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सरयू राय की बढ़ सकती हैं मुश्किलें! एसीबी ने पीई दर्ज करने की मांगी इजाजत

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Published : Nov 4, 2022, 10:39 PM IST

निर्दलीय विधायक सरयू राय (MLA Saryu Rai) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. उनके खिलाफ एसीबी ने पीई दर्ज करने की अनुमति मांगी है (ACB sought probe permission).

ACB probe against MLA Saryu Rai
ACB probe against MLA Saryu Rai

रांची: एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी ने विधायक सरयू राय (MLA Saryu Rai) समेत अन्य के खिलाफ पीई दर्ज करने की अनुमति मंत्रिमंडल, सचिवालय एवं निगरानी विभाग से मांगी है (ACB sought probe permission). सरयू राय पर पद पर रहते हुए एनजीओ युगांतर भारती को लाभ पहुंचाने, बिना टेंडर आहार पत्रिका छपवाने व बाजार दर से अधिक दर पर वॉयस मैसेज का कार्य आदेश जारी करने से जुड़ा आरोप लगा था. इस मामले में जी कुमार नाम के शख्स ने एसीबी में परिवाद संख्या 344/22 दर्ज करायी थी. इसकी जांच के बाद डीएसपी अरविंद कुमार सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 14 सितंबर को पीई जांच के अनुशंसा की थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर एसीबी ने इस मामले में पीई दर्ज करने की अनुमति मंत्रिमंडल, निगरानी व सचिवालय विभाग से मांगी है.

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सरयू राय पर आरोप है कि खाद्य आपूर्ति मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने बिना टेंडर आहारा नाम से एक पत्रिका छपवाई. प्रकाशन का काम झारखंड प्रिंटर को दिया गया. दुबारा छह माह बाद टेंडर हुआ तो शर्त पूरा नहीं किए जाने के बावजूद झारखंड प्रिंटर को काम दिया गया. नौ माह में 2.51 करोड़ रु खर्च दिखाया गया.बताया गया है कि युगांतर भारती नाम की संस्था झारखंड में रजिस्टर्ड नहीं है. फिर भी पानी जांच के नाम पर उसे करोड़ों की राशि उपलब्ध करायी गई. दूसरी तरफ उसी संस्था से सरयू राय ने साल 2015, 2016 व 2017 में अनिसक्योरड लोन के नाम पर लाखों रुपये लिए थे.

डीएसपी अरविंद कुमार सिंह अपने रिपोर्ट में जिक्र किया है कि पूर्व मंत्री पर लगे आरोपों विभागीय दस्तावेजों की जांच जरूरी है . सरयू राय समेत अन्य लोगों पर जो आरोप लगे हैं, उसमें जो दस्तावेज एजेंसी को परिवादी ने दिए है, उनका सत्यापन भी विभागीय स्तर पर जरूरी है. कुछ आरोपों में प्रारंभिक सत्यता प्रतीत होती है. इसी आधार पर पीई दर्ज करने की अनुमति मांगी गई है.

यह भी आरोप है कि साल 2016 में लाभुकों को विभागीय संवाद पहुंचाने के लिए रांची के बाबा कंप्यूटर को वॉयस कॉल पहुंचाने का काम प्रति कॉल 10 पैसा के बजाए 8 गुना बढ़ाकर 81 पैसा निर्धारित किया गया था. इसके टेंडर में चार कंपनियों ने भाग लिया था लेकिन बाबा कंप्यूटर और जन सेवा डॉट ऑनलाइन के मालिक रितेश गुप्ता थे. यही आरोप है कि युगांतर भारती के पूर्व प्रबंध कार्यसमिति सदस्य सुजाता शंकर के पति सुनील शंकर को व्यक्तिगत निर्णय पर निविदा पर रखा गया.

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