायवाला की दुकान से हर दिन 300-400 रुपए की बचत होती है. उम्मीद की जानी चाहिए कि धीरे-धीरे आमदनी बढ़ेगी और फिर बीबीए चायवाला अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी कर सकेगा.

Last Updated : Oct 30, 2021, 10:41 PM IST
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